यहां दिखे दो हाथियों के पदचिन्ह
जयसिंहनगर वन परिक्षेत्र के अलग-अलग क्षेत्रों में दो हाथियों की मौजूदगी के संकेत मिले हैं। नदना, व वनचाचर बीट के साथ ही जयसिंहनगर व अमझोर के बार्डर में दो हाथियों के पदचिन्ह देखे गए हैं। जिसके बाद विभाग इन क्षेत्रो में पूरी तरह से सक्रिय हो गया है। जंगल से लगे क्षेत्रो में गश्ती बढ़ा दी गई है। लोगों को जंगल की ओर न जाने की समझाइश दी जा रही है। बावजूद इसके ग्रामीण मानने तैयार नहीं है जिससे वन अमले की मुसीबतें और बढ़ गई है।
जयसिंहनगर वन परिक्षेत्र के अलग-अलग क्षेत्रों में दो हाथियों की मौजूदगी के संकेत मिले हैं। नदना, व वनचाचर बीट के साथ ही जयसिंहनगर व अमझोर के बार्डर में दो हाथियों के पदचिन्ह देखे गए हैं। जिसके बाद विभाग इन क्षेत्रो में पूरी तरह से सक्रिय हो गया है। जंगल से लगे क्षेत्रो में गश्ती बढ़ा दी गई है। लोगों को जंगल की ओर न जाने की समझाइश दी जा रही है। बावजूद इसके ग्रामीण मानने तैयार नहीं है जिससे वन अमले की मुसीबतें और बढ़ गई है।
7-8 गांवो में प्रतिदिन कर रहे गश्ती
हाथियों की मौजूदगी के प्रमाण मिलने के बाद जयसिंहनगर वन परिक्षेत्र का लगभग 30 कर्मचारियों का स्टॉफ व अधिकारी ग्रामीणों की सुरक्षा में लग गए हैं। अधिकारी व कर्मचारी अलग-अलग टीम बनाकर मोहनी, बांसा, विनयका सहित 7-8 गांवो में प्रतिदिन गश्त कर लोगों को सुरक्षित करने में लगे हुए हैं। मुनादी कराने के साथ ही जंगल में जिन लोगो ने घर बना लिया है उन्हे बस्ती में पहुंचा रहे हैं।
हाथियों की मौजूदगी के प्रमाण मिलने के बाद जयसिंहनगर वन परिक्षेत्र का लगभग 30 कर्मचारियों का स्टॉफ व अधिकारी ग्रामीणों की सुरक्षा में लग गए हैं। अधिकारी व कर्मचारी अलग-अलग टीम बनाकर मोहनी, बांसा, विनयका सहित 7-8 गांवो में प्रतिदिन गश्त कर लोगों को सुरक्षित करने में लगे हुए हैं। मुनादी कराने के साथ ही जंगल में जिन लोगो ने घर बना लिया है उन्हे बस्ती में पहुंचा रहे हैं।
ग्रामीणों को समझाना सबसे बड़ी चुनौती
वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो उनके लिए ग्रामीणों को समझाना सबसे बड़ी चुनौती है। बस्ती में घर होने के बाद भी प्रत्येक गांव में 8-10 लोगों ने जंगल की सीमा में दूर-दूर घर बना रखा है। पूरा दिन बस्ती में रहने के बाद शाम के वक्त वह जंगल में बने घरों में चले जाते हैं। ऐसे में कोई भी अप्रिय घटना घटित होने की संभावना बनी रहती है। समझाइश देने के बाद भी वह मानने तैयार नहीं है।
वन विभाग के अधिकारियों की मानें तो उनके लिए ग्रामीणों को समझाना सबसे बड़ी चुनौती है। बस्ती में घर होने के बाद भी प्रत्येक गांव में 8-10 लोगों ने जंगल की सीमा में दूर-दूर घर बना रखा है। पूरा दिन बस्ती में रहने के बाद शाम के वक्त वह जंगल में बने घरों में चले जाते हैं। ऐसे में कोई भी अप्रिय घटना घटित होने की संभावना बनी रहती है। समझाइश देने के बाद भी वह मानने तैयार नहीं है।
वन परिक्षेत्र के कुछ जंगली क्षेत्रों में दो हाथियों के पदचिन्ह मिले हैं। जिसके बाद निगरानी बढ़ा दी है। कुछ ग्रामीणों ने जंगल में घर बना रखा है। जहां से उन्हे सुरक्षित बस्ती में पहुंचाया जा रहा है। गांवो में मुनादी कराई जा रही है।
रवीन्द्रनाथ तिवारी, वन परिक्षेत्राधिकारी अमझोर
रवीन्द्रनाथ तिवारी, वन परिक्षेत्राधिकारी अमझोर