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मध्यप्रदेश में अब यहां हुई बाघिन की मौत

locationशाहडोलPublished: Feb 15, 2018 06:01:25 pm

Submitted by:

shivmangal singh

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In Madhya Pradesh Now here Death of tigress

शहडोल- मध्यप्रदेश में वन्य प्राणियों की मौत का सिलसिला थम नहीं रहा है। शहडोल संभाग में पिछले कुछ समय से कई वन्य प्राणियों की मौत हो चुकी है। और अब उमरिया के खितौली-धमोखर इलाके की टी-70 बाघिन जिसका इलाज पिछले कई महीने से भोपाल के वनविहार में चल रहा था। अब उसकी मौत हो गई है। बाघिन की मौत 12-13 फरवरी की रात को हुई। उमरिया जिले के खितौली-धमोखर इलाके की ये बाघिन जून 2017 में फेसिंग में फंसकर घायल हुई थी। बाघिन टी-७० की आठ महीने बाद भोपाल में मौत हो गई। तीन साल की बाघिन ने सोमवार की रात को आखिरी सांस ली।

ऐसे घायल हुई थी बाघिन
खितौली में 8 जून को बाघिन 70 कैमरे में ट्रैप हुई थी। गले में तार का फंदा लोकेट हुआ था। हलांकि प्रबंधन 18 जून को कैमरे में देखे जाने की बात कहता रहा है। चार दिन तक बाघिन को स्पेशल रेस्क्यू अभियान में कई अधिकारी कर्मचारियों की टीम हाथियों के लगातार गश्त के साथ 25 जून को टंक्यूलाइज करने के बाद दो दिन भोपाल से आए वन्य प्राणी विशेषज्ञों की टीम के ऑब्जर्बेशन में रखा गया। जिसके बाद 27 जून को जब बाघिन की स्थति और खराब होती दिखी तो उसे भोपाल भेजा गया । वहां आईसीयू में रखकर बाघिन का इलाज स्पेशल ट्रीटमेंट के जरिए किया गया। इलाज का असर भी बाघिन पर दिखा बाघिन ठीक होने लगी। उसे फिर से बांधवगढ़ भेजने की संभवना बनने लगी थी। लेकिन इसी साल 4 फरवरी तक एक-एक इंच के जो घाव बचे थे। उसके चलते फिर से बाघिन की तबियत बिगड़ गई। और फिर 12-13 फरवरी की दरमियानी रात को बाघिन की मौत हो गई। उमरिया के खितौली-धमोखर इलाके की बाघिन टी-70 की मौत हो गई।

घायल बाघिन को भोपाल ले जाया गया
बांधवगढ़ नेशनल पार्क में धमोखर और खितौली से लगे अज्ञात होटल रिसॉर्ट की फेंसिंग में फंसकर बाघिन घायल हो गई थी। बांधवगढ़ में उसके गले में टांके लगाए जाने के बाद टांके टूट गए थे। गले के घावों को देखने के बाद पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ जितेंन्द्र अग्रवाल ने उसे वन विहार शिफ्ट करने का फैसला लिया था। आठ माह चार दिन बाद सुधार के बाद अचानक एक बार फिर से बाघिन की हालत बिगड़ गई। जिसके चलते उसकी मौत हो गई।

कई सर्जरी हुई
बाघिन टी-70 के गला फंदा में फंसने की वजह से चारो ओर से गहरा कट गया था । बाघिन के सांस की नली कटने से बच गई थी। बाघिन के घावों को भरने के लिए उसकी 12 सर्जरी हो चुकी थी। उसके गले के घाव भी भर रहे थे। लेकिन भोपाल के वन विहार में रह रही बाघिन टी-70 की हालत अचानक बिगड़ गई। और तमाम कोशिशों के बाद भी उसे नहीं बचाया जा सका।

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