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हिंदुओं के बारे में इस संत ने कही बड़ी बात, सरकार के लिए ये बोले

locationशाहडोलPublished: Dec 21, 2017 07:11:13 pm

Submitted by:

shivmangal singh

जनसंवाद में अद्वैत्ववाद के दर्शन के बारे में संत बसंत गाडगिल और आचार्य सुखदेवानंद रखी अपनी बात

This sant said something about the Hindus and for the government

This sant said something about the Hindus and for the government

शहडोल. मध्यप्रदेश में एकात्म यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। ये यात्रा आदि शंकराचार्य की प्रतिमा स्थापित करने के लिए आयोजित की जा रही है। इसी के तहत जनसंवाद कार्यक्रम आयोजित किया गया। इसमें दो बड़े संतों ने हिन्दुओं के बारे में बड़ी बात कही। वहीं मध्यप्रदेश सरकार के बारे में भी संतों ने अपने विचार रखे। सारा विश्व हमारा परिवार है, सब एक हैं, सारी वसुधा एक है, सभी का कल्याण हो यह उदार भावना हमारे हिंदू दर्शन में है। ये बातें आचार्य सुखदेवानन्द महराज ने धनपुरी में आयोजित एकात्म यात्रा के जन संवाद कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा है कि हमारी उदारता हैं कि हम सभी का कल्याण चाहते हैं, किसी को दुख न हो, सभी को रोटी मिले, सभी का कल्याण हो यह हमारे दर्शन में है। उन्होंने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य ने अद्वैतववाद की अवधारणा विश्व को दी, जिसका मूल्य सभी को एकता में बांंधना है। उन्होंने कहा कि आज से बारह सौ वर्ष पूर्व जब भारत वर्ष में आसुरी शक्तियां पनप रहीं थी, ऐसे समय में धर्म की रक्षा करने भारतीय संस्कृति को बचाने, भारतीय मूल्यों की रक्षा करने आदिगुरु शंकराचार्य ने जन्म लिया और अपने लघु जीवनकाल में उन्होंने भारत को अद्वैत्ववाद जैसे एकता के सूत्र में बांधने वाला दर्शन दिया।

उन्होंने कहा कि मैं किसी धर्म को इतर नहीं मानता, विश्व में जो भी धर्म हंै उन धर्मों में हिंदू धर्म के मूल्य निहित हैं। जनसंवाद को संबोधित करते हुये महाराष्ट्र के प्रकाण्ड विद्वान आचार्य बसंत गाडगिल ने कहा कि वेद ही हमारे धर्म हैं और धर्म ही हमारा वेद है। उन्होंने कहा कि जब वेदों की परंपरा का ह्रास होने लगा, वेदों के मूल्यों पर संकट आया ऐसे समय में आज से लगभग बारह सौ वर्ष पूर्व आदि गुरु शंकराचार्य का जन्म हुआ जिसने वेदों का अध्ययन कर विश्व को अद्वैत्ववाद का दर्शन दिया। उन्होंने कहा कि भारत वर्ष को अखण्ड रखने के लिए आदि गुरु शंकराचार्य ने भारत में तीर्थ स्थलों की स्थापना की वहीं भारत का भ्रमण कर उन्होंने अद्वैत्ववाद के दर्शन के संबंध में लोगों को जागरूक किया तथा कहा कि हमारी आत्मा ब्रम्ह है, जो भी सजीव है वो ब्रम्ह है, हम सब एक हैं। अद्वैत्व वेदांत का सारतत्व यह है कि सब एक हैं, उन्होंने कहा कि संन्यास परंपरा में दशनामी परंपरा आदिशंकराचार्य ने ही शुरू की थी। समारोह को संबोधित करते हुए एकात्म यात्रा के संयोजक शिवकुमार पटेल ने कहा कि आदि शंकराचार्य ने 5 वर्ष की आयु में सभी वेदों को कंठस्थ कर लिया, ज्ञान के लिए 8 वर्ष की आयु में संन्यास लिया, ओंकारेश्वर में तपस्या की तथा अद्वैत्व दर्शन और ब्रम्हसूत्र गीता पर भाष्य लिखा।

उन्होंने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य ने अल्प आयु में तीन बार भारत का भ्रमण किया और लोगों को सामाजिक कुरीतियों के प्रति जागृत किया। उन्होंने देश को एकता के सूत्र में बांधने के लिये चार धामों में मठ स्थापित किए। समारोह को विधायक जयसिंहनगर प्रमिला सिंह ने भी संबोधित किया। उन्होंने कहा कि आदिगुरु शंकराचार्य का अद्वैत्व दर्शन हमें सांस्कृतिक एकता के सूत्र में बांधता हैं, उन्होंने परम ब्रम्ह का ज्ञान दिया है। हमें आदिगुरु शंकराचार्य के विचारों को अंगीकार कर देश में समता मूलक समाज की स्थापना करनी चाहिए। इस दौरान अध्यक्ष जिला पंचायत नरेन्द्र मरावी, अध्यक्ष बैगा विकास प्राधिकरण रामलाल बैगा, उपाध्यक्ष जिला पंचायत पूर्णिमा तिवारी, उपाध्यक्ष जन अभियान परिषद अखिलेश श्रीवास्तव, अध्यक्ष जनपद पंचायत बुढ़ार ललन सिंह, अध्यक्ष नगर पालिका बुढ़ार कैलाश विश्नानी, अध्यक्ष नगर पालिका रविन्दर कौर छाबड़ा, दौलत मनवानी, पुलिस अधीक्षक सुशांत सक्सेना, अपर कलेक्टर सरोधन सिंह, आचार्य प्रशांत महाराज, अजय सिंह बघेल, डीपीसी डॉ.मदन त्रिपाठी, समन्वयक जन अभियान परिषद विवेक पाण्डेय, मौलाना जेरेयाफ, पुष्पेंद्र ताम्रकार, बालक रामदास जी महाराज, शालिनी सरावगी सहित अन्य लोग मौजूद रहे।
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