कुएं से पानी निकालने के लिए हमेशा एक बाल्टी और रस्सी रखी रहती है। प्रसाद के रूप में पानी पीने का यह सिलसिला पिछले कई दशकों से चल रहा है और मंदिर प्रांगण का कुआं अब लोगों की आस्था का केन्द्र बन गया है। इस कुएं के पानी की दूर-दूर तक मांग है दूर दराज से कई लोग यहां बूढ़ी माता के दर्शन करने आते है और पानी पीने के बाद उसे बर्तनों में भरकर भी ले जाते हैं।
प्रांगण में बूढ़ी माता का प्रताप
बूढ़ी माता मंदिर के पुजारी नर्बद कचेर ने बताया है कि मंदिर परिसर में माता का काफी प्रताप है। जिसकी वजह से कुएं का पानी कभी कम नहीं होता और उसमें गंधक(सल्फर) की मात्रा भी कम नहीं होती। यह पानी कुएं से तो निकलता ही है। साथ ही कुछ वर्षों पहले कराए गए बोर से भी सल्फरयुक्त पानी ही निकल रहा है। इसके अलावा आसपास के क्षेत्र में अन्य कई लोगों ने बोर कराया है, लेकिन उनका पानी साधारण पानी ही है। यानि मंदिर प्रांगण में माँ के प्रताप से सल्फर युक्त पानी निकल रहा है। जिसका सेवन करने से पेट से संबंधित बीमारियों से निजात मिलती है और पानी से स्नान करने से चर्म रोग नष्ट हो जाते हैं। उन्होने बताया कि यहां दिल्ली, बनारस, कलकत्ता, भोपाल और इंदौर सहित काफी दूर से लोग पानी लेने आते हैं।
बूढ़ी माता मंदिर के पुजारी नर्बद कचेर ने बताया है कि मंदिर परिसर में माता का काफी प्रताप है। जिसकी वजह से कुएं का पानी कभी कम नहीं होता और उसमें गंधक(सल्फर) की मात्रा भी कम नहीं होती। यह पानी कुएं से तो निकलता ही है। साथ ही कुछ वर्षों पहले कराए गए बोर से भी सल्फरयुक्त पानी ही निकल रहा है। इसके अलावा आसपास के क्षेत्र में अन्य कई लोगों ने बोर कराया है, लेकिन उनका पानी साधारण पानी ही है। यानि मंदिर प्रांगण में माँ के प्रताप से सल्फर युक्त पानी निकल रहा है। जिसका सेवन करने से पेट से संबंधित बीमारियों से निजात मिलती है और पानी से स्नान करने से चर्म रोग नष्ट हो जाते हैं। उन्होने बताया कि यहां दिल्ली, बनारस, कलकत्ता, भोपाल और इंदौर सहित काफी दूर से लोग पानी लेने आते हैं।