scriptजनता के सब्र का इम्तिहान न ले रेल प्रशासन अन्यथा होगा वृहद आंदोलन | Railway administration should not test the patience of the public, oth | Patrika News

जनता के सब्र का इम्तिहान न ले रेल प्रशासन अन्यथा होगा वृहद आंदोलन

locationशाहडोलPublished: Aug 18, 2019 09:11:22 pm

Submitted by:

brijesh sirmour

पत्रिका के टॉक-शो में रेल समस्याओं पर नागरिकों ने किया विचार मंथन

Railway administration should not test the patience of the public, otherwise there will be huge agitatio

Railway administration should not test the patience of the public, otherwise there will be huge agitatio

शहडोल. दक्षिण-पूर्व-मध्य रेलवे मंडल द्वारा बिलासपुर-कटनी रेलमार्ग पर पिछले दस महीनों से ट्रेनों को रद्द करके यात्रियों को परेशान किए जाने के विरोध में अब आदिवासी अंचल की जनता काफी परेशान हो चुकी है और आगामी माह सितम्बर में रेल प्रशासन के खिलाफ एक वृहद आंदोलन की तैयारी की जा रही है। नागरिकों को स्पष्ट कहना है कि रेल प्रशासन आदिवासी अंचल की जनता के सब्र का इंतेहा न ले अन्यथा इसका खामियाजा उसे ही भुगतना होगा। इतिहास साक्षी है कि अपनी जायज मांगों को पूरा करवाने के लिए आदिवासी अंचल के लोगों का जब आक्रोश भडक़ता है, तब लोग प्रशासन के लाठी-डंडों से भी नहीं डरते और जेेल जाने का भी उन्हे कोई खौफ नहीं रहता हैं। इसके बाद भी यदि रेल प्रशासन की मंशा आदिवासी अंचल की जनता को परेशान करने की बन चुकी है, तो एक बार फिर वृहद आंदोलन का झेलने के लिए रेल प्रशासन अब तैयार हो जाए। यह विचार रविवार को पत्रिका कार्यालय में आयोजित टॉक-शो में आदिवासी अंचल के प्रबुद्ध नागरिकोंं एवं रेल संघर्ष समितियों के प्रमुखों ने व्यक्त किया। नागरिकों का यह भी कहना था कि क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों की शून्यता का पूरा फायदा रेल प्रशासन उठा रहा है, मगर अब जनप्रतिनिधि भलीभांति समझ गए है कि यदि उन्होने यदि जनता का साथ नहीं दिया तो भविष्य में जनता उन्हे जनप्रतिनिधि के रूप में नहीं चुनेगी।
मालगाड़ी को क्यों रद्द नहीं करते?
बिलासपुर-कटनी रेलमार्ग पर सप्ताह के दो दिन चार-चार यात्री गाडिय़़ोंं को रद्द करते हैं, मगर मालगाडिय़ों को प्रतिदिन निकालते है। जबकि रेलवे के नियमानुसार पटरियों पर पहले यात्री रेलगाडियों के निकलने का हक है। इसके बाद भी यात्री गाडिय़ों को रोक प्रतिदिन 40 से 50 मालगाडिय़ां निकाली जा रही है। आखिर मालगाडिय़ों को क्यों नहीं रद्द किया जाता है।
राजेन्द्र कुुमार सोनी, दैनिक रेल यात्री, शहडोल

जनप्रतिनिधियों ने साध रखी है चुप्पी
पिछले एक साल से लोकल ट्रेनों को रद्द करके एसी व लम्बी दूरी की टे्रनों को नियमित चलाया जा रहा है। जबकि लंबी दूरी की एसी रेलगाडिय़ों में ज्यादा यात्री भी नहीं रहते औ र अक्सर खाली ही रहती है। लोकल ट्रेनों से छोटे व्यापारी व दैनिक यात्रियों को काफी परेशानी होती है। दिल्ली व भोपाल जाने वाले जनप्रतिनिधियों को कोई परेशानी नहीं होती। इसलिए शायद उन्होने चुप्पी साध रखी है।
सलीम खान, संभागीय अध्यक्ष, रेल यात्री संघ।

जनसमूह की दिखानी होगी ताकत
एक समय वह था जब जनता के डर से कभी भी कोई यात्री ट्रेन रद्द नहीं होती थी। लोग ज्ञापन भी सौंपते थे तो उनकी मांगे पूरी होती थी, मगर वर्तमान में ट्रेनों को रद्द करने की परंपरा ही बनती जा रही है और मालगाडिय़ों के चलाने का प्रचलन बढ़ता जा रहा है। इसलिए अब राजनीतिक दल से उपर उठकर रेल प्रशासन को हम सबको जन समूह की ताकत दिखाने का वक्त आ गया है।
राजेश्वर उदानिया, समाजसेवक, शहडोल

हम लाठी-डंडों व गिरफ्तारी से नहीं डरते
दिवासी अंचल में जिस प्रकार ट्रेनों को रद्द करके रेलयात्रियों को परेशान किया जा रहा है, उससे तो यही प्रतीत होता है कि इस अंचल में सक्षम नेतृत्व की कमी है। इतिहास साक्षी है कि रेल समस्याओं के समाधान के लिए इसी अंचल के सैकड़ों लोगों ने पुलिस प्रशासन की लाठियां खाई है और जेल भी गए है। हम भी लाठी-डंडो से नहीं डरते और आंदोलन में हम पूरा साथ देंगे।
कृष्णचन्द्र चतुर्वेदी, वरिष्ठ कांग्रेसी, शहडोल

रेलवे की बैठक में उठाउंगा सारे मुद्दे
ट्रेनों को रद्द करना आदिवासी अंचल की जनता से जुड़ा ज्वलंत मुद्दा है। मैं इस मुद्दे को आगामी 20 व 21 अगस्त को बिलासपुर में होने वाली मंडल स्तरीय बैठक में उठाउंगा। हालांकि बिजली घरों तक कोयला पहुंचाना रेलवे की प्राथमिकता में शामिल है। इसीलिए ट्रेनों को रद्द किया जा रहा है, मगर यह समस्या विकट हो गई है और इसका समाधान जरूरी है।
संतोष लोहानी, सदस्य, रेलवे सलाहकार समिति।

बेलगाम हो गया है रेल प्रशासन
रेलवे के विकास और सुधार कार्य के नाम पर ट्रेनों को रद्द करना अब क्षेत्र की जनता के लिए सिरदर्द बन गया है। इसके लिए जागरूक यात्री कई बार रेल प्रशासन को ज्ञापन सौंप चुके है, मगर रेल प्रशासन कोई तबज्जो नहीं दे रहा है और वह बेलगाम होकर मनमानी पर उतारू हो गया है। क्षेत्र की जनता व जनप्रतिनिधियों की चुप्पी का पूरा फायदा रेल प्रशासन उठा रहा है।
अखिलेश शर्मा, दैनिक रेल यात्री, शहडोल

सांसद हिमाद्री ङ्क्षसह ने रेलमंत्री को लिखा पत्र
शहडोल. संसदीय क्षेत्र की सांसद हिमाद्री सिंह ने गत दिवस भारत सरकार के रेल मंत्री को पत्र लिखकर जहां एक ओर बिलासपुर एवं जबलपुर रेलवे जोन की रद्द अनेक रेलगाडिय़ों को निर्वाध तरीके से संचालित किए जाने की मांग की है। वही दूसरी ओर कटनी-शहडोल रेल मार्ग से नागपुर के लिए सुपर फास्ट ट्रेन चलाने की मांग की है। साथ ही बरौनी-गोंदिया-बरौनी एक्सप्रेस का बिरसिंहपुर पाली में स्टापेज दिए जाने की मांग को प्राथमिकता देने को कहा है।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो