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पेट के लिए हाथ फैलाने को मजबूर

locationशाहडोलPublished: Nov 14, 2016 12:47:00 am

Submitted by:

Abhishek ojha

सवाईमाधोपुर. राज्य सरकार की ओर से भले ही कई शिक्षा व जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हो, लेकिन कच्ची बस्तियों में भिक्षावृत्ति से गुजर-बसर करने वाले नौनिहालों के पुर्नत्थान की कोई योजना नहीं है।

सवाईमाधोपुर. राज्य सरकार की ओर से भले ही कई शिक्षा व जन कल्याणकारी योजनाएं चलाई जा रही हो, लेकिन कच्ची बस्तियों में भिक्षावृत्ति से गुजर-बसर करने वाले नौनिहालों के पुर्नत्थान की कोई योजना नहीं है। बस स्टैण्ड हो या रेलवे स्टेशन। चलती ट्रेन का सफर हो या बस का। बाजार हो या सरकारी कार्यालयों के आसपास। इन सभी जगहों पर बालक-बालिकाओं को चंद रुपयों के लिए हाथ फैलाते देखा जा सकता है। इन बच्चों तक ना तो शिक्षा का अधिकार के लौ पहुंच रही है और ना ही विकास की कोई योजना इनको लाभान्वित कर पा रही है। यहां जिला मुख्यालय स्थित कच्ची बस्तियों में रहने वाले भिक्षावृति से परिवार को पेट पाल रहे हैं। कई बच्चे कचरा बीनने व बाल श्रम करने में लगे हैं।
ट्रेनों में गाना-बजाना व करतब दिखाना

झुग्गी, झोपड़ी व कच्ची बस्ती में रहने वाले बालकों की जिदंगी ट्रेनों की सफर में ही गुजर रही है। वे ट्रेनों में गाना-बजाकर, नाचकर या करतब दिखाकर पेट पालते हैं। कुछ बच्चे झाडू लगाते दिखाई देते हैं। इसके अलावा नुक्कड़-नाटक कर चंद पैसा एकत्र करते हैं। उनके साथ परिजन भी इस कार्य में नजर आते हैं। ट्रेनों में भी बाल श्रमिक धड़ल्ले से कार्य कर रहे हैं।
मुख्यधारा से जोडऩे के नहीं हो रहे प्रयास

जिले में श्रम व सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से बाल श्रम व भिक्षावृत्ति में लगे बालकों को समाज की मुख्यधारा से जोडऩे के लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। जिले में करीब 5 हजार से अधिक बाल श्रमिक हैं, लेकिन श्रम विभाग द्वारा उनके लिए कोई प्रयास नहीं किए जा रहे हंै। उनके लिए श्रम विभाग की ओर से अलग से जिले में स्कूल भी नहीं है।
करीब 300 बालक जुड़े हैं भिक्षावृत्ति से

जिला मुख्यालय पर स्थित कई बस्तियों में रहने वाले सैकड़ों बालक भिक्षावृत्ति व बालश्रम से जुड़े है। वे दिन निकलने से लेकर रात होने तक रेलवे स्टेशन, बजरिया के मुख्य बाजार, पर्यटन बुकिंग केन्द्र, होटलों के बाहर, टोंक व लालसोट बस स्टैण्ड आदि स्थानों पर भीख मांगते हैं। यहां नगर परिषद क्षेत्र की हम्मीर पुलिया के नीचे कच्ची बस्ती, बम्बोरी कच्ची बस्ती, रेलवे स्टेशन, शहर, बजरिया स्थित हरिजन बस्ती, फुटपाथ पर रहने वाले करीब 300 किशोर व बालक विषम परिस्थितियों के चलते इस कार्य में लगे हुए हैं।
5 हजार हैं ड्रॉप आउट व अनामांकित 

सर्व शिक्षा अभियान कार्यालय से के अनुसार जिले में वर्तमान में करीब पांच हजार बालक ड्राप आउट व अनामांकित हैं। उन्हें शिक्षा से जोडऩे के लिए बीईईओ के माध्यम से शिक्षा की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए आवासीय व गैर आवासीय शिविर चलाए जाने के लिए प्रस्ताव भिजवाए जाते है, लेकिन इस बार प्रस्ताव ठण्डे बस्ते में है। इन शिविरों चलाने के लिए कम से कम 15 बालक उस बस्ती में होना जरूरी है।
बस्तियों में भी नहीं स्कूल

अनदेखी के चलते शहर की कच्ची बस्तियों में स्कूल तक नहीं है। हम्मीर पुलिया के नीचे स्थित कच्ची बस्ती में वर्ष 2013 में स्कूल खोला था। इससे स्कूल में करीब 150 छात्रों का नामांकन भी हो गया था, लेकिन कुछ दिन बाद ही भवन के लिए जगह नहीं मिलने पर उसे रेलवे स्टेशन के समीप स्थित राउप्रावि सेकसरिया में मर्ज कर दिया गया। स्कूल दूर होने से बालक शिक्षा ग्रहण नहीं कर पा रहे हैं। इसी प्रकार बम्बोरी में भी स्कूल नहीं है।
नहीं है योजना

बाल कल्याण समिति जिले में भिक्षावृत्ति से जुड़े बालकों को रेस्क्यू कर उन्हें परिजनों के सुपुर्द कर शिक्षा व समाज की मुख्यधारा से जोडऩे का काम करती है। सरकार की ओर से भिक्षावृत्ति से जुड़े बालकों के मुख्यधारा से जोडऩे के लिए कोई योजना नहीं है।
महेन्द्र मीणा, सहायक निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, सवाईमाधोपुर

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