scriptThe fire broke out in the blood bank at midnight due to short circuit, | शार्ट सर्किट से आधी रात ब्लड बैंक में लगी आग,घटना के बाद अग्निशमन यंत्र ढूंढते रहे कर्मचारी | Patrika News

शार्ट सर्किट से आधी रात ब्लड बैंक में लगी आग,घटना के बाद अग्निशमन यंत्र ढूंढते रहे कर्मचारी

locationशाहडोलPublished: Sep 26, 2022 11:53:04 am

Submitted by:

shubham singh

आग बुझाने नहीं थे इंतजाम,प्रबंधन की बड़ी लापरवाही आई सामने

शार्ट सर्किट से आधी रात ब्लड बैंक में लगी आग,घटना के बाद अग्निशमन यंत्र ढूंढते रहे कर्मचारी
शार्ट सर्किट से आधी रात ब्लड बैंक में लगी आग,घटना के बाद अग्निशमन यंत्र ढूंढते रहे कर्मचारी

शहडोल. जिला चिकित्सालय स्थित ब्लड बैंक में शनिवार की रात शार्ट सर्किट से आग भड़क गई। हालांकि आग बिल्डिंग में फैलने से पहले ही बुझा ली गई, लेकिन इस दौरान अफरा-तफरी मच गई। ब्लड बैंक में फायर सेफ्टी के इंतजाम न होने के कारण करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया गया।
शनिवार की रात एक जरूरतमंद महिला को समाजसेवी रक्तदान करने गए थे। इसी दौरान ब्लड बैंक में लगे एसी में शार्ट सर्किट हुआ और आग लग गई। देखते ही देखत आग भड़क गई। ब्लड बैंक में अग्निशमन यंत्र उपलब्ध न होने के कारण समाज सेवी व कर्मचारियों को आग पर काबू पाने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ी। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि आग लगने के बाद अफरा-तफरी मच गई अस्पताल प्रबंधन करीब आधे घंटे के बाद अग्निशमन यंत्र उपलब्ध करा पाई। तब तक कर्मचारी व सामाजसेवी विद्युत सप्लाई को बंद कर आग पर काबू पाने का प्रयास किए। अस्पताल प्रबंधन घटना के दूसरे दिन ब्लड बैंक में पर्याप्त अग्निशमन यंत्र लगे होने की दलील देती रही है। जबकि घटना के बाद यंत्र को ब्लड बैंक पर लाकर रखा गया है।
जबलपुर हादसे के बाद भी नहीं चेता प्रशासन
बीते महीने जबलपुर के निजी अस्पताल में हुई आग्नि दुर्घटना के बाद प्रशासन एक्शन मोड दिखाई दिया लेकिन मामला शांत होने के बाद कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई। जिले में 16 निजी अस्पतालों को फायर एनओसी के लिए नोटिस जारी किया गया जिसमें आज भी पूरी कार्रवाई नहीं हो सकी। ब्लड बैंक में लगी आग पर समय रहते काबू नहीं पाया गया होता तो इस भवन से सटे बच्चा वार्ड व मेटरनिटी वार्ड भी आग की चपेट में आ सकते थे जिससे बड़ी दुर्घटना घटित हो सकती थी। जिला अस्पताल में फायर एनओसी को लेकर बड़ी लापरवाही बताई जा रही है। अस्पताल प्रबंधन ने बीते एक वर्ष पहले प्रोविजनल एनओसी लिया था। जबकि अभी तक संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास कार्यालय में टेंपरेरी के लिए आवेदन नहीं किया गया है। प्रोविजनल एनओसी एडवाइजरी के लिए जारी किया गया था। एक साल के भीतर अस्पताल में फायर सेफ्टी से जुड़े जरूरी उपकरणों की फिटिंग कर सभी दस्तवाजे तैयार करने के बाद टेंपरेरी के लिए एनओसी लेनी होती है।
प्रबंधन की दलील
आग की घटना के बाद अस्पताल प्रबंधन ने दलील दी है कि अस्पताल में भर्ती मरीज को रात में समाजसेवी रक्तादान करने आए थे। उसी समय ब्लड बैंक में शार्ट सर्किट से आग लग गई जिसका वीडियो बनाकर कर समाजसेवियों ने सोशल मीडिया में वायरल कर दिया। इससे जनमानस में गलतफहमी उत्पन्न हो गई।
इनका कहना है।
अस्पताल व ब्लड बैंक में पर्याप्त मात्रा में फायर एक्सटिंगुइशर उपलब्ध हंै। आग लगने के बाद एक्सट्रा और भेजा गया था।
जीएस परिहार, सिविल सर्जन
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ब्लड बैंक इंचार्ज से बात की गई। फायर सेफ्टी का इंतजाम होना बताया गया है। भविष्य में ऐसी घटना न हो इसके लिए इंतजाम किया जाएगा।
आरएस पांडेय, सीएमएचओ
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जिला अस्पताल को एक साल पहले प्रोविजनल एनओसी जारी किया गया था। जिसके बाद से प्रबंधन की तरफ से टेंपरेरी के लिए आवेदन नहीं किया गया है।
आरपी सोनी, संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास शहडोल

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