बचपन से ही शिक्षा के प्रति विशेष रुझान रखने वाले आदर्श तिवारी के सपने बहुत ऊंचे थे। जिसे पूरा करने के लिये वह कड़ी मेहनत भी कर रहा था। जिसका आंकलन उसकी उपलब्धियों से बखूबी किया जा सकता है। कक्षा 10 वीं व 12 वीं में जहां उसने प्रदेश स्तर की प्रवीण्य सूची में अपना नाम दर्ज कराया था वहीं इंजीनियरिंग में प्रदेश में सुपर 100 की सूची में शामिल था। उसकी इस उपलब्धि पर सरकार सेे उसे पढ़ाई के साथ ही अन्य व्यवस्थाओं के लिये मदद का आश्वासन मिला था।
सड़क हादसे में आदर्श की मौत के साथ ही उसके माता पिता की उन उम्मीदों पर पानी फिर गया जिसके लिये वह दिन रात मेहनत करते थे। मां आंगनबाड़ी में व पिता छोटे-मोटे काम करके उसकी जरूरतों को पूरा करते थे। अब आदर्श की मौत ने उन्हे पूरी तरह से तोड़ दिया है और पूरा परिवार बिखर चुका है। उन्हे न तो कोई सरकारी मदद मिली और न ही जिले के किसी जन प्रतिनिधि ने ही उनकी सुध ली।