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शाहडोल

बांस के डंडे से किया अभ्यास और तलवारबाजी में जीत लिए 44 पदक

आदिवासी खिलाडिय़ों का प्रदेश की राजधानी में जादुई प्रदर्शन

शाहडोलJul 24, 2018 / 03:41 pm

shivmangal singh

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बांस के डंडे से किया अभ्यास और तलवारबाजी में जीत लिए 44 पदक

मंडला. जिले का आदिवासी बहुल गांव उदयपुर प्रदेश भर में चर्चा का विषय बना हुआ है। इसकी वजह है यहां के आदिवासी बच्चों का तलवारबाजी में असाधारण प्रदर्शन। इस गांव के बच्चों ने बांस के डंडे से तलवारबाजी का अभ्यास किया और प्रदेश की राजधानी भोपाल में झंडे गाड़ दिए। इनकी प्रतिभा की चर्चा अब राजधानी की गलियों से निकलकर प्रदेश भर में हो रही है।
आदिवासी इलाकों में प्रतिभा भरी पड़ी है लेकिन वहां तक सुविधाएं और उनको मंच न मिलने की वजह से वे इसका प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं। मंडला जिले का उदयपुर स्कूल अचानक से सुर्खियों में आ गया, हालांकि इसके पीछे यहां के अध्यापकों और बच्चों की वर्षों की कड़ी मेहनत लगी हुई है। यहां के बच्चों ने खून पसीना बहाकर तलवारबाजी में महारत हासिल की है। राजधानी भोपाल में 20 जुलाई से प्रदेश स्तरीय तलवार बाजी प्रतियोगिता चल रही है। यहां पर मंडला की टीम को लेकर लोगों में काफी कौतूहल है। इस 72 सदस्यीय टीम में सबसे अधिक 62 खिलाड़ी बीजा डांडी विकासखंड के उदयपुर पंचायत के हैं. उदयपुर स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय से 62 बच्चों को तलवारबाजी के लिए चुना गया है। इसके अलावा घाघा स्थित विद्यालय से पांच बच्चे, मतपुरी स्थित विद्यालय से 2 बच्चे, लेमरुआ स्थित शासकीय विद्यालय से 3 बच्चों को टीम में चुना गया है। यहां इन बच्चों को बांस की तलवार से अभ्यास कराया जाता है . इस संबंध में उदयपुर स्थित शासकीय विद्यालय के कोच संदीप वर्मा ने बताया कि बांस की तलवार से अभ्यास में परिपक्व होने के बाद बच्चों को तलवार सौंपी जाती है। तलवारबाजी का फाइनल अभ्यास कराया जाता है. 20 जुलाई से भोपाल में पांच दिवसीय राज्य स्तरीय प्रतियोगिता चल रही है. जानकारी दी गई है कि इस प्रतियोगिता में जिले के विद्यार्थियों ने चार स्वर्ण पदक .18 रजत पदक और 26 कांस्य पदक जीते हैं।

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स्वर्ण पदक न जीत पाने का मलाल
टीम में शामिल खिलाडिय़ों को इस बात का मलाल है कि उन्होंने इतने पदक जीतने के बाद भी एक भी स्वर्ण पदक नहीं जीत पाया है। लेकिन खिलाडिय़ों के हौसले बुलंद हैं, उनका कहना है कि अगले साल वे अपने पदकों का जरूर रंग बदल देंगे। खिलाडिय़ों ने बताया कि वे इसके लिए कड़ा अभ्यास करेंगे।


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संसाधनों की कमी
खिलाडिय़ों के पास संसाधनों की बेहद कमी है। उनके पास अच्छा मैदान तो है ही नहीं तलवारों तक के लाले पड़े हुए हैं। 150 खिलाडिय़ों के पास महज तीन तलवारें हैं वे भी इसी साल खरीदी गई हैं। इनके पास एक किट भी नहीं है। ये सभी बच्चे बेहद गरीब परिवारों से आते हैं लेकिन इन सभी हौसले बुलंद हैं। ये सभी खिलाड़ी हर रोज लगभग चार घंटे अभ्यास करते हैं।


पहली बार बैठे ट्रेन में और देखा स्टेडियम
मंडला की 72 सदस्यीय टीम में अधिकतर बच्चे पहली बार ट्रेन में बैठे हैं। इस टीम में शामिल खिलाडिय़ों ने भोपाल पहुंचकर पहली बार स्टेडियम देखा। ये सभी खिलाड़ी यहां के खेल इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं को देखकर भौंचक रह गए। उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि आखिर वे किन कठिन परिस्थितियों में इस खेल का अभ्यास कर रहे हैं।

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