तकनीकी बदलाव भी हुए
टेलीफोन में तकनीकी में बदलाव भी आता गया और सेटलाइट बैट्री नान मल्टीपूल एक्सचेंज स्थापित हुए। मैग्नेट एक्सचेंज के दौर में विभाग को बैट्री भी उपभोक्ताओं को देनी पड़ती थी। जबकि सीबीएनएम एक्सचेंज के दौर में इस समस्या से राहत मिल गई, क्योकि एक्सचेंज में ही बैट्री लगने लगी। बात करने के लिए एक्सचेंज में घण्टी करनी पड़ती थी। उपभोक्ता के काल करते ही एक्सचेंज में बल्ब जलने लगता था। आपरेटर तत्काल काल अटेण्ड कर उपभोक्ता के बताए नम्बर पर बात कराता था।
नए उपकरणों से भी लेस हुआ टेलीफोन
सत्तर के दशक में स्ट्राउजर एक्सचेंज लगे। उस दौर में हजारों लोगों को टेलीफोन कनेक्शन मिला। उपभोक्ता सीधे अपने शुभचिंतकों के नम्बर पर बात करने लगे। एक्सचेंज के आपरेटर की भूमिका खत्म हो गई। इसके बाद ई-टेन बी एक्सचेंज लगा। वर्तमान में एनजीएन तकनीकी के उपकरण लगाए जा रहे है। मोबाइल आने के बाद बेसिक टेलीफोन के प्रति लोगों का रुझान कम हुआ। अब सिर्फ उन्हीं लोगों के घर टेलीफोन सेवा का इस्तेमाल हो रहा है जो लोग ब्राडबैण्ड कनेक्शन लिए है।
इनका कहना है
टेलीफोन में जिस प्रकार से बदलाव हुआ है, उससे ऐसा प्रतीत होता है कि इसका दौर फिर लौट रहा है। वर्तमान में कापर पेयर्स लाइन की जगह अब आप्टिकल फाइवर केवल का इस्तेमाल हो रहा है। जिससे ब्रांडबैण्ड की स्पीड काफी बढ़ जाएगी और वार्तालाप भी काफी क्लीयरटी आएगी।
एन के सल्लाम, एजीएम, दूरसंचार विभाग, शहडोल