वार्ड में सिर्फ 20 बेड, जमीन में पैर रखने जगह नहीं
प्रबंधन अस्पताल कायाकल्प बदलने में भले ही तमाम प्रयास कर रहा हो लेकिन बुनियादी सुविधाओं पर फोकस नहीं है। यहां सिर्फ 20 बेड हैं। हर दिन यहां पर 20 से 25 प्रसूताएं पहुंचती हैं। एएनसी और पीएनसी प्रसूताओं को कई बार बेड नहीं मिलता है। इस स्थिति में जमीन में ही लेटना पड़ जाता है। अस्पताल में बेड न होने से हालात यह है कि कई प्रसूताएं जमीन पर लेटकर इलाज करा रही हैं। सबेजिससे प्रसूता वार्ड के भीतर पैर रखने के लिए भी जगह नहीं है। सबसे ज्यादा प्रसव के वक्त दिक्कतें होती हैं।
वार्ड में डॉक्टर तो खाली हो जाता है ओपीडी
जानकारी के अनुसार, जिला अस्पताल के प्रसूता वार्ड के लिए चार डॉक्टरों की ड्यूटी लगाई गई है। कई मर्तबा ट्रेनिंग और छुट्टी में जाने से पूरा वार्ड बिना डॉक्टरों के चलता है। कोई वैकल्पिक व्यवस्था न होने से डॉक्टर ही नहीं रहते हैं और नर्सो को प्रसव कराना पड़ता है। उधर मेडिकल कॉलेज के डॉक्टरों की ड्यूटी प्रसूता वार्ड में होने की वजह से पूरा ओपीडी ही खाली हो जाता है। जिससे प्रसूता महिलाओं का काफी परेशानी की होती है, और इलाज समय पर नहीं मिल पाता। इस संबंध में सीएमएचओ डॉ राजेश पांडे ने कहा कि डॉक्टरों की ड्यूटी के लिए बात करता हूं। बेहतर व्यवस्था कराई जाएगी। बेड बढ़ाने प्रयास किया जाएगा।