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सितारों की चाल समझिए, नहीं रहेंगे बेरोजगार

locationशाहडोलPublished: Dec 25, 2017 01:48:57 pm

Submitted by:

shivmangal singh

भूत, भविष्य व वर्तमान को समझने का साधन है ज्योतिष

Think of the stars move will not stay unemployed

Think of the stars move will not stay unemployed

शहडोल. आप बेरोजगार हैं, कहीं नौकरी नहीं मिल रही है अथवा खुद का रोजगार ? स्थापित करने के लिए पैसे नहीं हैं तो सितारों की चाल समझना सीखिए आपकी बेरोजगारी दूर हो जाएगी। जी हां हम सही कह रहे हैं। आपको यदि अपना वर्तमान और भविष्य सुधारना है तो इन सितारों चाल को समझना बहुत जरूरी है। जैसे-जैसे आप इन सितारों की चाल समझेंगे, वैसे-वैसे आपके दिन बहुरने लगेंगे। इसका असर ये होगा कि आप दूसरों का भविष्य बताना शुरू कर देंगे तो आपका वर्तमान संवर जाएगा। सितारों की समझ बढ़ाने के लिए शहडोल में संस्कृत कॉलेज में ज्योतिष संबंधी रोजगारपरक अल्पावधि कोर्स संचालित किया जाता है। मध्यप्रदेश सरकार ने एक योजना चलाई हुई है।
इसी के तहत शासकीय अभयानंद संस्कृत महाविद्यालय कल्याणपुर में म प्र शासन उच्च शिक्षा विभाग स्वामी विवेकानंद कॅरियर मार्गदर्शन योजना के अन्तर्गत अल्पावधि स्वरोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण कार्यक्रम कराया गया। ये आयोजन आयोजन प्राचार्य के संरक्षण तथा सभी शिक्षकों के सहयोग से प्रकोष्ठ प्रभारी डा. बी आर भगत ने किया। प्रशिक्षण का विषय कर्मकाण्ड एवं ज्योतिष था। इस पर क्षेत्रीय विद्वानों को बुलाकर छात्र हित में प्रत्येक विद्वानों द्वारा तीन दिवस कर्मकाण्ड ,यज्ञ,पूजन तथा ज्योतिष संबंधी अलग-अलग विधाओं पर 04 दिसम्बर से 23 दिसम्बर तक कक्षाएं ली गईं। ये कक्षाएं 11.00 बजे से 1.00 प्रति दिन दो घण्टे का प्रशिक्षण कराया गया। प्रशिक्षण के समापन अवसर पर मुख्य वक्ता पन्ना जिला से पधारे मूर्धन्य विद्वान एवं कर्मकाण्ड तथा ज्योतिष शास्त्र के विशेषज्ञ पं. रामदुलारे पाठक ने ज्योतिष विषय पर प्रकाश डाला। बताया कि हिन्दू मास गणना के आधार पर चैत्रादि से प्रारम्भ करने की परम्परा तत्तत् नक्षत्रों के नामान्विति भी चरितार्थ होती है। जैसे चैत्र मास की अन्वित चित्रा की वैशाख का विशाखादि से परिणयन का विधान समझाया। ज्योतिष शास्त्र में अनादिकाल से शोध कार्य चलते आ रहे हैं किन्तु इनके अंशांश को भी नहीं समझा जा सका है।
वेदों में कहा गया है ज्योतिष को नेत्र
वेदों में ज्योतिष को नेत्र कहा गया है भूत, भविष्य तथा वर्तमान को समझने का साधन माना है। मुख्य अतिथि डॉ. आर. सी. मिश्र भूतपूर्व प्राचार्य ने बताया की इस विधा से स्वरोजगारोन्मुखी करण की अपार संभवनाएं हैं। कर्मकाण्ड एवं ज्योतिष समाजोपयोगी है तथा स्वरोजगारोपरक है। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ डी बी मिश्र ने कर्मकाण्ड एवं ज्योतिष पर दिये गये व्याख्यानों की शिक्षा से स्वरोजगार की ओर प्रवृत्त होने की संभावनायें व्यक्त की अंत में डॉ. एम एस त्रिपाठी द्वारा कृतज्ञता ज्ञापित किया गया। कार्यक्रम का संचालन डॉ आर के द्विवेदी ने किया।
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