परिजन कह रहे थे- बाहर ले जाएंगे फिर भी डॉक्टरों ने हार नहीं मानी, किया स्वस्थ
मेडिकल कॉलेज प्रबंधन के अनुसार, लाइनमैन और रीढ़ की हड्डी टूटने का पहला मामला था। इस पर डॉक्टरों ने उसे एक चैलेंज के रूप में लिया और उसका इलाज किया। परिजन यहां रखना नहीं चाह रहे थे। हालत भी बिगड़ रही थी। दूसरे अस्पताल या बाहर ले जाने से संक्रमण बढऩे का खतरा था। पूरे एक माह तक उसका इलाज चलता रहा और अंतत: पूरी तरह से स्वस्थ हो गया। अब मेडिकल कॉलेज से डिस्चार्ज किया गया है।
शुगर बीपी और फैक्चर के बाद फेफड़ों तक संक्रमण , टीम बनाई, शुरू किया इलाज
कोरोना संक्रमित होने के बाद युवक को 9 अगस्त को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया था। युवक को बीपी और शुगर की भी बीमारी थी। इससे इलाज के दौरान हालत और खराब हो गई। इसके बाद उसे मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में भर्ती कराया गया। उसके परिजनों के साथ बिजली अधिकारी उसे जबलपुर ले जाना चाहते थे लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें समझाया। लाइनमैन से बिस्तर पर उठते बैठते भी नहीं बन रहा था।