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रसूखदारों के हाथ करा दिया गरीब आदिवासियों की 60 एकड़ भूमि का सौदा, कलेक्टर ने दी थी अनुमति

locationशाहडोलPublished: Jan 16, 2022 12:29:11 pm

Submitted by:

Ramashankar mishra

विधानसभा में मुद्दा उठने के बाद तूल पकड़ा मामला, रसूखदारों को बिक्री हुई अधिकांश भूमिआदिवासियों की 60 एकड़ भूमि गैर आदिवासियों को बेचने कलेक्टर ने दी थी अनुमतिप्रशासन ने भेजी जानकारी, तत्कालीन कलेक्टर का किया बचाव, कहा- नियमानुसार दी थी अनुमतियां

रसूखदारों के हाथ करा दिया गरीब आदिवासियों की 60 एकड़ भूमि का सौदा, कलेक्टर ने दी थी अनुमति

रसूखदारों के हाथ करा दिया गरीब आदिवासियों की 60 एकड़ भूमि का सौदा, कलेक्टर ने दी थी अनुमति

शहडोल. संभाग में आदिवासियों की भूमि खरीदी-बिक्री का बड़ा खेल चल रहा है। रोक के बावजूद बड़े अफसर नियमों में हेरफेर कर गैर आदिवासियों के नाम भूमि का सौदा करा रहे हैं। संभाग के उमरिया में तत्कालीन कलेक्टर ने 82 दिन के भीतर आदिवासियों की 60 एकड़ से ज्यादा भूमि गैर आदिवासियों को बेचने के लिए अनुमतियां दे दी थी। अधिकांश अनुमतियां और रजिस्ट्री रसूखदारों के नाम हुई है। नियमों के पेंच के बाद भी तत्कालीन कलेक्टर ने आदिवासियों की भूमि गैर आदिवासी के हाथ बेचने एक के बाद एक अनुमतियां देते गए। अब इस भूमि का उपयोग कमर्शियल में किया जा रहा है। हाल ही में उमरिया में विधानसभा में आदिवासी की भूमि गैर आदिवासी को बेचने का मुद्दा भी उठा था। इसके बाद प्रशासन ने जानकारी भेजी है। अधिकारियों ने तत्कालीन कलेक्टर का बचाव करते हुए भेजी गई जानकारी में कहा है कि धारा 165 (6) के तहत भूमि की बिक्री की अनुमति दी गई है।
82 दिन 7 अनुमतियां रसूखदार गैर आदिवासियों के नाम
उमरिया में ढाई माह के भीतर आदिवासियों की भूमि बिक्री के लिए 7 अनुमतियां दी गई थी। इसमें सभी 7 रजिस्ट्री और अनुमति आदिवासियों की भूमि गैर आदिवासी को बेचने के लिए अनुमति दी गई थी। बताया गया कि 26 हेक्टेयर भूमि यानी 60 एकड़ से ज्यादा भूमि गैर आदिवासी को बेच दी गई है। ये अनुमतियां 27 दिसंबर 2018 से 18 मार्च 2019 के बीच दी गई है। बड़े स्तर पर आदिवासियों की भूमि गैर आदिवासी को बेचने के मामले में अधिकारियों पर भी अब कई सवाल उठ रहे हैं। तत्कालीन कलेक्टर का लोस चुनाव के वक्त अनुमतियां देना कई तरह के सवालों के घेरे में है।
विस में कहा-भ्रष्टाचार की शिकायत, प्रशासन ने कहा- 165 (6) में दी अनुमति
विधानसभा में विधायक पीसी शर्मा ने आदिवासियों की भूमि गैर आदिवासियों को बेचने का मुद्दा उठाया था। उन्होने कहा था कि तत्कालीन कलेक्टर ने कार्यकाल के दौरान 27 दिसंबर 2018 से 18 मार्च 2019 के कुल 82 दिन में जिन आदिवासियों की भूमि क्रय विक्रय की अनुमति दी गई थी उसमें भ्रष्टाचार की शिकायतें हैं। इधर प्रशासन ने विधानसभा जवाब भेजा है। जिसमें कहा है कि आदिवासियों की भूमि तत्कालीन कलेक्टर द्वारा भू राजस्व संहिता की धारा 165 (6) के तहत अनुमतियां दी गई हैं।
कहीं रेसार्ट तो कहीं पर कमर्शियल उपयोग
आदिवासियों की भूमि गैर आदिवासियों को बेचने के बाद अब कहीं पर रेसार्ट तो कहीं कमर्शियल उपयोग में लिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार, अधिकांश भूमि कृषि योग्य थी। जिसे तत्कालीन कलेक्टर ने गैर आदिवासियों को बेचने अनुमति दी थी। इसमें राजनीतिक पार्टियों के पदाधिकारी भी शामिल हैं। चर्चा है कि एक रेसार्ट की भूमि आदिवासी के नाम दर्ज था। जिसे बाद में गैर आदिवासी के नाम दर्ज की है।
इनका कहना है
रेकार्ड देखता हूं। अनुमतियां नियमानुसार नहीं दी गई हैं तो गलत हैं। जांच कराएंगे।
-राजीव शर्मा, कमिश्नर।

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