मौत का सन्नाटा, साहब… ये पैसा लेकर क्या करेंगे, इस मासूम को पढ़ाकर नौकरी दे दो
शाहडोलPublished: May 10, 2020 08:31:32 pm
मौत का सन्नाटा, साहब… ये पैसा लेकर क्या करेंगे, इस मासूम को पढ़ाकर नौकरी दे दोजन
तीसरे दिन भी गांव में मौत का सन्नाटा, अधिकारी चेक लेकर पहुंचे तो भावुक हुए मृतकों के परिजन
शहडोल। साहब… जिसके सहारे में जीते थे, अब वो ही नहीं है। ये पैसे का क्या करेंगे। बुढ़ापे का सहारा कौन बनेगा। साहब ये पैसा आप रख लो। दीपक की एक याद ये मासूम है। इस मासूम को आप पढ़ाकर नौकरी दे दो, ताकि ये भी मजदूर न बने और माटी छोड़कर गांव छोडऩे के लिए मजबूर न हो। इतना कहते हुए दीपक के पिता अशोक भावुक हो जाते हैं। आर्थिक मजबूरी के बाद मजदूर दीपक महाराष्ट्र मजदूरी करने गया था। शुक्रवार को औरंगाबाद रेल हादसे में मृतक १६ मजदूरों में दीपक भी शामिल था। अत्येष्टि के बाद रविवार को अधिकारी चेक लेकर अंतौली गांव पहुंचे थे। सरकार द्वारा आर्थिक मदद के लिए पांच- पांच लाख रुपए का चेक दिया गया। चेक लेकर अधिकारी पहुंचे तो दीपक का परिवार फिर बिलखने लगा। दीपक के पिता डेढ़ साल का मासूम बच्चे को दिखाते हुए कहते हैं, ये दीपक की आखिरी निशानी है। हम नहीं चाहते ये भी माटी छोड़कर बड़े शहर में मजदूरी करने जाए। मृतकों के परिजनों ने चेक लेने से मना कर दिया था। परिजन काफी नाराज भी थे। हालांकि बाद में अधिकारियों ने समझाइश दी तब जाकर परिजन माने तो चेक लिए। औरंगाबाद रेल हादसे में शहडोल संभाग के १६ मजदूरों की दर्दनाक मौत हुई है। इसमें शहडोल के ११ और उमरिया के ५ मजदूर थे।
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अधिकारी कहते थे बड़े किसान हो, राशन नहीं मिलेगा, अब रख दिया अनाज
दीपक के पिता कहते हैं, बेटे की शादी २०१८ में हुई थी। डेढ़ साल का बेटा है। पिता की मौत से अनजान है। घर में आर्थिक मजबूरी थी तभी दीपक गांव छोड़कर गया था। इकलौता बेटा था, अब कमाने का जरिया क्या रहेगा। पूरा परिवार आर्थिक संकट से जूझेगा। अभी अधिकारी आ रहे हैं। मदद की बात करते हैं लेकिन बाद में सब पीछे हो जाएंगे। गांव में सिर्फ दो एकड़ जमीन है। यहीं अधिकारी पहले कहते थे तुम बड़े किसान है, इसलिए गरीबी रेखा का कार्ड नहीं बनाया था। एक कार्ड बना था, जिसमें राशन नहीं मिलता था। अधिकारियों के पास कई बार गया था लेकिन कोई सुनता नहीं था। पैसा और रोजी- रोटी की व्यवस्था होती तो दीपक यहां से नहीं जाता।
गांव में सन्नाटा, घरों से नहीं निकले ग्रामीण, नहीं जला चूल्हा
एक साथ ९ लोगों के शव दफनाने के बाद गांव में सन्नाटा रहा। घटना के तीसरे दिन बाद भी लोग घरों से बाहर नहीं निकले। घरों से बाहर सिर्फ चीखने और रोने की आवाज आ रही थी। यहां तक ही कई घरों का चूल्हा तक दोबारा नहीं जला। चूल्हे की ठण्डी राख ग्रामीणों का दर्द बयां कर रही है। पूरा गांव गमगीन रहा। उधर उमरिया के ममान गांव में भी मातम का माहौल रहा। पूरे गांव में सन्नाटा रहा।