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जहाँ धर्मान्तरण की सबसे अधिक चुनौती, आरएसएस का वहीँ जमावड़ा

locationशाहडोलPublished: Dec 19, 2017 10:48:55 pm

Submitted by:

shivmangal singh

युवाओं को राष्ट्रीयता-हिंदुत्व का पाठ पढ़ाएगा आरएसएस, यहां तीन दिन तक जुटेंगे आरएसएस के बड़े नेता
 
 

RSS will teach the youth a nationality-Hindutva lessons

RSS will teach the youth a nationality-Hindutva lessons

शहडोल। जिस क्षेत्र में धर्मांतरण एक बड़ी चुनौती है, वहां पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के बड़े नेता तीन दिन २३, 24, 25 दिसंबर को डेरा डाले रहेंगे। इन तीन दिनों तक आरएसएस के बड़े पदाधिकारी और वक्ता युवाओं को हिन्दुत्व और राष्ट्रीयता का पाठ पढ़ाएंगे। आरएसएस के कार्यकर्ता इस बड़े आयोजन को सफल बनाने के के लिए महीनों पहले से जुटे हुए हैं। कई महीने पहले इस आयोजन की तैयारी की जा रही है। इसका मकसद आरएसएस के सिद्धांतों, उसकी उद्देश्यों की युवाओं की जानकारी देने के साथ-साथ इस इलाके में ईसाई मिशनरियों को टक्कर देना है। ऐसा माना जाता है कि आदिवासी बाहुल्य इलाका होने की वजह से यहां पर अन्य इलाकों की अपेक्षा धर्मांतरण अधिक होता है। इसको रोकने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एड़ी-चोटी का जोर लगाया हुआ। आरएसएस ने यहां पर कई तरह के प्रकल्प भी चलाए हुए हैं, जिसमें धर्म, शिक्षा और चिकित्सा से जुड़े सेवा के कार्य किए जाते हैं।

जुटेंगे चार जिलों के ढाई हजार छात्र
युवाओं के लिए आयोजित हो रहे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिविर में चार जिलों शहडोल, उमरिया, अनूपपुर और डिंडोरी जिले के ढाई हजार छात्र इसमें भाग लेंगे। ये सभी छात्र आरएसएस की गणवेश में होंगे। इनके पास सफेद शर्ट, आरएसएस ने अभी हाल ही में फुलपेंट शुरू की है वह, काले जूते, कपड़े की बेल्ट के साथ-साथ एक लाठी भी उनके पास रहेगी। कड़कड़ाती ठंड में ये सभी छात्र तीन दिन तक शिविर में रहेंगे। ये शिविर शहडोल के पांडवनगर स्थिति सरस्वती उच्चतर माध्यमिक स्कूल में आयोजित किया जाएगा।

महीनों पहले से संपर्क
युवाओं को शिविर में शामिल करने के लिए आरएसएस के स्वयंसेवक, प्रचारक और अन्य पदाधिकारी महीनों पहले से तैयारी में जुटे हुए थे। आरएसएस के लोगों का प्रयास था कि इस शिविर में वे युवा आएं जो आरएसएस से पहले से जुड़े हुए नहीं हैं। इसकी वजह है कि अधिक-अधिक से अधिक नए लोगों तक विचारधारा को पहुंचाना। महीनों पहले इसके लिए बैठकें शुरू की गईं थीं। ढाई हजार युवाओं को शामिल करने का लक्ष्य रखा गया था। स्वयंसेवकों ने दिन रात मेहनत करके इन युवाओं को इस शिविर में शामिल होने के लिए तैयार किया है।

बौद्धिक के साथ-साथ शारीरिक प्रशिक्षण भी
इस तीन दिवसीय शिविर में युवाओं के दिलो-दिमाग में राष्ट्रीयता और हिन्दुत्व का बीज बोने की वक्ता और पदाधिकारी कोशिश तो करेंगे ही साथ में इन युवाओं को शारीरिक प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। सुबह पांच बजे से कड़ाके की ठंड में युवाओं का प्रशिक्षण शुरू होगा। इसमें तमाम शारीरिक गतिविधियों के साथ-साथ दंड प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। इसके बाद देर रात तक प्रशिक्षण की गतिविधियां चलतीं रहेंगी। इसमें कई वक्ता और विषयों के जानकार अपनी बात रखेंगे।

अपने खर्चे पर पहुंचेंगे युवा
इस प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए ढाई हजार युवा अपने खर्चे पर शामिल होंगे। संघ के जितने भी आयोजन होते हैं, इसमें भागीदारी करने वाले को खुद ही पैसा खर्च करना होता है। इसमें शामिल होने वाले युवा खुद के पैसों से गणवेश खरीदेंगे। इसके अलावा शिविर में शामिल होने के लिए कुछ शुल्क भी जमा करेंगे। इसके अलावा खाने-पीने की व्यवस्था संघ अपने स्वयंसेवक और कार्यकर्ताओं के माध्यम से करेगा।
कई दिन से चल रही तैयारी
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इस शिविर के लिए सरस्वती उच्चतर माध्यमिक स्कूल पांडव नगर शहडोल में कई दिन से तैयारी चल रही है। शिविर २३, २४ और २५ दिसंबर को रहेगा। कई पदाधिकारियों ने अभी से ही शिशु मंदिर स्कूल में डेरा डाल लिया है। यहां युवाओं के रुकने, खानी-पीने आदि व्यवस्थाओं को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
ये पदाधिकारी होंगे शामिल
इस शिविर में प्रांत संघचालक भरतशरण सिंह के अलावा क्षेत्र शारीरिक प्रमुख प्रवीण कुमार, नागेंद्र के अलावा कई अन्य प्रचारक और पदाधिकारी शामिल होंगे। संभावना जताई जा रही है कि क्षेत्र प्रचारक अरुण जैन भी समापन समारोह में शामिल हो सकते हैं। हालांकि बताया जा रहा है कि उस दिन भोपाल में सरसंघ चालक मोहन भागवत भोपाल में होंगे। ऐसी स्थिति में उनका यहां पहुंचना मुश्किल भी हो सकता है।
धर्मांतरण इस इलाके में बड़ी चुनौती
शहडोल संभाग के तीनों जिले शहडोल, अनूपपुर, उमरिया और डिंडोरी में धर्मांतरण को लेकर संघ के सामने एक बड़ी चुनौती है। आदिवासी बाहुल्य इलाका होने की वजह से यहां पर धर्मांतरण के मामले भी अधिक सामने आते हैं। संघ के तो कई पदाधिकारी यहां तक आरोप लगाते हैं कि धर्मांतरण रोकने में कई भाजपा नेता तक उनके आड़े आ जाते हैं, जिसमें मंत्री तक शामिल हैं। इसको लेकर भी संघ के पदाधिकारियों में छटपटाहट है। हालांकि संघ यहां पर आदिवासियों के बीच कई सेवा प्रकल्प चलाता है, लेकिन उसे धर्मांतरण रोकने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ रही है।
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