साहूकार का कर्ज पटाने मजदूरी बनी मजबूरी, पूर्व उपसरपंच की कहानी
शाहडोलPublished: May 25, 2020 09:03:46 pm
लाकडाउन के कारण खेती चौपट, अधिया में करा रहे खेती
The money lender’s helplessness became a compulsion, the story of the
शहडोल. एक तरफ असमय बारिश और ओले की मार तो दूसरी तरफ कोरोना संक्रमण के कारण लगे लाकडाउन ने छोटे और भूमिहीन किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। अब आगे कैसे किसानी करेंगे इसकी चिंता उन्हें अभी से सताने लगी है। हालात ऐसे हैं कि खेती और किसानी के लिए साहूकार से लिए गए कर्ज को चुकाने अब उन्हें साहूकार के यहां परिवार सहित मजदूरी कर कर्ज चुकाना पड़ रहा है और जब तक कर्ज नहीं चुकेगा तब तक मजदूरी करना उसकी मजबूरी हो गई है। यह दास्तां संभागीय मुख्यालय से लगे गांव मेढ़की निवासी किसान और पूर्व उप सरपंच हरिप्रसाद बैगा की है। अब तो तीन बेटों और एक बेटी तथा पत्नी के साथ घर बनाने की चिंता सता रही है। बारिश के कारण उसका घर गिर गया था, सरकारी मदद नहीं मिलने से वह परेशान है। लाकडाउन के कारण जहां काम काज बंद है, वहीं खरीफ की फसल की खेती की तैयारी नहीं कर पा रहा है। हरिप्रसाद को सरकारी मदद की उम्मीद है कि सरकार बीज और खाद मुहैया कराएगी और वह इसके बाद धान का रोपा लगाकर खेती कराएगा। हरिप्रसाद के पास स्वयं लगभग डेढ़ एकड़ जमीन है और दो एकड़ जमीन बांटेदार से लेकर खेती करेंगे।
बारिश में गिर गया मकान-
हरिप्रसाद का मकान तेज बारिश और ओले के कारण गिर गया, और पूरा परिवार घर के अन्दर झोपड़ी बनाकर गुजर बसर कर रहा है। वहीं सरकारी मदद नहीं मिलने से वह दो महीने से परिवार पालने में परेशान है। सरकारी राशन दुकान से खाद्यान मिला तो उसी से घर चला रहा है। हरिप्रसाद को किसी सरकारी योजना का लाभ अब तक नहीं मिला है, जबकि वह कभी ग्राम पंचायत का प्रतिनिधित्व करता रहा। आर्थिक स्थिति खराब होने के कारण वह बच्चों को कक्षा पांचवी तक ही शिक्षा दिला पाया और अब पूरे परिवार के सदस्य मजदूरी कर पेेट पालने पर मजबूर हैं।