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मां की मौत के बाद बाड़े में रखकर सिखाया शिकार, अब जंगल में करेगा राज

locationशाहडोलPublished: Jun 26, 2020 12:25:19 pm

Submitted by:

Ramashankar mishra

हाथियों पर चढ़कर लगाया डार्ट, बेहोशी के बाद रेस्क्यूजंगल में भेजने से पहले कल्लवाह में किया शिफ्टबहेरहा बाड़े से कल्लवाह में शिफ्ट किया नर बाघएक सप्ताह के बाद अस्थायी बाड़े से कर दिया जाएगा आजाद एक वर्ष पहले कल्लवाह से ही रेस्क्यू कर ले जाया गया था बहेरहा

मां की मौत के बाद बाड़े में रखकर सिखाया शिकार, अब जंगल में करेगा राज

मां की मौत के बाद बाड़े में रखकर सिखाया शिकार, अब जंगल में करेगा राज

शहडोल. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के अंतर्गत मगधी परिक्षेत्र के बहेरहा स्थित बाड़े में रखे नर बाघ को रेस्क्यू वाहन से कल्लवाह परिक्षेत्र में बनाए अस्थाई बाड़े में रखा गया है। जहां उसे एक सप्ताह तक रखा जाएगा और उसके सामान्य होने पर बाड़े से आजाद कर दिया जाएगा। बांधवगढ़ नेशनल पार्क के क्षेत्र संचालक बीसेन्ट रहीम ने बताया कि उक्त नर बाघ को 30 जुलाई 2019 को कल्लवाह परिक्षेत्र से 12-14 माह की उम्र में रेस्क्यू कर लाया गया था। इस शावक की मां एवं भाई को एक अन्य नर बाघ द्वारा मार दिया गया था। जिसके बाद बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के दल द्वारा गश्ती कर इस शावक का पता लगाते हुए रेस्क्यू कर बहेरहा लाया गया था।
सिखाया गया शिकार
बहेरहा बाड़े में नर बाघ को रखकर उसे धीरे-धीरे जीवित वन्यप्राणी दिए गए। यहां पर उसे शिकार करना भी सिखाया गया। यहां शिकार करना सीखा वयस्क होने की स्थिति में इस नर बाघ का परीक्षण सहायक वन्यजीव शल्यज्ञ डॉ. अभय सेंगर द्वारा किया गया। परीक्षण में इसे पूर्ण रूप से स्वस्थ्य एवं शिकार करने में सक्षम पाए जाने पर उसे पुन: वहीं छोड़े जाने की अनुशंसा की गई जहां से रेस्क्यू कर लाया गया था। निरीक्षण के दौरान उसे वहां छोड़े जाने के लिए उपयुक्त पाया गया आौर प्रतिवेदन प्रधान मुख्य वन संरक्षक वन्यप्राणी एवं मुख्य वन्यजीव अभिरक्षक मप्र भोपाल को भेजा गया।
पहले भी किया जा चुका है प्रयोग
गौरतलब है कि माह अप्रैल में भी मगधी परिक्षेत्र के बहेरहा स्थित बाड़े से एक नर बाघ को पनपथा कोर परिक्षेत्र में छोड़ा गया था एवं छोड़े जाने के पूर्व उसे जिस स्थल पर छोड़ा जाना था वहां एक अस्थाई बाड़ा तैयार किया गया था। इस बाड़ा में 7 दिन रखे जाने के उपरांत बाड़े को खोल दिया गया। जिससे वह नर बाघ आसपास के वातावरण का अभ्यस्त हो गया एवं उसी परिक्षेत्र को वह अपनी टेरिटरी बना लिया इसी अनुभव के आधार पर कल्लवाह में भी एक अस्थाई बाड़ा तैयार किया गया। जिसमें नर बाघ के भोजन के लिए पूर्व से ही 6 जीवित चीतल छोड़े गए साथ ही पानी पीने के लिए एक सॉसर भी रखी गई।
ऐसे चला बाघ शिफ्टिंग के लिए रेस्क्यू
सुबह 9.30 बजे बहेरहा के बाड़ा क्रमांक 8 से इस बाघ को निश्चेतित करने के लिए ऑपरेशन चलाया गया। जिसके दौरान क्षेत्र संचालक बांधवगढ़ विसेन्ट रहीम, सहायक संचालक धमोखर आरएन चौधरी, सहायक संचालक ताला अनिल कुमार शुक्ला, परिक्षेत्र अधिकारी मगधी एवं धमोखर, सहायक वन्यजीव शल्यज्ञ डॉ. अभय सेंगर की उपस्थिति थे। बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के हाथी अष्टम एवं रामा पर चढ़कर बाड़ा के अंदर इस नर बाघ को डार्ट लगाया गया एवं इसके निश्चेतित हो जाने के उपरांत स्ट्रेचर पर लादकर इसे रेस्क्यू वाहन के पिंजरे में रखा गया। बेहोशी की अवस्था में ही इसकी माप-जोख एवं शरीर के तापमान लिए गए एवं पिंजरे के अंदर डाले जाने के उपरांत इसे पुन: होश में लाने के लिए इन्जेक्शन लगाया गया। नर बाघ को रेस्क्यू वाहन से 11.30 बजे कल्लवाह लाया गया एवं बाड़े को एक स्थान से खोलकर पिंजरे का मुंह बाड़े के अंदर रखकर उसका दरवाजा खोल दिया गया। लगभग 8 घंटे बाद नर बाघ ने बाड़े में प्रवेश किया। बाघ के स्वास्थ्य की निरंतर निगरानी की जा रही है एवं इसके व्यवहार के अनुरूप 7-10 दिन बाद बाड़ा को खोल दिया जायेगा जिससे स्वच्छंद रूप से कल्लवाह परिक्षेत्र के अंतर्गत विचरण कर सके।

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