मेकेनाइज्ड लांड्री में तैयार होते है मरीजों के संक्रमण रहित कपड़े

Shiv Mangal Singh | Publish: Sep, 05 2018 09:02:18 PM (IST) Shahdol, Madhya Pradesh, India
मशीनों से होती है अस्पताल के कपड़ों की धुलाई
शहडोल. संभागीय मुख्यालय स्थित जिला अस्पताल में मरीजों की चादरें, तकिया की खोलियां और डॉक्टर व नर्सों की ओटी ड्रेस धुलाई मशीनों से की जा रही है, ताकि यह सभी कपड़े संक्रमण रहित हो सके और मरीजों को शीघ्र स्वास्थ्य लाभ मिल सके। गौरतलब है कि प्रदेश के मात्र चार जिला अस्पतालों में लांड्री की सुविधा मुहैया कराई गई है। जिसमें शहडोल जिला भी शामिल है। शहडोल के जिला अस्पताल में करीब दो वर्ष पूर्व जिला अस्पताल में मेकेनाइज्ड लांड्री की स्थापना की गई थी। जिसका शुभारंभ जिला प्रभारी मंत्री राजेन्द्र शुक्ल ने किया था।
तीन यूनिटों में होती सफाई
बताया गया है कि जिला अस्पताल के मेकेनाइज्ड लांड्री में तीन यूनिट लगाए गए है। पहला यूनिट वाशिंग मशीन है, जिसकी एक साथ करीब सौ कपड़े धोने की क्षमता है। दूसरा यूनिट ड्रायर मशीन का है। जो एक साथ सौ कपड़ों को सूखाने की क्षमता रखता है। इसी प्रकार तीसरे यूनिट में कपड़ों में प्रेस किया जाता है। इन सभी मशीनों के आपरेट के लिए मात्र दो कर्मचारी लगाए गए है।
बायो केमिकल वेस्ट से होता है बचाव
बताया गया है कि अस्पताल में मरीजों के कपड़ों को बायो केमिकल वेस्ट माना जाता है। जिनकी धुलाई से संक्रमण व गंदगी फैलने की पूरी संभावना रहती है। धुलाई का पानी नदी व नालों सहित अन्य जल स्त्रोतों मिलकर उन्हे दूषित करता है। साथ भूमिगत जल भी प्रदूषित होता है, मगर मेकेनाइज्ड लांड्री में इन सबसे बचाव हो जाता है।
कम खर्चे में अच्छी धुलाई
बताया गया है कि मेकेनाइज्ड लांड्री में कपड़ों की धुलाई में प्रति कपड़ा तीन से साढ़े तीन रुपए का खर्चा आता है, जबकि हाथों की धुलाई में प्रति कपड़ा पांच से आठ रुपए तक का खर्चा आता था। मशीन मेें अच्छी क्वालिटी का सोडा डालना पड़ता है। इसके अलावा बरसात के मौसम में कपड़ों को सुखाने की झंझट भी नहीं रहती क्योंकि ड्रायर मशीन में कपड़े झट से सूख जाते हैं।
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