मध्यप्रदेश में विंध्य के शहडोल, उमरिया, अनूपपुर में अच्छी क्वालिटी का महुआ होता है। शहडोल संभाग छत्तीसगढ़ से सटा होने की वजह से हर साल महुआ फूल छत्तीसगढ़ और झारखंड के लिए व्यापारी सप्लाई कर देते हैं। यहां आदिवासियों से 40 से 45 रुपए में खरीदी के बाद स्टॉक कर देते हैं फिर दाम बढ़ते ही 60 से 70 रुपए में महुआ फूल दूसरे प्रदेशों में सप्लाई कर देते हैं। इसकी छत्तीसगढ़ में ज्यादा मांग है। बाद में यही महुआ 75 रुपए प्रति किलो फुटकर में व्यापारी बाजार में बेचते हैं।
वन विभाग एक दो दिन के भीतर समर्थन मूल्य में महुआ फूल खरीदने की तैयारी में है। शहडोल क्षेत्र में पर्याप्त महुआ होने की वजह से उमरिया में इस बार लक्ष्य भी बढ़ाया गया है। संभाग में सबसे ज्यादा उमरिया का टारगेट हे। इसके अलावा वन विभाग ने इस बार शहडोल और कटनी में भी कोल्ड स्टोरेज की भी व्यवस्था की है। सरकार ने आदिवासियों के नाम से पेड़ बांट दिए हैं। आदिवासी वृक्षों को संरक्षित भी कर रहे हैं और सालभर सहेजने के बाद महुआ फूल से आर्थिक सशक्त भी हो रहे हैं।
सरकार महुआ वाइन की तैयारी कर रही है। आदिवासी इलाकों में महुआ वाइन को लेकर निर्णय भी सरकार ने लिया है लेकिन अभी प्रोसेसिंग की कोई व्यवस्था ही नहीं बनाई है। प्रोसेसिंग हचोने से माल भी बाहर नहीं जाएगा और सही दाम पर खरीदी होने से आदिवासी ग्रामीणों की आय भी बढ़ेगी।
इस तरह सुपरफूड महुआ से ग्रामीणों की बढ़ सकती है आय
वनोपज में कई वर्षों से काम कर रहे जयप्रकाश काछी कहते हैं, सुपरफूड महुआ स्वास्थ्य के लिए भी काफी उपयोगी है। महुआ के लड्डू, चिक्की बनाकर मार्केट उपलब्ध कराया जा सकता है। महिलाओं में खून बढ़ाने के साथ कैल्शियम और आयरन बढ़ाने में भी मदद करता है। सरकार को इस दिशा में आजीविका केन्द्र बनाकर इनके प्रोडक्ट की खरीदी करनी होगी, तभी आदिवासी सशक्त होंगे।
पीके वर्मा, मुख्य वन संरक्षक