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मध्यप्रदेश के इस चिकित्सालय में बीते एक माह से नहीं हो रहा आर्थो का ऑपरेशन

locationशाहडोलPublished: Jun 29, 2022 11:28:40 am

Submitted by:

shubham singh

अंदाज से चिकित्सक लिख रहे दवाई

मध्यप्रदेश के इस चिकित्सालय में बीते एक माह से नहीं हो रहा आर्थो का ऑपरेशन

मध्यप्रदेश के इस चिकित्सालय में बीते एक माह से नहीं हो रहा आर्थो का ऑपरेशन

शहडोल. जिला चिकित्सालय में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा के लिए दूर दराज से आए मरीजों को बेहतर सुविधा नहीं मिल पा रही है। चिकित्सालय में हड्डी रोग से जुड़े मरीजों के इलाज में इन दिनों
खानापूर्ति करते हुए इलाज किया जा रहा है जानकारी के अनुसार सीआर्म मशीन खराब होने से इन दिनों आर्थो के मरीजों का इलाज हो पाना मुश्किल हो रहा है। हड्डी रोग से संबंधित हर दिन 20 से 30 मरीज अपनी परेशानी लेकर अस्पताल पहुंच रहे हंै। इनकेे इलाज के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक अंदाज से ही दवाइयां लिख रहे है। जांच के लिए बीते एक माह से अधिक समय से मशीन खराब होने के कारण आर्थो मरीजों का न तो ऑपरेशन हो पा रहा है और न ही जांच। जिसके लिए डॉक्टर सिर्फ एक्सरे कराकर दवाइयां लिख रहे हंै। आर्थो के मरीजों के लिए सी-आर्म मशीन ऑपरेशन कक्ष में लगाया गया है। जहां मरीजों को अत्याधुनिक सी-आर्म से जांच के बाद ऑपरेशन किया जाता है। ऑपरेशन करने में कारगर है सी-आर्म
जानकारों ने बताया कि हड्डी के बारीक ऑपरेशन लिए इस्तेमाल में आने वाली सी-आर्म मशीन अत्याधुनिक टेक्नालॉजी वाला मल्टीपर्पज एक्स-रे सिस्टम है। इसमें कई टुकड़ों में टूट चुकी हड्डी को भी पूर्व की तरह बारीकी से जोडऩे की क्षमता है। इस सिस्टम से किए ऑपरेशन में हड्डी के जुडऩे के वक्त टेढ़ापन जैसी स्थिति निर्मित नहीं होती। इस मशीन के सहारे रॉड व प्लेट शिफ्ट करने जैसे मेजर ऑपरेशन कम मिनट में कर लिए जाते हैं।
एक माह पहले रिपेयर के लिए निकाले पार्टस
बीते एक माह पहले सी-आर्म मशीन के सुधार के लिए इंजीनियर्स को बुलाया गया था। जो रिपेयर के लिए मशीन का पाट्र्स निकाल ले गए थे। लेकिन पाट्र्स का रिपेयर नहीं हो सका। बताया गया है कि मशीन काफी पुरानी होने के कारण पाट्र्स नहीं मिल पा रहे हैं जिससे सुधार पाना मुश्किल हो रहा है। कुल मिलाकर मशीन कराब हो चुकी है। जब तक नई मशीन नहीं आएगी तब तक हड्डी के ऑपरेशन चिकित्सालय में नहीं हो पाएंगे।
इनका कहना है
मशीन काफी पुराना है जो अब उपयोग करने लायक नहीं है। नए मशीन के लिए दो बार पत्राचार किया जा चुका है।
डॉ. जीएस परिहार, सिविल सर्जन।

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