शाहडोलPublished: Aug 27, 2023 12:01:56 pm
shubham singh
अधिकारी भी नहीं दिखा रहे गंभीरता, सिर्फ राशि जमा कराने तक सीमित रहा है विभाग
शहडोल. बारिश का पानी सहेजने के लिए लोग अपनी रुचि नहीं दिखा रहे हैं। 86621 की जनसंख्या वाले शहडोल नगरपालिका से बीते दो वर्षों में 321 लोगों ने भवन निर्माण के लिए अनुमति ली है लेकिन बारिश का पानी सहेजने सिर्फ 7 लोगों ने ही वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में रुचि दिखाई है। भवन निर्माण के बाद इन सभी लोगों ने वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम के लिए जमा की गई राशि को वापस लेने आवेदन दिया है। नगर पालिका ने भी वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अपनाने के बाद तीन आवेदनों की राशि वापस कर दी है। इस साल जिले में बेहतर बारिश के बाद भी लोग वाटर हार्वेस्टिंग में आगे नहीं आए हैं। एक्सपर्ट की मानें तो जिले में 50 फीसदी लोग भी वाटर हार्वेस्टिंग अपनाए होते तो इस बारिश में जल स्तर बढ़ाने में काफी मदद मिलती।
सरकारी विभागों तक सीमित, गिनती के घरों में लगा सिस्टम
नगरपालिका के रिकार्ड अनुसार शहर में 8 निजी स्कूलें, 22 हाइराइज बिल्ंिडग के अलावा 12 कॉमर्शियल आवास बने हुए हैं, जिनमें निजी अस्पताल भी शामिल हैं। लेकिन बारिश का पानी सहेजने के लिए हार्वेस्ंिटग सिस्टम बनवाने में सिर्फ सात लोगों ने ही अपनी रुचि दिखाई, जिन्होंने भवन निर्माण के बाद पैसा वापस लेने आवेदन जमा किया है। अन्य लोगों ने सिस्टम लगवाने में रुचि नहीं दिखाई।
निर्माण के बाद पैसा होता है वापस
नए भवन निर्माण की अनुमति लेते के समय अलग-अलग साइज के प्लॉट के अनुसार नगरपालिका वाटर हार्वेस्ंिटग सिस्टम का पैसा जमा कराती है। सिस्टम लगाने के बाद निर्माण स्थल की जांच के बाद पैसा वापस दिया जाता है। बीते दो वर्षों में 321 लोगों ने भवन निर्माण के लिए अनुमति ली, जिनसे नपा ने वाटर हार्वेस्ंिटग के लिए पैसा भी जमा कराया। निर्माण के बाद सिर्फ सात लोगों ने पैसा वापस लेने आवेदन प्रस्तुत किया है। इससे साफ हो जाता है कि बारिश का पानी सहेजने लोग रुचि नहीं ले रहे हैं।
इन्होंने लगाया वाटर हार्वेस्ंिटग सिस्टम
भवन निर्माण के साथ-साथ बारिश का अमृत सहजने के लिए शहर के सुरेश नामदेव वार्ड 6, ममता श्रीवास्तव वार्ड 28, निर्मला सिंह वार्ड 4, रामनाथ सिंह वार्ड 15, नरेन्द्र पाठक वार्ड 16 के अलावा दो अन्य लोगों ने नए भवन निर्माण में वाटर हार्वेस्ंिटग सिस्टम लगवाया है।
कैसे बनता है वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम
वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम में जमीन में तीन से पांच फुट चौड़ा और पांच से दस फुट गहरा गड्ढा बनाना होता है। छत से पानी एक पाइप के जरिए इस गड्ढे में उतारा जाता है। खोदाई के बाद इस गड्ढे में सबसे नीचे मोटे पत्थर (कंकड़), बीच में मध्यम आकार के पत्थर और सबसे ऊपर बारीक रेत या बजरी डाल दी जाती है। यह विधि पानी को छानने की विधि है। यह सिस्टम फिल्टर का काम करता है।
प्लॉट के अनुसार रेट तय
जानकारी के अनुसार भवन निर्माण की परमीशन लेते समय नगर पालिका ने वाटर हार्वेस्ंिटग के लिए 140 से 200 स्क्वायर मीटर के लिए 7 हजार, 200-300 के लिए 10 हजार रुपए, 300-400 के लिए 12 हजार व 400 से अधिक के लिए 15000 रुपए निर्धारित किया गया है। निर्माण के बाद इस राशि को भू स्वामी के आवेदन देने पर वापस दिया जाता है।
एक्सपर्ट व्यू
ज ल संरक्षण की दिशा में काम कर चुके सेवानिवृत्त अधिकारी महेन्द्र शुक्ला कहते हैं, पृथ्वी की सतह पर उपलब्ध पानी के अलावा हम जमीन के भीतर का संरक्षित जल भी उपयोग में ले रहे हैं। जिसके चलते भूमिगत जल स्तर निरंतर नीचे जा रहा है। यदि इसी तरह चलता रहा तो आने वाले कल में हम एक भयावह जल संकट को न्यौता दे रहे होंगे। इससे निजात पाने का केवल एक ही तरीका है कि हम जमीन से जितना पानी ले रहे हैं इसका एक हिस्सा हम उसे वापस कर दें और इसका सरल विकल्प है। हमारी छत पर गिरने वाले वर्षा जल को हम जमीन पर वापस कर दें। यह एक सरल एवं सस्ती विधि है। बस आवश्यकता है संकल्प शक्ति की। शहडोल के परिपेक्ष में हम अपनी छतों के वर्षा जल को संग्रहित कर निकट के तालाब में भी डाल सकते हैं इससे एक ओर जहां हमारे तालाब सदा नीरा हो जाएंगे वही भूमिगत जलस्तर बढ़ेगा। लगभग 30त्न घर तालाबों के निकट हैं। यह प्रयोग यदि शहडोल में किया जाता है तो सफलता की एक मिसाल बनेगी।