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मरीज की मौत के बाद भी आईसीयू में रखकर वसूली, दो पर मामला दर्ज

locationशाहडोलPublished: Sep 26, 2021 12:04:39 pm

Submitted by:

Hitendra Sharma

पहले बना देते थे बिल, बाद में डॉक्टर्स से लिखवाते थे जांच, जांच में देवांता अस्पताल की करतूत उजागर, लाइसेंस निरस्त की प्रक्रिया शुरू।

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शहडोल. शहर के देवांता अस्पताल में महिला की मौत के बाद भी जिंदा बताकर वेंटिलेटर में रखने और प्रबंधन व डॉक्टरों की लापरवाही मामले में जांच के लिए शनिवार को अधिकारियों की टीम अस्पताल पहुंची। अपर कलेक्टर अर्पित वर्मा के साथ सीएमएचओ डॉ एमएस सागर और डॉक्टरों की टीम ने मरीज की केस हिस्ट्री के साथ अस्पताल के दस्तावेज खंगाले। इस दौरान देवांता अस्पताल प्रबंधन की कई करतूत सामने आई है। टीम के अनुसार, जांच में देवांता अस्पताल में कई खामियां सामने आई है।

अधिकारियों ने अंतरिम रिपोर्ट तैयार कर ली है। अस्पताल का लाइसेंस भी निरस्त किया जा रहा है। टीम ने दस्तावेजों को जब्त करते हुए जांच की है। जिसमें महिला मरीज के इलाज में भी लापरवाही के साथ धोखाधड़ी उजागर हुई है। जांच टीम के अनुसार, पहले अस्पताल प्रबंधन द्वारा जांच के लिए मरीजों का बिल काट दिया जाता था। बाद में डॉक्टर से संबंधित जांच लिखवाई जाती थी। इस तरह मरीजों से जांच के नाम पर भी मनमाने तरीके से राशि वसूली जाती थी।

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13 को बिल काटा, 14 को लिखाई जांच
जानकारी के अनुसार, अस्पताल में भर्ती करने के बाद महिला की 13 सितंबर को डायलिसिस करनी थी। इसके लिए देवांता अस्पताल प्रबंधन ने 13 को बिल भी काट दिया था लेकिन दो दिन तक डायलिसिस नहीं कराई। बाद में 14 सितंबर को डॉ दीपक पाल से केस शीट पर जांच लिखवाई गई और इसके बाद 15 से डायलिसिस हुई। जांच टीम के घेरे में डॉ दीपक पाल भी हैं। जांच टीम की भनक लगते ही देवांता अस्पताल के प्रबंधक और डॉक्टरों द्वारा रजिस्टर में भी हेरफेर किया गया। जांच टीम ने रजिस्टर जब्त किया है।

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मौत के बाद भी जमा कराई राशि
सीएमएचओ डॉ एमएस सागर के अनुसार, जांच के दौरान यह बात सामने आई है कि देवांता अस्पताल प्रबंधन द्वारा मरीजों से शासन द्वारा निर्धारित शुल्क के अतिरिक्त ज्यादा वसूला जा रहा था। मनमाने तरीके से इलाज के नाम पर पैसा लिया जा रहा था। इसके अलावा जिस दिन महिला की मौत हुई है, उस वक्त भी अस्पताल प्रबंधन द्वारा राशि जमा कराई गई है।

लाइसेंस निरस्त की प्रक्रिया
जांच टीम की रिपोर्ट में कई गड़बडिय़ां सामने आने के बाद देवांता अस्पताल प्रबंधन के खिलाफ लाइसेंस निरस्त की प्रक्रिया की जा रही है। जांच रिपोर्ट एडीएम के माध्यम से कलेक्टर डॉ वंदना वैद्य को सौंपी जाएगी। इसके बाद अग्रिम कार्रवाई होगी। जांच टीम ने अग्रिम कार्रवाई तक के लिए अस्पताल के संचालन पर रोक लगा दी है। इस दौरान जो मरीज भर्ती थे, उन्हे मेडिकल कॉलेज में शिफ्ट कराया है।

दूसरे अस्पतालों में भी विजिट
जांच टीम ने देवांता अस्पताल के डॉ दीपक पाल को भी बुलाया। अधिकारियों ने बयान दर्ज किया है। जिसमें कई अलग-अलग बात सामने आई है। डॉ दीपक पाल दूसरे अस्पताल में भी सेवाएं दे रहे हैं। यहां पर डॉक्टर की सूची में नाम दर्ज था। जबकि इलाज बीएचएमएस (होम्योपैथी) के डॉक्टर कर रहे थे। देवांता अस्पताल प्रबंधक डॉ बीके त्रिपाठी और डॉ बृजेश पांडेय के खिलाफ हाल ही में पुलिस ने धोखाधड़ी सहित कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है। जांच के दौरान प्रबंधक और डॉक्टर दोनों गायब थे।

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