ऑलराउंडर खिलाड़ी हैं पूजा
पूजा बेसिकली तेज गेंदबाज ऑलराउंडर हैं। जिनकी गेंदबाजी ऐसी है जिसके आगे बड़े-बड़े बल्लेबाज टिक नहीं पाते। जिनकी बल्लेबाजी ऐसी है जो किसी भी वक्त मैच बदल सकता है। और इसीलिए पूजा को टीम इंडिया में जगह दी गई है।
पूजा बेसिकली तेज गेंदबाज ऑलराउंडर हैं। जिनकी गेंदबाजी ऐसी है जिसके आगे बड़े-बड़े बल्लेबाज टिक नहीं पाते। जिनकी बल्लेबाजी ऐसी है जो किसी भी वक्त मैच बदल सकता है। और इसीलिए पूजा को टीम इंडिया में जगह दी गई है।
मौजूदा दौैर में इंडिया की सबसे तेज गेंदबाज
पूजा के कोच आशुतोष श्रीवास्तव के मुताबिक पूजा मौजूदा समय में भारतीय महिला टीम की सबसे तेज गेंदबाज हैं। और इसीलिए इन्हें इंडियन टीम में प्राथमिकता भी दी जा रही है। हलांकि पूजा लगातार बेहतर खेल दिखा रही हैं। पिछले कुछ साल में पूजा को जहां भी जब भी मौका मिला इस खिलाड़ी ने कमाल का खेल दिखाया।
पूजा के कोच आशुतोष श्रीवास्तव के मुताबिक पूजा मौजूदा समय में भारतीय महिला टीम की सबसे तेज गेंदबाज हैं। और इसीलिए इन्हें इंडियन टीम में प्राथमिकता भी दी जा रही है। हलांकि पूजा लगातार बेहतर खेल दिखा रही हैं। पिछले कुछ साल में पूजा को जहां भी जब भी मौका मिला इस खिलाड़ी ने कमाल का खेल दिखाया।
पूजा वस्त्रकार ने शहडोल से होकर भारतीय इंडियन सीनियर टीम का सफर तय कर लिया है। पूजा के लिए यहां तक का रास्ता इतना आसान नहीं रहा। पूजा के कोच आशुतोष श्रीवास्तव बताते हैं कि कुछ साल पहले साल 2005-06 में एक छोटी सी लड़की इसी स्टेडियम में कुछ बच्चों के साथ टेनिस बॉल से क्रिकेट खेलती थी। कोच के मुताबिक वो हर दिन उसे देखते वो टेनिस बॉल से लंबे-लंबे सिक्सर लगाती। उनकी इसी काबिलियत को देखने के बाद कोच आशुतोष श्रीवास्तव ने अपनी एकेडमी के बच्चों से उस लड़की के बारे में पूछताछ की। तो पता चला वो क्रिकेट खेलना चाहती हैं। जब कोच ने पूजा से बोला वो कल से सेशन लेने आ जाए। तो पूजा का जवाब था सर आज से ही शुरू कर सकती हूं क्या। और आज उस लड़की कीक्रिकेट क्रेज और उसकी मेहनत ने उसे इंडियन क्रिकेट टीम तक पहुंचा दिया।
आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी
पूजा की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। फिर भी पूजा ने कभी हार नहीं मानी और ना ही उसके घर वालों ने उसे हिम्मत हारने दिया। पूजा 5 बहनों में सबसे छोटी बहन है। और उसके खेल को आगे बढ़ाने के लिए उसके पिता के साथ-साथ उनकी बहन ऊषा वस्त्रकार ने भी बड़ा योगदान दिया। जो खुद एक नेशनल एथलीट खिलाड़ी हैं। मां के गुजर जाने के बाद उनकी बड़ी बहन ने खेल छोड़कर घर को संभाल लिया। और पूजा वस्त्रकार को आगे बढऩे के लिए प्रमोट करती रहीं। और आज उसी का नतीजा है पूजा भारतीय टीम में जगह बनाने में सफल रहीं।
पूजा की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। फिर भी पूजा ने कभी हार नहीं मानी और ना ही उसके घर वालों ने उसे हिम्मत हारने दिया। पूजा 5 बहनों में सबसे छोटी बहन है। और उसके खेल को आगे बढ़ाने के लिए उसके पिता के साथ-साथ उनकी बहन ऊषा वस्त्रकार ने भी बड़ा योगदान दिया। जो खुद एक नेशनल एथलीट खिलाड़ी हैं। मां के गुजर जाने के बाद उनकी बड़ी बहन ने खेल छोड़कर घर को संभाल लिया। और पूजा वस्त्रकार को आगे बढऩे के लिए प्रमोट करती रहीं। और आज उसी का नतीजा है पूजा भारतीय टीम में जगह बनाने में सफल रहीं।
पूजा के हौसले हैं बुलंद
पूजा वस्त्रकार का सफर इतना आसान नहीं था। एक छोटे से शहर से जो लड़की अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत करे और भारतीय टीम तक का सफर तय करे तो ये उसकी काबिलियत का ही नतीजा है। पूजा वस्त्रकार बताती हैं उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। अभी पिछले साल उन्हें मेजर इंजरी हो गई थी। ऑपरेशन भी हुआ। लेकिन उसके कुछ दिन बाद ही पूजा ने फिर से मैदान में वापसी की। उनके पिता और उनकी बहन ने उनका हौसला बढ़ाया। और पूजा पहले इंडिया ए से सेलेक्ट हुईं। और बांग्लादेश ए के खिलाफ मैच खेला। और अब भारतीय मेंस टीम में सेलेक्ट हो गई हैं। जो अपने आप में शहडोल संभाग के लिए बड़ी बात है।
पूजा वस्त्रकार का सफर इतना आसान नहीं था। एक छोटे से शहर से जो लड़की अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत करे और भारतीय टीम तक का सफर तय करे तो ये उसकी काबिलियत का ही नतीजा है। पूजा वस्त्रकार बताती हैं उन्होंने कभी हिम्मत नहीं हारी। अभी पिछले साल उन्हें मेजर इंजरी हो गई थी। ऑपरेशन भी हुआ। लेकिन उसके कुछ दिन बाद ही पूजा ने फिर से मैदान में वापसी की। उनके पिता और उनकी बहन ने उनका हौसला बढ़ाया। और पूजा पहले इंडिया ए से सेलेक्ट हुईं। और बांग्लादेश ए के खिलाफ मैच खेला। और अब भारतीय मेंस टीम में सेलेक्ट हो गई हैं। जो अपने आप में शहडोल संभाग के लिए बड़ी बात है।