पंचकर्म के लिए 100 से ज्यादा आते हैं मरीज
आयुष अस्पताल में पंचकर्म कराने के लिए 100 से लेकर 115 तक मरीज पहुंचते हैं, लेकिन इनका पंचकर्म उपचार नहीं हो पाता है। ऐसे में इन मरीजों को बाकी उपचार नारी शोधन, सुस्त स्वेदन आदि करके रवाना कर दिया जाता है। अस्पताल में जून में 103 मरीज इलाज के लिए पहुंचे। वहीं जुलाई में 113 मरीज पहुंचे।
ओपीडी में जांच कर रवाना कर देते हैं मरीज
इसके चलते मरीजों को केवल ओपीडी में देखकर रवाना कर दिया जाता है। ओपीडी सुबह 8 बजे से दोपहर 1 बजे तक तथा शाम 4 से 6 बजे तक ही खुली रहती है। इसके बाद बंद हो जाती है और मरीजों को रवाना कर दिया जाता है।
30 बेड का आयुष अस्पताल
जिला आयुष विंग के तहत 30 बेड का आयुष अस्पताल बनवाया गया है। लेकिन इसमें न तो कर्मचारी रखे गए हैं न मरीजों को खाना उपलब्ध कराने के लिए कोई व्यवस्था की गई है। अस्पताल में मरीजों को भर्ती नहीं किए जाने के पीछे उनके लिए खाना का उपलब्ध नहीं होना भी है। भर्ती मरीजों को बे्रड और दूध दिया जाना चाहिए। अस्पताल में कर्मचारियों की भी कमी है। अस्पताल में तीन डॉक्टरों का पद है लेकिन वर्तमान में केवल एक डॉक्टर आयुष अस्पताल में पदस्थ हैं। एक डॉक्टर का ट्रांसफर हो गया है जबकि दूसरी डॉक्टर जिला आयुष अधिकारी के पद पर तैनात हो चुकी हैं। वर्तमान में डॉक्टर से लेकर सभी कर्मचारी मात्र 6 हैं। कर्मचारियों की कमी के चलते मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। अस्पताल में तीन कंपाउंडर का पद है। इसमें एक कंपाउंडर को आफिस में अटैच कर बाबू बना दिया गया है।
केरल से आई थी किट, पूरे शरीर की होती है सिकाई
बताया गया कि किट पूर्व में किट केरल से आई थी। पंचकर्म में गैस किट नहीं होने से सर्वांग स्वेदन नहीं हो पा रहा है। इसमें पूरे शरीर की गैस से सिकाई होती है। कई मरीज वापस भी लौट जाते हैं। जिला आयुष अधिकारी डॉ हेमलता सिंह ने कहा कि कर्मचारियों की कमी के चलते मरीजों को भर्ती नहीं किया जा रहा है। इस संबंध में अधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है। भोपाल से कर्मचारी भर्ती होकर आने वाले हैं। इसके बाद मरीजों को अस्पताल में भर्ती किया जाएगा। पंचकर्म उपचार के लिए गैस किट नहीं मिल रहा है। इसमें बाकी उपचार हो रहा है। किट मंगाने के लिए प्रयास किया जा रहा है।