अधिकारियों के अनुसार, पूर्व में टाइगर सफारी का प्रस्ताव गया था। इसके बाद एनटीसीए की टीम ने दौरा किया था और स्थिति देखी थी। उस वक्त 400 से 500 हेक्टेयर में टाइगर सफारी प्रस्तावित थी। बाद में एनटीसीए ने आपत्ति की थी। जिसके बाद मामला शांत हो गया था। अब दोबारा नए तरीके से कई बिंदुओं पर संशोधन करते हुए भेजा जा रहा है। अधिकारियों की मानें तो अब 40 से 60 हेक्टेयर के क्षेत्रफल में टाइगर सफारी तैयार होगी।
अधिकारियों की माने तो टाइगर सफारी में घायल और रेस्क्यू के बाद कैप्चर बाघों को यहां रखा जाएगा। इसके साथ ही कई बुजुर्ग बाघों को भी यहां शिफ्ट किया जाएगा। बांधवगढ़ और कान्हा नेशनल पार्क प्रबंधन इसके लिए अभी से तैयारियां भी शुरू कर दिया है। टाइगर सफारी से जहां आय बढ़़ेगी, वहीं पार्को में दबाव कम होगा।
बांधवगढ़ और कान्हा नेशनल पार्क के डायरेक्टरों ने रायपुर में जंगल सफारी का कान्सेप्ट समझा। यहां पर चार अलग- अलग इन्क्लोजर के बारे में समझा। इसके साथ ही नाइट हाउसिंग, काउंटर के अलावा वन्यजीवों के रहन सहन और बंद गाडिय़ों के आने जाने के बारे में जानकारी ली।
बिनसेट रहीम, क्षेत्र संचालक
बांधवगढ़ नेशनल पार्क
एम कृष्णमूर्ति, क्षेत्र संचालक
कान्हा नेशनल पार्क