छात्रावास में बच्चों को खुद बनान पड़ रहा भोजन, अब तक नहीं शुरु हुई मेस
छात्रावासों में नहीं बन पाई समुचित व्यवस्था, छात्र संख्या भी कम
छात्रावास में बच्चों को खुद बनान पड़ रहा भोजन, अब तक नहीं शुरु हुई मेस
शहडोल. कोविड के बाद छात्र-छात्राओं के लिए छात्रावासों का संचालन फिर से प्रारंभ कर दिया गया है। लेकिन अभी भी यहां समुचित व्यवस्थाएं छात्रों के लिए नहीं हो पाई है। कहीं छात्रों के रहने की समुचित व्यवस्था नहीं है तो कहीं छात्रों को स्वयं खाना बनाना पड़ रहा है। लगभग दो माह से अधिक समय से संचालित इन छात्रावासों में अभी भी समुचित व्यवस्थाएं नहीं हो पाई है। जिससे छात्र अभी भी यहां रहने से कतरा रहे हैं। अब जब ठंड जोर पकडऩे लगा है तो उस लिहाज से भी अभी व्यवस्थाओं की कमी है। छात्रावासों में बिजली मेंटेंनेंस, कमरो का मेंटेनेंस, खिड़की दरवाजों की स्थिति अभी भी सही नहीं है। ऐसे में छात्रों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
केस ०१
मेस संचालित नहीं, साफ-सफाई का अभाव
सोहागपुर स्थित महाविद्यालयीन आदिवासी बालक छात्रावास में १०० सीट होने के बाद भी अभी यहां १२-१३ बच्चे ही रह रहे हैं। छात्रों की माने तो उक्त छात्रावास में मेस की व्यवस्था भी नहीं है। ऐसे में जो छात्र रह रहे हैं उन्हे स्वयं ही भोजन पकाना पड़ता है। छात्रावास के खिड़की दरवाजे भी समुचित ढ़ंग से व्यवस्थित नहीं है। अब जब ठंड बढ़ रहा है तो उसके हिसाब से भी अभी समुचित व्यवस्थाएं नहीं की गई है।
छात्रावास फुल, व्यवस्थाओं का अभाव
नगर के बीचो-बीच गांधी स्टेडियम के समीप स्थित आदिवासी सीनियर एवं अनुसूचित जाति बालक छात्रावास में टाइल्स लगवाने के साथ ही समुचित साफ-सफाई भी कराई गई है। अभी भी यहां सुविधाघर सहित कुछ समस्याएं बनी हुई है। मेस चल तो रहा है लेकिन व्यवस्थित संचालन न होने की वजह से छात्रों को परेशानी होती है। बिजली के उलझे तार और समुचित फिटिंग न होने से दुर्घटना की आशंका बनी हुई है।