दूर-दूर से आते हैं भक्त, सावन सोमवार को रहती है श्रद्धालुओं की भीड़
शाहडोल
Updated: July 24, 2022 12:30:43 pm
शहडोल. जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर सिंहपुर के पंचमठा मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है। मान्यता है कि पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान इसका निर्माण किया था और मंदिर में पांच स्थानों पर शिवलिंग की स्थापना की थी। हालांकि वर्तमान में यहां शिवलिंग नहीं हैं, लेकिन पांचों स्थानों पर इसकी संरचना मौजूद है। आज भी काफी संख्या में लोग इस मंदिर को देखने के लिए पहुंचते हैं। मंदिर का गुंबद करीब 50 फीट ऊंचा है। पांस में ही एक छोटा मंदिर भी है। जबकि परिसर में काली माता मंदिर, रामजानकी मंदिर और शिव मंदिर है। सावन सोमवार को शिव मंदिर में काफी संख्या में लोग पूजा करने के लिए पहुंचते हैं। काली मंदिर में दोनों नवरात्र में विशेष पूजा होती है और मेले का आयोजन किया जाता है।
काली मंदिर में नवरात्र में लगता है मेला
मंदिर प्रांगण में पंचमठा सहित कुल चार मंदिर हैं। प्राचीन काली माता का मंदिर भी है। यहां रोजाना सुबह शाम विशेष आरती होती है। वहीं नवरात्र में नौ दिनों तक अनुष्ठान किए जाते हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्र पर मेले का आयोजन भी किया जाता है। काली माता आसपास के सौ से अधिक गांवों की कुल देवी भी मानी जाती हैं। किसी भी मांगलिक कार्यक्रम में सबसे पहले माता जी को निमंत्रित किया जाता है।
पांडवों ने किया था निर्माण
मान्यता है कि पंचमठा मंदिर का निर्माण पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान किया था। राम जानकी मंदिर के पुजारी शत्रुघ्न दास ने बताया कि बचपन से बड़े-बुजुर्गों से सुनते आ रहे हैं कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने इस क्षेत्र में समय बिताया था। उसी दौरान सिंहपुर में रजहा मंदिर के किनारे मंदिर का निर्माण किया था। मंदिर में चार छोटे और एक बड़ा गुंबद था। इसके चलते इसका नाम पंचमठा पड़ा था। पास में ही एक छोटा मंदिर भी बनाया गया था। इसको मिलाकर पांच स्थानों पर शिवलिंग की स्थापना की गई थी।
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