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वादे न दावे, तेवर न हमलावर… क्या बदल गए सरकार ?

locationशाहडोलPublished: Apr 25, 2018 01:53:27 pm

Submitted by:

Akhilesh Shukla

प्रधानमंत्री के बदले हुए तेवर से हैरान हुआ मीडिया, भाजपाई भी दिखे ठंडे-ठंडे

PM Modi special Speech, Mandla Ramnagar

@शिवमंगल सिंह
शहडोल- मंडला जिले के रामनगर में मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी के भाषण में न वो तेवर था और न ही तुर्शी। वादे और दावे करने की भी उनकी अपनी शैली है, वो भी नहीं दिखी। विपक्ष पर वो जिस तरह से हमलावर रहते हैं, वह भी नहीं थे। आदि उत्सव में प्रधानमंत्री का जो रूप नजर आया, उससे लोग हैरान दिखे। खासकर वे जो हेडलाइंस की तलाश में थे। अपने चहेते नेता तेवरों पर फिदा रहने वाले उत्साही भाजपा कार्यकर्ता भी ठंडे-ठंडे ही रहे। वहां बैठे कुछ लोगों ने इस पर चुटकी भी ली क्या सरकार बदल गए हैं?

 

प्रधानमंत्री ने दो दिन पहले अपने सांसदों नेताओं को जो नसीहत दी थी कि मीडिया को मसाला न दें, लगता है वे भी इस पर अक्षरश: अमल कर रहे हैं, तभी तो उनके आज के भाषण से विपक्ष पूरी तरह गायब था। प्रधानमंत्री ने एक भी ऐसा मुद्दा नहीं उठाया, जिस पर विपक्ष को निशाना बनाया जा सके। प्रधानमंत्री ने देश की फिजा में तैर रहे मुद्दों, चर्चाओं में से सिर्फ एक मामले को छुआ। चूंकि दुष्कर्म मामले में कड़ा कानून बनाने पर मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री की सराहना कर दी थी, इसलिए उन्होंने इस मामले को बहुत संक्षिप्त में निपटाया, वह भी नसीहत भरे अंदाज में।

 

उन्होंने मौत की सजा वाले कानून को न तो सरकारी की उपलब्धि बताया और न ही उस पर कोई खास उत्साह दिखाया। राहुल गांधी के लगातार हमले, संसद गतिरोध, कर्नाटक का सियासी समर, चीफ जस्टिस पर कांग्रेस का महाभियोग मामला, किसी पर भी उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की। विपक्ष और खासकर कांग्रेस की भ्रष्टाचार पर खिंचाई करने से कभी न चूकने वाले मोदी ने आज पूरे भाषण में किसी का जिक्र नहीं किया। एक बार जरूर जब उन्होंने आदिवासी शहीदों की यादों को सहेजने की बात कही, वहां उन्होंने बेहद संक्षिप्त में कहा कि आजादी का इतिहास कुछ परिवारों तक सिमटकर रह गया है।

 

कहीं बदली हुई रणनीति का हिस्सा तो नहीं
हमेशा विपक्ष पर हमलावर रहने वाले प्रधानमंत्री खेत, पंचायत और गांव तक सीमित रहे। विपक्ष के किसी भी नेता का नाम नहीं लिया। विकास न होने का ठीकरा भी उन्होंने किसी पर नहीं फोड़ा। यहां तक कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान , केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने भी किसी पर आरोप-प्रत्यारोप नहीं लगाया। इस पूरे मामले से राजनीतिक समीक्षक, मीडिया और नेता सभी चौंके हुए थे।

 

लेकिन वहां ये भी चर्चा का विषय रहा कि कहीं ये बदली हुई रणनीति तो नहीं कि विपक्ष को बेवजह चर्चा में लाने की क्या जरूरत है। जिस तरह ेसे पूरी तरह प्रधानमंत्री ग्रामीण भारत को बदलने पर जोर दे रहे थे। खेत, किसान, आदिवासी, गांवों के कल्याण की बात कर रहे थे, उससे ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि इस बार के चुनावी महाभारत में खेत ही कहीं कुरुक्षेत्र तो नहीं बनने जा रहे हैं? जिस तरह से विपक्ष सरकार को सांप्रदायिकता, बेरोजगारी, दलित, महिला सुरक्षा पर घेर रहा है, उसकी काट के लिए सरकार पूरी लड़ाई खेतों तक खींचकर ले जाना चाहती हो?

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