कम उम्र से बच्चे पैदा होने लगते हैं
आज भी कई ऐसे पिछड़े इलाके व गांव हैं, जहां बाल विवाह की परंपरा प्रचलित है जिसके कारण कम उम्र से ही बच्चे पैदा होने शुरू हो जाते हैं, फलस्वरूप अधिक बच्चे पैदा होते हैं। शिक्षा का अभाव जनसंख्या वृद्धि की एक बड़ी वजह है।रूढि़वादी सोच और पुरुष-प्रधान समाज में लड़के की चाह में लोग कई बच्चे पैदा कर लेते हैं।आज भी कई ऐसी जगहें हैं, जहां बड़े-बुजुर्गों की ऐसी सोच होती है कि यदि उनकी पुश्तैनी धन-संपत्ति अधिक है, तो उसे आगे बढ़ाने और संभालने के लिए ज्यादा लड़के पैदा किए जाएं। कई मामलों में शादीशुदा जोड़ों पर बच्चे पैदा करने का दबाव तक बनाया जाता है। परिवार नियोजन के महत्व को समझाए बगैर ही युवाओं की शादी कर देना भी एक मुख्य कारण है। इस तरह की बातों पर आज भी घर-परिवारों में चर्चा करना गलत समझा जाता है और बिना अपने युवा बच्चों को संबंधों और उनके परिणामों के बारे में बताए बगैर ही सीधे उनकी शादी कर दी जाती है। ऐसे में कई मामलों में लोग अज्ञानतावश ही बच्चे पैदा कर बैठते हैं। आज भी लड़कियों को गर्भ निरोधक के उपाय संबंधित जानकारी शादी के पहले नहीं दी जाती है और कई मामलों में शादी के बाद भी कैसे अनचाहे गर्भ से बचें, उन्हें इसकी जानकारी तक नहीं होती है। गरीबी भी जनसंख्या बढऩे का मूल कारण है।
जनसंख्या बढ़ी तो पांच गुना बढ़े वाहन, प्रदूषण भी बढ़ा
परिवहन विभाग की मानें तो पिछले 18 साल के भीतर वाहनों की संख्या में पांच गुना इजाफा हुआ है। इससे प्रदूषण का स्तर भी बढ़ा है। हर साल 30 हजार से ज्यादा सिर्फ बाइकों की बिक्री शहडोल में हो रही है। तीन हजार कार हर साल लोग खरीद रहे हैं। बढ़ती जनसंख्या का असर प्रदूषण में भी देखने को मिल रहा है।
इस तरह रूक सकती है जनसंख्या
घर-घर तक पहुंचकर लोगों को जनसंख्या रोकने के तरीके व विकल्प बताएं। युवाओं का 25-30 की उम्र से पहले विवाह न करें और 2 बच्चों के बीच कम से कम 5 साल का अंतर रखने की वजह समझाएं। जनसंख्या वृद्धि की रोकथाम के लिए इसे सामाजिक और धार्मिक स्तर पर जोड़ें। अधिक बच्चे पैदा करने वालों का सामाजिक स्तर पर बहिष्कार करें, क्योंकि दूसरे भी यदि ज्यादा बच्चे पैदा करते हैं, तो इसका असर आपके बच्चों के भविष्य पर भी पड़ेगा।