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आदिवासी मजदूरों के नाम खरीदते हैं भूमि, फिर खुद कमर्शियल उपयोग करते हैं कारोबारी

locationशाहडोलPublished: Dec 01, 2021 01:51:08 pm

Submitted by:

shubham singh

पूर्व में आयकर विभाग की कार्रवाई में भी मनरेगा मजदूर के नाम मिली थी करोड़ों की संपत्ति, ब्यौहारी में आदिवासी की भूमि का सौदा कर फार्म हाउस व बिल्डिंग बनाने के मामले में शिकायत

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शहडोल. संभाग में भू-माफिया और बड़े कारोबारी भूमि की खरीदी-बिक्री के लिए अलग-अलग तरीके अपना रहे हैं। भू-माफिया और कारोबारी पहले घर और गांव में काम करने वाले आदिवासी परिवारों के नाम माटी के मोल भूमि खरीद रहे हैं। बाद में कभी खुद कमर्शियल उपयोग में रहे हैं तो कभी दूसरे आदिवासी परिवारों को महंगे दामों में बेच रहे हैं। पूर्व में शहडोल के बुढ़ार में आयकर विभाग की कार्रवाई में भी ये बात सामने आ चुकी है। यहां निर्माण कंपनी से जुड़े गु्रप ने मजदूर के नाम पर करोड़ों रुपए की भूमि खरीद ली थी। बाद में कमर्शियल उपयोग कर रहे थे। हालांकि आयकर विभाग ने कार्रवाई करते हुए हाल ही में 7 माह पूर्व खरीदी-बिक्री में रोक लगाते हुए बेनामी संपत्ति घोषित कर अस्थायी कुर्की आदेश की फाइल आगे बढ़ाई थी।
आदिवासी की भूमि की कराई परमिशन, तैयार की बिल्डिंग
ब्यौहारी के तहसील कार्यालय के नजदीक आदिवासी परिवार की भूमि खरीदी मामले में भी अधिकारियों तक शिकायत पहुंची है। तत्कालीन कलेक्टर ने यहां आदिवासी की भूमि खरीदी बिक्री की अनुमति दे दी थी। बाद में यहां फार्म हाउस बनाने के साथ बिल्डिंग भी ठेकेदार ने बना ली है। शिकायत में बताया गया है कि ठेकेदार द्वारा 15 वर्ष से भूमि का उपयोग किया जा रहा है। इसके अलावा अब अतिरिक्त भूमि पर ठेकेदार द्वारा समतलीकरण कराकर भूमि हड़पने का प्रयास किया जा रहा है। आदिवासी की भूमि की खरीदी-बिक्री की अनुमति मामले में भी तत्कालीन अधिकारियों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। ठेकेदार ने रसूख के चलते एक भूमि की अनुमति कराने के बाद आदिवासी परिवार के नाम दर्ज दूसरे भूमि के लिए भी आवेदन किया था लेकिन तत्कालीन कलेक्टर डॉ सतेन्द्र सिंह ने रोक लगा दी थी। अधिकारियों ने जांच के निर्देश दिए हैं।
नौकर के नाम शहडोल में 16 व उमरिया में 5 भूमि खरीदी
7 माह पूर्व आयकर विभाग ने मनरेगा में काम कर चुके एक मजदूर की करोड़ों की संपत्ति पर अस्थायी कुर्की आदेश जारी किया था। सड़क निर्माण ठेका कंपनी ने आदिवासी मजदूर के नाम शहडोल में 16 और उमरिया में पांच जगहों पर भूमि खरीद ली थी। आयकर विभाग की पूछताछ कार्रवाई में मजदूर ने खुद को काफी गरीब और सभी भूमि मालिक द्वारा खरीदने की बात कही थी। बुढ़ार की इस ठेकेदार द्वारा आदिवासी मजदूर की भूमि पर डामर प्लांट के अलावा सीमेंट पोल सहित कई व्यावसायिक उपयोग में लिया जा रहा था। शहडोल के पड़रिया, लालपुर, कंचनपुर में भूमि मिली थी। उमरिया के बांधवगढ़ क्षेत्र में सबसे ज्यादा भूमि ली थी। बयान में मजदूर ने साफ कहा था कि मेरे पास इतना पैसा नहीं है कि भूमि खरीदी सकूं। मालिक ने खरीदी थी, उनके पास ही रजिस्ट्रियां हैं। ऐसे दर्जनों मामले हैं, जो मजदूरों के नाम पर खरीद खुद उपयोग कर रहे हैं।
किसी भी स्थिति में आदिवासी परिवारों के हक के साथ समझौता नहीं होने देंगे। आदिवासी परिवारों की भूमि खरीदी-बिक्री की जांच कराई जाएगी। जांच में गड़बड़ी मिलने पर कड़ी कार्रवाई करेंगे।
राजीव शर्मा, कमिश्नर शहडोल
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