scriptटीम इंडिया के दरवाजे पर इस लड़की का दस्तक | This girls knock at the door of Team India | Patrika News

टीम इंडिया के दरवाजे पर इस लड़की का दस्तक

locationशाहडोलPublished: Jan 16, 2018 12:22:57 pm

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Shahdol online

इसका डेली रुटीन जान हैरान रह जाएंगे आप

cricket player struggle
शहडोल- संभाग की युवा क्रि केट खिलाड़ी पूजा वस्त्रकार भारतीय टीम में सेलेक्ट हो गईं। आज हर कोई उनकी सफलता की तारीफ कर रहा है। उन पर गर्व कर रहा है। लेकिन ये जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे कि शहडोल संभाग की कई ऐसी युवा विमेंस क्रिकेटर हैं जो इन दिनों कड़ी मेहनत कर रही हैं। पूनम सोनी जैसी युवा क्रिकेटर की संघर्ष की कहानी सुन हर कोई हैरान है। कड़ी मेहनत कर लगातार पूनम सफलता की सीढियों को छू रही हैं । और जल्द ही इन्हें आप इंडियन टीम में भी देख सकते हैं। कई किलोमीटर से हर दिन आना, सुबह-शाम प्रैक्टिस करना और फिर ट्रेन से कई किलोमीटर घर वापस जाना। हर दिन साल के बारह महीने इस रूटीन को फॉलो करना इतना आसान नहीं होता। लेकिन शहडोल संभाग की गर्ल्स इतनी कड़ी मेहनत कर रही हैं। और ये सब इनके क्रिकेट का जुनून ही करा रहा है।

जुनून के आगे सब फेल
बात तो सही है जुनून के आगे सब फेल होता है। अभी हाल ही में इंडियन क्रिकेट टीम में सेलेक्ट होने वाली पूजा वस्त्रकार की दोस्त हैं पूनम सोनी। जो लेफ्ट ऑर्म ऑर्थोडॉक्स गेंदबाज हैं। शानदार गेंदबाजी कर रही हैं। और जल्द ही पूजा की तरह इनके भी भारतीय क्रिकेट टीम में सेलेक्ट होने की पूरी उम्मीद है। पूनम सोनी इन दिनों कड़ी मेहनत कर रही हैं। इनके संघर्ष की कहानी सुनकर हर कोई हैरान हो जाता है। इनती कड़ी मेहनत भला हर दिन कोई कैसे कर सकता है। लेकिन पूनम सोनी कर रही हैं। पूनम चचाई के पास केल्हौरी गांव की रहने वाली हैं। हर दिन शहडोल सिर्फ क्रिकेट सीखने के लिए आती हैं। शहडोल तक पहुंचने का सफर ही इनका थका देने वाला होता है। उसके बाद आकर सुबह-शाम दो सेशन प्रैक्टिस करना इतना आसान नहीं होता है। और उसके बाद फिर से उतना ही सफर करके कभी रात में 10 बजे कभी 11 बजे घर पहुंचना होता है। पूजा पहले गांव से जो अमलाई स्टेशन से करीब 10 किलोमीटर दूर पड़ता है। स्टेशन पहुंचती हैं। फिर वहां से ट्रेन पकड़कर शहडोल एकेडमी पहुंचती हैं। सुबह 7.30 बजे पूनम हर दिन स्टेडियम पहुंच जाती हैं। सुबह से दोपहर तक सेशन लेती हैं। फिर कभी स्टेडियम में ही या अपने रिलेटिव के यहां चली जाती हैं। और फिर शाम को प्रैक्टिस सेशन में हिस्सा लेती हैं। और फिर वापस ट्रेन से उतना ही सफर करती हैं। अगर ट्रेन लेट रही तो फिर 1-2 घंटे देरी से ही पहुंचती हैं। सुबह 6 बजे से चलकर रात को 11 बजे घर पहुंचना हर दिन का ये रुटीम फॉलो करना इतना आसान नहीं होता है। जो पूनम कर रही हैं।

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मुझे नहीं लगती थकान मुझे तो बस भारतीय टीम से खेलना है
पूनम सोनी कहती हैं कि इस सफर में मुझे कोई थकान नहीं लगती। मैदान पहुंचते ही मेरी पूरी थकान दूर हो जाती है। मुझे तो बस क्रिकेट पसंद है। मुझे तो टीम इंडिया से खेलना है। उसके लिए फिर चाहे जितनी मेहनत करनी पड़े।

बड़ी खिलाड़ी हैं पूनम सोनी
संभाग की पूनम सोनी पिछले 3 साल से मध्यप्रदेश रिप्रेजेंट कर रही हैं। 2 साल से जोनल टूर्नामेंट में खेल रही हैं। पूनम इस साल भी सेंट्रल जोन से खेलेंगी। ये दूसरा साल है। अगरतला में इसी साल 8 फरवरी से टूर्नामेंट शुरू होना है। पूनम टोटल 7 साल से क्रिकेट खेल रही हैं।

बचपन से बस क्रिकेट खेलना था
पूनम सोनी बताती हैं कि वो बचपन से बस क्रिकेट खेलना चाहतीं थीं। लेकिन गांव में कोई सुविधा ना होने की वजह से वो परेशान रहती थीं। कक्षा 8वीं के दौरान जब वो चचाई में पढऩे के लिए गईं तो उन्हें पता लगा की इस स्कूल में कोई पीटीआई टीचर हैं। उन्होंने खेलने का मौका दिया तो वहां पूनम ने शानदार प्रदर्शन किया। इसके बाद उन्होंने अपने घर में जिद करके चचाई के ही एक एकेडमी में दाखिला लिया। दो साल के बाद वो एकेडमी भी बंद हो गई। और फिर वो शहडोल के डिवीजनल क्रिकेट एकेडमी पहुंच गईं। जहां वो पिछले 4 साल से कड़ी मेहनत कर रही हैं। और बस भारतीय टीम में जगह बनाने से कुछ दूर हैं।
कई क्रिकेटर करते हैं कई किलोमीटर का सफर
शहडोल के इस क्रिकेट स्टेडियम में पूनम ही नहीं बल्कि कई और विमेंस क्रिकेटर कई किलोमीटर का सफर करके यहां पहुंचती हैं। संभाग से ज्यादातर क्रिकेटर इस एकेडमी में खेलने के लिए यहां पहुंचते हैं। इस उम्मीद के साथ कि भले ही उन्हें अभी लंबा सफर तय करना पड़ रहा है। कड़ी मेहनत करनी पड़ रही है। लेकिन एक दिन वो अपने मेहनत के दम पर भारतीय टीम में जगह जरूर बनाएंगी।
इतनी कड़ी मेहनत क्रिकेट का जुनून ही करा सकता है
बीसीसीआई के लेवल-1 कोच आशुतोष श्रीवास्तव जो इन लड़कियों को क्रिकेट के गुर सिखाते हैं, उनके मुताबिक जितनी कड़ी मेहनत और कड़ा संघर्ष ये लड़कियां क्रिकेट सीखने के लिए कर रही हैं। वो तो सिर्फ क्रिकेट का जुनून ही करा सकता है। पूनम जैसी लड़कियां जो पूरी डिसिप्लिन मेंटेन करती हैं। और जिस तरह का प्रदर्शन कर रही हैं। उम्मीद है कि ये लड़कियां भी पूजा वस्त्रकार की तरह भारतीय टीम में जगह बनाने में सफल रहेंगी।
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