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डिजिटल इंडिया के जमाने में कुछ स्कूल ऐसे भी हैं…

locationशाहडोलPublished: Nov 10, 2017 07:07:01 pm

Submitted by:

Shahdol online

किराए का मकान, भूखे पेट पढ़ाई

There are some schools in the era of Digital India

There are some schools in the era of Digital India

शहडोल/ रसमोहनी- देश डिजिटल युग की ओर आगे बढ़ रहा है। लेकिन जिले की प्राथमिक शिक्षा का स्तर नीचे जाता जा रहा है। जिला मुख्यालय से 65 किलोमीटर दूर साखी संकुल के चैनटोला गांव में किराए की खपरैल छत के नीचे शिक्षा का मंदिर संचालित हो रहा है। इतना ही नहीं यह शिक्षा का मंदिर एक-दो साल से नहीं पिछले पांच साल सें इसी टूटी खपरैल छत और कच्चे मकान में संचालित हो रहा है।
आजकल सरकारी स्कूलों में जहां अत्याधुनिक व्यवस्था दी जा रही है। तो वहीं ऐसे भी कुछ स्कूल हैं। जहां स्कूल भवन ही सही नहीं हैं। तो यहां और किन सुविधाओं की उम्मीद कर सकते हैं।
इस स्कूल में 30 छात्र मां सरस्वती का वरदान ले रहे हैं। पीने का पानी बच्चों को घर से लाना पड़ रहा है। स्कूल में टाट-पट्टी का भी इंतजाम नहीं है। स्कूल कब खुलेगा कब बंद होगा इसका भी समय निर्धारित नहीं है। यहां अध्यनरत बच्चों का भविष्य भी भगवान भरोसे चल रहा है। इसके बाद भी शिक्षा विभाग के अधिकारियों की नजर चेनटोला के स्कूल की ओर नहीं जा रही है।
स्कूल के छात्र छात्राओं ने बताया कि 15 दिनों से स्व सहायता समूह की मनमानी से उनको भूखे पेट पढ़ाई करनी पड़ रही है। स्कूल में एमडीएम नहीं बन रहा है। एमडीएम के लिए स्कूल को राशन ही नहीं मिलता। ऐसे हालात हर महीने बन रहे हैं जिससे 15 दिन बच्चों को एमडीएम नसीब नहीं हो रहा है। पानी पीने के लिए स्कूल के पास कोई हैंडपंप भी नहीं है। जिससे स्कूल के पास का खेत बच्चों के लिए सुविधा घर बना हुआ है। छात्र छात्राओं ने बताया कि हर माह 10 से 15 दिन स्कूल में माध्यान्ह भोजन नहीं बनता है।
– आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने बताया कि समूह पोषण आहार नहीं दे रहा है। जिससे बच्चों की संख्या दिनों दिन कम हो रही है। एमडीएम नियमित न बनने से छात्र जहां नियमित स्कूल नहीं आते वही छात्रों की संख्या में हर साल कमी आ रही है। चैन टोला प्राथमिक विद्यालय वर्ष 2013 14 से संचालित किया जा रहा है। इसके बाद भी प्रशासनिक उपेक्षा का शिकार है।
लक्ष्मण सिंह, जन शिक्षा केंद्र साखी
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