स्वर्ण पदक न जीत पाने का मलाल
टीम में शामिल खिलाडिय़ों को इस बात का मलाल है कि उन्होंने इतने पदक जीतने के बाद भी एक भी स्वर्ण पदक नहीं जीत पाया है। लेकिन खिलाडिय़ों के हौसले बुलंद हैं, उनका कहना है कि अगले साल वे अपने पदकों का जरूर रंग बदल देंगे। खिलाडिय़ों ने बताया कि वे इसके लिए कड़ा अभ्यास करेंगे।
संसाधनों की कमी
खिलाडिय़ों के पास संसाधनों की बेहद कमी है। उनके पास अच्छा मैदान तो है ही नहीं तलवारों तक के लाले पड़े हुए हैं। 150 खिलाडिय़ों के पास महज तीन तलवारें हैं वे भी इसी साल खरीदी गई हैं। इनके पास एक किट भी नहीं है। ये सभी बच्चे बेहद गरीब परिवारों से आते हैं लेकिन इन सभी हौसले बुलंद हैं। ये सभी खिलाड़ी हर रोज लगभग चार घंटे अभ्यास करते हैं।
पहली बार बैठे ट्रेन में और देखा स्टेडियम
मंडला की 72 सदस्यीय टीम में अधिकतर बच्चे पहली बार ट्रेन में बैठे हैं। इस टीम में शामिल खिलाडिय़ों ने भोपाल पहुंचकर पहली बार स्टेडियम देखा। ये सभी खिलाड़ी यहां के खेल इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाओं को देखकर भौंचक रह गए। उन्हें इस बात का अहसास हुआ कि आखिर वे किन कठिन परिस्थितियों में इस खेल का अभ्यास कर रहे हैं।