जिन डॉक्टरों के आधार पर मिली अनुमति, वे ही नहीं मिले
देवांता अस्पताल को पंजीयन देते समय जिस स्टाफ की सूची संलग्न की गई थी, उसमें से अधिकांश डॉक्टर वर्तमान में नहीं मिले हैं। अधिकारियों ने साफ कहा है कि यदि स्टाफ बदलाव किया गया था तो इसकी जानकारी सीएमएचओ कार्यालय को देनी चाहिए थी लेकिन देवांता अस्पताल प्रबंधन ने कोई जानकार नहीं दी। अस्पताल का पंजीयन करते समय पात्रता थी या नहीं, इसकी जांच होनी चाहिए।
एटीएम और पैरामेडिकल दस्तावेजों की अटकी जांच जांच टीम ने अंतिम रिपोर्ट में कहा है कि देवांता अस्पताल में कई संदिग्ध दस्तावेज मिले हैं। पत्रिका पूर्व में ही इसका खुलासा किया था।
अस्पताल में एटीएम और पैरामेडिकल दस्तावेज मिले थे। इसमें छात्रवृत्ति से मामला जुड़ रहा था। अधिकारियों ने पत्राचार भी किया लेकिन मामले में कार्रवाई अटकी हुई है।
ये था मामला
संतोष कुमार राठौर निवासी चोरभटठी अनूपपुर ने थाने में शिकायत दर्ज कराई थी कि देवांता अस्पताल के प्रबंधक डॉ बीके त्रिपाठी और डॉ बृजेश पांडेय द्वारा पत्नी का सही उपचार नहीं किया गया है। पीडि़त के अनुसार, भय दिखाकर पैसे ले लिए और पत्नी की मौत के बाद भी मुझे जानकारी नहीं देकर कई कोरे कागजों में दस्तखत कराए जा रहे थे। इस दौरान कई बार धोखाधड़ी कर कई बार पैसे भी लिए गए। जब महिला की मौत हो गई, तब भी जानकारी नहीं दी गई थी।