कम डोज लगाकर लैब टेक्निशीयन और नर्स बाहर बेचती थे इंजेक्शन
दो दिन पहले पुलिस ने रेमडीशिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के मामले में मेडिकल कॉलेज की स्टाफ नर्स, लैब टेक्निीशिन और लैब अटैडेन्ट के साथ मेडिकल स्टोर संचालक को गिरफ्तार किया था। जिनके पास से रेमेडीशिविर इंजेक्शन के साथ नगदी व अन्य सामग्री जब्त की गई थी। मेडिकल कॉलेज में पदस्थ उक्त कर्मचारी मरीजों को लगने के लिए जारी होने वाले रेमडीशिविर इंजेक्शन की डोज को रजिस्टर में दर्ज करने के बाद मरीजों को लगाने की वजाय उन्हे चोरी छिपे मेडिकल स्टोर संचालक को दे देते थे। जिन्हे बाद में मरीजों को औने-पौने दामो में बेचा जाता था।
सवाल – 1
इंजेक्शन लगाने के बाद खाली वायल की क्या व्यवस्था है?
– कमिश्नर ने मरीजों के इंजेक्शन लगने के बाद खाली वायल रखने के निर्देश दिए थे। वीडियो भी बनाना था लेकिन प्रबंधन के पास कोई पुख्ता रेकार्ड नहीं है। गिनती के खाली वायल है। अधिकांश के नहीं हैं।
सवाल – 2
क्या रेमडेसिविर इंजेक्शन डॉक्टरों की देखरेख में लग रहे थे?
प्रबंधन के अनुसार, स्टाफ कम होने की वजह से स्टोर से नर्सों को सीधे इंजेक्शन दे दिया जाता था। डॉक्टरों की देखरेख में होना था लेकिन कई मामलों में नर्सों को हस्ताक्षर कराकर दे दिए गए थे।
सवाल – 3
क्या सभी मरीजों को इंजेक्शन डॉक्टरों के सुपरविजन में दिया गया?
– प्रबंधन के अनुसार, मेडिकल कॉलेज के तीन डॉक्टरों की टीम बनी हुई है। ये निर्धारित करती है, किस मरीज को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगना है। पूरे रेकार्ड खंगाले जा रहे हैं।
सवाल – 4
स्टॉक इंचार्ज कौन था। इंजेक्शन कब और किस मरीज को जारी हुए थे?
– जांच कराई जा रही है। नर्सों को सीधा इंजेक्शन नहीं देना था। डॉक्टरों की निगरानी में रेमडेसिविर इंजेक्शन लगना था। जांच में दोषी मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
रेडक्रॉस और निजी अस्पतालों के मिलान में भी खुलेगी कलई
निजी अस्पतालों को जिला रेडक्रॉस सोसाइटी के माध्यम से रेमडेसिविर इंजेेक्शन मिलते थे। इसमें भी गड़बड़ी से जुड़े सुराग पुलिस के हाथ लग रहे हैं। मरीजों की संख्या, जारी होने वाले कुल इंजेक्शन, खाली वायल के मिलान से हेरफेर सामने आ सकता है। सूत्रों की मानें तो शहडोल से कई वायल रेमडेसिविर की सप्लाई अधिकारियों के घरों के अलावा दूसरे जिलों में भी भेजी गई है।