शाहडोलPublished: Feb 07, 2019 08:38:57 pm
shivmangal singh
अनियमितता का आरोप, अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश, कलेक्टर के समक्ष नाराज पार्षदों ने पेश किया अविश्वास प्रस्ताव
नगर परिषद में राजनीतिक भूचाल, अध्यक्ष की कुर्सी पर आया संकट
शहडोल. ब्योहारी नगर परिषद की राजनीति में भूचाल आ गया है। ब्योहारी के पार्षदों ने नगर परिषद अध्यक्ष पुष्पा पटेल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसमें गौरतलब मामला ये है कि पुष्पा पटेल भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर अध्यक्ष बनीं हैं लेकिन उनके खिलाफ मोर्चा खोलने वालों में भाजपा के ही पार्षद अधिक हैं। इसके अलावा निर्दलीय पार्षदों की संख्या भी अच्छी खासी है।
नगरपरिषद ब्यौहारी के अध्यक्ष के खिलाफ नाराज पार्षदों ने कलेक्टर के समक्ष अविश्वास का प्रस्ताव पारित करने के लिए आवेदन पेश किया है। पार्षदों ने अध्यक्ष के खिलाफ अनियमितता और राशि गबन के भी गंभीर आरोप लगाए है। दो तिहाई से ज्यादा पार्षदों ने अविश्वास का प्रस्ताव रखा है। इसमें छह भाजपा, एक बसपा, एक कांग्रेस और पांच निर्दलीय पार्षद हैं। पार्षदों ने बताया कि 2014 में चुनाव हुआ है। निर्वाचन के बाद अध्यक्ष पुष्पा पटेल द्वारा मनमानी तरीके से बैठक में न बुलाना और बिना प्रस्ताव पारित कर शासकीय राशि का गबन किया गया है। अध्यक्ष द्वारा न तो कोई सम्मेलन बुलाया गया है और न ही कोई पार्षद शामिल थे। फर्जी प्रस्ताव बनाया गया और शासकीय राशि में अनियमितता की गई। अध्यक्ष द्वारा सफाई सामग्री के साथ कई खरीदी में अनियमितता की गई है। इसकी शिकायत कलेक्टर से पूर्व में की गई थी। जांच में भी यह आया था। पार्षदों ने कई गंभीर आरोप लगाते हुए अविश्वास प्रस्ताव रखा है।
कलेक्टर के पाले में मामला
नगर परिषद अध्यक्ष पुष्पा पटेल के खिलाफ पार्षदों के अविश्वास प्रस्ताव को लेकर गेंद अब कलेक्टर के पाले में है। कलेक्टर को इस मामले में निर्णय लेना है कि ये प्रस्ताव स्वीकार करके कब वोटिंग कराई जाएगी। हालांकि प्रस्ताव के बाद ही ब्योहारी की राजनीतिक सरगर्मियां बढ़ गई हैं। अब देखना ये है कि इस राजनीतिक भंवर से अध्यक्ष पुष्पा पटेल अपनी कुर्सी बचा पाएंगी या कुर्सी जाती रहेगी। कलेक्टर अनुभा श्रीवास्तव ने कहा कि मामले का परीक्षण कराया जाएगा, उसके बाद मामले को नगरीय प्रशासन विभाग को भेजा जाएगा।
वर्ष 2014 में हुए थे चुनाव
ब्योहारी नगर परिषद का चुनाव दिसंबर 2014 में हुआ था। इस लिहाज से अभी नगर परिषद का कार्यकाल लगभग एक वर्ष बचा हुआ है। अविश्वास प्रस्ताव पेश करने वाले पार्षदों का कहना है कि पिछले छह महीने से परिषद की बैठक नहीं बुलाई गई है। दूसरे वे भ्रष्टाचार से आजिज आ गए हैं।