शहडोल. रसोई के साथ अब महिलाएं बिजनेस में भी नाम कमा रही हैं। महिलाएं आज सिलाई, कढ़ाई, बुनाई, पापड़ और खिलौने बनाने के साथ ही मुश्किल व्यवसायों को भी मेहनत के बल पर आसान कर रही हैं। जिले में महिला व्यवसाईयों की संख्या लगातार बढ़ रही है। लिंगानुपात में इनकी संख्या भले ही घट रही है, लेकिन व्यापार में यह सब पर भारी पड़ रही हैं। खुद पर भरोसा और आत्मनिर्भर बनने की चाहत उनके सपनों को पंख लगा रहा है। कोई महिला जीवन आने वाले हर संकट का डंटकर मुकाबला कर व्यवसाय से अपने परिवार को पाल रही है, तो कई महिलाएं अपनी कार्य कुशलता और दक्षता से व्यवसाय को उंचाईयों में स्थापित किया है। आज हम आपको को ऐसी दो महिलाओं के बारे में बता रहे हैं। जिन्होने प्रतिकूल परिस्थितियों में भी हिम्मत नहीं हारी है और बुलंद इरादों से अन्य महिलाओं के समक्ष उदाहरण प्रस्तुत कर रही हैं। टाइल्स के बिजनेस को दी उंचाई नया बस स्टैण्ड रोड में आधुनिक यंत्रों से सुसज्जित टाइल्स की दुकान का संचालन करने वाली ४५ वर्षीय महिला नूतन बड़ेरिया ने अपनी कार्य दक्षता ेके बलबूते पर पिछले १८ वर्षों में टाइल्स के व्यवसाय को काफी आगे बढ़ाया है। वर्तमान में वह करोड़ों का टर्न ओवर ले रही हैं। पहले वह व्यापारियों से बात करने में घबराती थी, मगर आज व्यवासियों से लाखों की डील करती हैं। इस व्यवसाय में उनका महिला होना उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती थी और लोग उनका परिहास उड़ाते थे, मगर आज उनकी बेटी अलीशा बड़ेरिया जार्जिया यूरोप में एमबीबीएस कर रही है। पान गुटखा बेंचकर पाल रही परिवार रेलवे स्टेशन के किनारे झोपड़ीनुमा दुकान से ६५ वर्षीय महिला महरजुआ गुप्ता पिछले तीस वर्षों से अपना व अपने परिवार का पेट पाल रही है। इस दौरान उन पर कई बार मुसीबतों का पहाड़ टूटा, लेकिन उन्होने हिम्मत नहीं हारी। गरीबी और बीमारी से उनके तीन बेटों और दो बेटियों की मौत हो गई। एक दुर्घटना में उनका हाथ टूट गया। इसके बाद भी उन्होनें अपनी दो बच्चियों को पाला पोसा। आज उनके दो नाती भी है। जिनके साथ उनका अच्छा गुजर बसर हो रहा है। वह दुकान में सुबह चार बजे से रात १२ बारह बजे तक बैठती है।