शाहडोल

इस रूट पर कर रहे हैं ट्रेन यात्रा तो ये जरूर जान लीजिए

इस रूट पर कुछ खास तरह के अनुभव आपको मिलेंगे

शाहडोलJan 15, 2018 / 03:13 pm

shivmangal singh

शहडोल। ट्रेन के हर रूट पर यात्रा करने के अपने अलग-अलग अनुभव होते हैं, ट्रेन का ये रूट भी कुछ खास है। अगर आप इस रूट पर यात्रा कर रहे हैं तो आपके लिए ये बात जानना काम आ सकता है। ये रूट है जबलपुर से बिलासपुर। ठेठ आदिवासी इलाका है और इस रूट पर कुछ खास तरह के अनुभव आपको मिलेंगे। यहां पर खाने-पीने की चीजें बेचने के अलावा मांगने वाले भी आपको तंग कर सकते हैं। हालांकि कुछ रोचक चीजें भी आपकी जानकारी के हिस्से में आएंगीं। यहां सबसे अधिक परेशान करने वाली और रोचक चीज ये है कि यहां पर मांगने वाले कई प्रकार के आते हैं। इतने तरह के मांगने वाले किसी रूट पर नहीं मिलेंगे।

थर्ड जेंडर
तालियों की आवाज ठक…ठक…ठक.. ये भाई दे न, चलो भाई निकालो, देते रहो भाई.. देते रहो। इस तरह के जुमले और आवाजें आपकों सुबह-सबेरे ही सुनने को मिल जाएंगी। थर्ड जेंडर ट्रेन में यात्रियों से बेधड़क वसूली करते हैं। कुछ हेकड़ी वाले यात्री तो इनसे बच जाते हैं लेकिन अधिकतर यात्रियों से वसूली कर लेते हैं। हालांकि ट्रेन में जीआरपी मौजूद रहती है लेकिन वह भी कुछ नहीं कहती। रेलवे प्रशासन को भी इसकी जानकारी है लेकिन वह यात्री हित में कोई कदम नहीं उठाती। थर्ड जेंडर जैसे ही आपकी बोगी से मांगकर कुछ उपदेश और दुआएं देकर, न देने वालों को घूरते हुए निकलेंगे वैसे ही दूसरी आवाज कानों में सुनाई देगी।
दे दाता के नाम तुझको…
ट्रेन में कुछ सेकुलर किस्म के भिखारी मिलेंगे। ये गीत उन्होंने पेटेंट करा लिया है, दे दाता के नाम तुझको अल्ला रक्खे, तुझको रक्खे राम तुझको अल्ला रक्खे। जो लोग थर्ड जेंडर से बचते हैं वे इनकी चपेट में आ जाते हैं। ये भी एक बोगी से दूसरी बोगी मांगते हुए निकल जाएंगे। आप दो मिनट इन चीजों से संभलकर बैठेंगे तभी आवाज आएगी चाए…। आप उससे चाय लेकर पी रहे होंगे तभी तीसरे तरह के मांगने वाले की एंट्री होगी और आपकी त्योरियां चढ़ जाएंगे।
ख्वाजा के दरबार में…
आप चाय की चुस्की ले रहे होंगे तभी दो फकीर चादर फैलाए कव्वाली गाते हुए वहां से निकलेंगे… ख्वाजा के दरबार में..। लोभान की तेज महक। पहले से ही दो लोगों को दे चुके लोग इनको देखकर सकपकाएंगे। ये वहीं पर खड़े हो जाएंगे तो उन 10-12 यात्रियों में से कोई न कोई अपनी जेब ढीली कर ही देगा। फकीर निकलेंगे और आप चाय का गिलास फेकेंगे तभी नाटक के दृश्य की तरह ही एक और आवाज नेपथ्य से गूंजेगी।
जय हो मैहर माता की…
कुछ साधु वेश में माता मैहर का जयकारा लगाते हुए लोग गुजरेंगे। कुछ लोग धर्म पर तो कुछ लोग उम्र पर तरस खाकर इनको देंगे। इन मांगने वालों में साधु वेश में पुरुष और महिलाएं दोनों तरह के लोग होंगे। इनके जाने के बाद फिर कुछ देर सन्नाटा और फिर उस सन्नाटे को चीरेगी एक महिला की आवाज… राजश्री… मूंगफली मशाले वाली, पॉप कॉर्न। आप पॉपकार्न, मशाले वाली मूंगफली या राजश्री का आनंद उठाइए तब तक अगले दृश्य में कोई और जरूर आएगा।
मुझे दुनिया ने लूटा, नहीं जीना मुझे मर जाना है….
आप सोच रहे होंगे क्या गजब रूट है… इतने तरह के मांगने वाले…। जी हां इतने तरह के मांगने वाले…। पिक्चर अभी बाकी है दोस्त। एक किशोरवय लड़का उंगलियों में पत्थर फंसाए उन्हें बजाता हुआ कुछ आपके पसंद के संगीतमयी अल्फाज लेकर प्रस्तुत होगा। मुझे दुनिया ने लूटा, नहीं जीना मुझे मर जाना है…..। कुछ देर में सुर और शब्द बदलेंगे। जाने क्यों लोग मोहब्बत करते हैं…। कुछ दिलजले टाइप लोग इनके लिए भी जेब ढीली करते हैं, ये अपने अंदाज में दुआएं देते हुए आगे बढ़ जाता है।
निशब्द…लेकिन आंखें बतातीं हैं कि आपको कुछ देना है…
फिर एक ऐसी मांगने वाली आएगी जो खुद कुछ नहीं बोलेगी… लेकिन उसकी आंखें… भाव भंगिमा बताएगी कि आपको जरूर कुछ देना है। इसको लगभग सारे लोग भले कम लेकिन देते जरूर हैं। एक लड़की जो अभी किशोरावस्था में भी नहीं पहुंची है…। बोगी में झाड़ू लगाते हुए आएगी… जब आपके आसपास बोगी में सफाई हो जाएगी तो ये आपके सामने हाथ फैलाकर खड़ी हो जाएगी..। बोलेगी कुछ नहीं लेकिन आपका हाथ अनायास ही जेब में पर्स में जाएगा और आप उसे कुछ न कुछ जरूर देंगे।

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