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500 से ज्यादा श्वानोंं का इलाज कराने आ चुके हैं पशुपालक
हालांकि, प्रशासनिक मुस्तैदी के चलते श्वानों को दिये जा रहे इलाज और सतर्कता के चलते वायरस से संबंधित केसों में कमी आने लगी है। अधिकारियों के अनुसार, अब तक पशु चिकित्सालय में जिले भर से करीब 500 श्वानोंं को लेकर इलाज कराने पशुपालक पहुंच चुके हैं। डॉक्टरों की मानें तो पार्वो वायरस सबसे ज्यादा फरवरी और मार्च माह में श्वानोंं को होता है। हर साल गिनती के केस मिलते थे, लेकिन इस साल पार्वो वायरस ने कई श्वानों को चपेट में ले लिया है। इनमें पालतु श्वान ही नहीं, बल्कि सड़कों पर घूमने वाले श्वान भी तेजी से ग्रेसत हुए हैं।
उल्टी दस्त के साथ खत्म हो जाता है पानी, हो रही मौत
पार्वो वायरस होने पर श्वानों को उल्टी के साथ साथ खूनी दस्त होने लगते हैं। वायरस से ग्रस्त श्वान से कुछ खाते नहीं बनता। कमजोर होने लगता है और शरीर का पानी खत्म हो जाता है। कई बार इलाज नहीं कराने पर श्वान की मौत तक हो जाती है। शहडोल के पटेल नगर के श्वानों में इस वायरस का खास असर देखा गया है। इसके अलावा पार्वो वायरस से ग्रस्त श्वानों की कई स्थानों पर मौत भी हो चुकी है।
6 माह से कम के श्वान पर ज्यादा असर
पशु चिकित्सकों की मानें तो, पार्वो वायरस इंफेक्शन काफी पुराना है। यह हर साल इसी सीजन में श्वानों को होता है। आमतौर पर जनवरी, फरवरी और मार्च में इसका प्रभाव श्वानों में अधिक होता है। इसमें भी छह माह से नीचे के श्वानों को ये ज्यादा प्रभावित करता है। पशु अस्पताल में अब तक 500 से ज्यादा श्वानों में पार्वो वायरस मिल चुका है। डॉक्टरों की मानें तो, अब तक जितने भी श्वान इलाज के लिये अस्पताल पहुंचे हैं, उनमें से ज्यादातर की उम्र छह माह से कम है।
अस्पताल में व्यवस्था पूरी, लेकिन अब तक वैक्सीन नहीं
इसके लिए श्वानों को 7 in 1 और 6 in 1 वैक्सीन लगाया जाता है, लेकिन मवेशी चिकित्सालय में सरकार की तरफ से ये वैक्सीन उपलब्ध नहीं कराया जाता। इसके लिए पशु पालकों को मार्केट से वैक्सीन लेकर श्वानों को लगवाना पड़ता है। डॉक्टरों के अनुसार, अगर किसी श्वानो में ये बीमारी हो, तो उसे पशु चिकित्सालय में एक सप्ताह तक इलाज कराना होता है। पशु चिकित्सालय में पार्वो वायरस इंफेक्शन से ग्रस्त कुत्तों के इलाज के लिए पूरी व्यवस्था है।
क्या कहते हैं चिकित्सक?
शहडोल पशु चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सक डॉ आरडी दुबे ने बताया कि, श्वान पार्वो वायरस इंफेक्शन से ग्रस्त हो रहे हैं। इसमें श्वानों को उल्टी होती हैं और खूनी दस्त होते हैं। साथ ही, शरीर में पानी की कमी हो जाती है। फिलहाल, संकर्मण के शिकार श्वानों का अस्पताल में इलाज किया जा रहा है। लगातार श्वान स्वस्थ भी हो रहे हैं। सैकड़ों श्वानों को अस्पताल की टीम ने इलाज कर ठीक किया है।