scriptजयपुर के एक ही कारीगर ने बनाई थी तीन मूर्तियां, राम मंदिर और जम्मू के रंगनाथ मंदिर में स्थापित है एक सी प्रतिमा | Three idols were made by the same artisan of Jaipur, one statue is ins | Patrika News

जयपुर के एक ही कारीगर ने बनाई थी तीन मूर्तियां, राम मंदिर और जम्मू के रंगनाथ मंदिर में स्थापित है एक सी प्रतिमा

locationशाहडोलPublished: Jun 03, 2021 12:25:49 pm

Submitted by:

Ramashankar mishra

डेढ़ सौ वर्ष पुराना है मोहनराम मंदिर का इतिहास, राम दरबार के साथ भगवान जगन्नाथ की स्थापित है प्रतिमाअमरपाटन के मोहनराम ने कराया था मंदिर व तालाब का निर्माण

जयपुर के एक ही कारीगर ने बनाई थी तीन मूर्तियां, राम मंदिर और जम्मू के रंगनाथ मंदिर में स्थापित है एक सी प्रतिमा

जयपुर के एक ही कारीगर ने बनाई थी तीन मूर्तियां, राम मंदिर और जम्मू के रंगनाथ मंदिर में स्थापित है एक सी प्रतिमा

शहडोल. नगर में स्थित मोहनराम तालाब मंदिर का इतिहास लगभग डेढ़ सौ वर्ष पुराना है। जिसका निर्माण अमरपाटन के मोहनराम ने कराया था। बताया जा रहा है कि वह यहां व्यापार करने के उद्देश्य से आए हुए थे। व्यापार में अच्छा खासा लाभ होने पर उन्होने शंकर पार्वती के मंदिर के साथ ही तालाब का निर्माण कराया था। जिसके बाद मार्कण्डेय आश्रम के रामप्रपन्नाचार्य जी महराज द्वारा ट्रस्ट बनाकर मंदिर का जीर्णाेद्धार व इसकी देखरेख के लिए बकायदे समिति बनाई गई। इसे गुरुआश्रम पुरानी लंका चित्रकूट धाम को समर्पित किया गया। जिनके सानिध्य में ही यहां सभी आयोजन होते हैं। इस मंदिर से लोगों की विशेष आस्था जुड़ी हुई है। लगभग 16.67 एकड़ में फैले मंदिर परिसर में दो तालाबों के साथ ही भव्य मंदिर स्थापित है। मंदिर के कामता प्रसाद शास्त्री बताते हैं कि यहां गुरुपूर्णिमा के अवसर पर हजारों की तादाद में श्रद्धाुलओं की भीड़ उमड़ती है। लोग यहां दीक्षा लेते हैं साथ ही गुरु वंदना करते हैं। यहां स्थापित महंग गद्दी के पांचवे महंत रोहणीश्वर प्रपन्नाचार्य महराज है। जिनका हर वर्ष गुरुपूर्णिमा पर आगमन होता है। जिनसे शिष्य आर्शीवाद व गुरुदीक्षा लेते हैं। साथ ही भगवान को मालपुआ का भोग चढ़ता है व प्रसाद वितरण किया जाता है। इसके साथ ही यहां से हर वर्ष भगवान जगन्नाथ की विशाल शोभायात्रा निकलती है जो कि नगर में चर्चा का विषय रहती है। मंदिर परिसर में भगवान रंगनाथ, राम दरबार, राधा कृष्ण, शंकर पार्वती और भगवान जगन्नाथ की भव्य प्रतिमा स्थापित है। जहां श्रद्धालु पूजा अर्चना करने पहुंचते हैं।
जयपुर में बनी थी मूर्ति
जयपुर में एक ही कारीगर द्वारा तीन मूर्तिया बनाई गई थी। इसमें से एक मूर्ति इस मंदिर में तथा दूसरी मंदिर सोहागपुर में तथा तीसरी जम्मू कश्मीर में रघुनाथ मंदिर में विराजमान है। तीनों जगह मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा एक ही दिन हुई। मंदिर में भगवान विष्णु शेषनाग पर क्षीरसागर में ब्रह्म्मा और लक्ष्मीजी के साथ लेटे हैं। भगवान श्रीराम चारों भाईयों और जानकीजी के साथ विराजमान हैं। राधा-कृष्ण भी वृंदावन की हैसियत से विराजमान हैं। भगवान जगन्नाथ स्वामी भी जगन्नाथपुरी के रूप में विराजमान हैं। दक्षिणामुखी हनुमानजी भी विराजमान है। मंदिर प्रांगण में इशानकोण में भगवान शिव और पावर्ती विराजमान हैं। मंदिर में कई आयोजन भी होते हैं। गुरूपूर्णिमा और जगन्नाथ यात्रा में यहां कई बड़े कार्यक्रम होते हैं। राम मंदिर से ही भगवान जगन्नाथ की यात्रा निकाली जाती है।
विंध्य के प्रमुख मंदिर में अयोध्या के राजाधिराज की हैसियत से विराजमान है भगवान श्रीराम
शहर का श्री मोहन राम मंदिर विध्य क्षेत्र का प्रमुख मंदिर है। श्री रामानुज सम्प्रदाय के द्वारा प्रचार-प्रसार के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया गया था। यह मंदिर अंग्रेजों के समय में बना है। उस समय रेल लाइन बिछाने का काम प्रारंभ हुआ था। इस मंदिर में अयोध्या के राजाधिराज की हैसियत से भगवान श्रीराम विराजमान हैं। मंदिर का निर्माण सनाढ्य ब्राह्मण मोहनराम पांडे निवासी अमरपाटन जिला सतना ने किया था। उस समय रीवा नरेश तत्कालीन राजा वेंकटरमन ने मंदिर का उद्घाटन किया था। मंदिर में भगवान की प्राण-प्रतिष्ठा शिव महाराज राम प्रपन्नाचार्य ने किया था। श्री रामानुज सम्प्रदाय के द्वारा प्रचार-प्रसार के तहत मंदिर के पास धर्मशाला, संस्कृत विद्यालय, गउशाला, और साधु महात्मा के के लिए अभ्यालय भी बनवाया गया था।

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