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अब तो हो जाइए सतर्क… सफाईकर्मी और हाइरिस्क मरीजों ने मेडिकल कॉलेज में तोड़ा दम

locationशाहडोलPublished: Apr 02, 2021 09:53:15 pm

Submitted by:

amaresh singh

मार्च में 200 लोग पॉजिटिव, अप्रेल के दो दिन में पांच कोरोना मरीजों की मौत

Two men, including a woman, died from Corona

कोरोना से एक महिला सहित दो पुरूषों की मौत,कोरोना से एक महिला सहित दो पुरूषों की मौत

शहडोल. लापरवाही और अनदेखी के चलते कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग से अनदेखी कोरोना मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। हाइरिस्क मरीजों के लिए कोरोना सबसे घातक साबित हो रहा है। शुगर, बीपी और हदयरोग से जुड़े मरीजों की कोरोना जान ले रहा है। मार्च में 31 दिन के भीतर जिले में 200 कोरोना संक्रमित मरीज सामने आए हैं। इसी तरह अप्रेल की शुरुआत में भी मौत का ग्राफ भी बढऩे लगा है। अप्रेल माह के दो दिन में पांच लोगों की कोरोना से मौत हो गई। इसमें शहर के एक महिला सफाईकर्मी भी शामिल है। गुरुवार को मेडिकल कॉलेज में दो कोरोना संक्रमितों की मौत हुई थी। शुक्रवार को कोरोना से तीन लोगों की मौत हुई है। इसमें एक महिला तथा दो पुरुष शामिल हैं। सोहागपुर निवासी 55 वर्षीय महिला नपा की सफाईकर्मी थी। उसको परिजनों ने 30 मार्च को बेहोशी की हालत में मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया था। महिला की तीन-चार दिन पहले से तबीयत खराब चल रही थी। भर्ती के बाद महिला की जांच किया गया तो कोरोना पॉजिटिव मिली। महिला को वेंटिलेटर पर रखा गया था। महिला बीपी और शुगर की भी मरीज थी तथा एनीमिक थी। इलाज के बाद भी हालत में सुधार नहीं आया और शुक्रवार सुबह नौ बजे इलाज के दौरान महिला ने दम तोड़ दिया।

हाइरिस्क मरीजों को खतरा, बीपी और शुगर के थे मरीज
उमरिया जिला निवासी 55 वर्षीय व्यक्ति को परिजनों ने 28 मार्च को मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती कराया। लगभग 15 दिन पहले से खांसी और सर्दी आ रही थी। बाहर में ट्रीटमेंट ले रहे थे। जांच कराया तो कोरोना पॉजिटिव निकले। मेडिकल कॉलेज में सांस लेने में तकलीफ होने पर वेंटिलेटर पर रखा गया। बीपी और शुगर के भी मरीज थे। शुक्रवार सुबह 4.30 बजे इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। वहीं पांडवनगर निवासी 61 वर्षीय वृद्ध को परिजन छिंदवाड़ा से उल्टी सांस की हालत में सुबह 10.30 बजे मेडिकल कॉलेज लेकर पहुंचे। यहां भर्ती किया गया लेकिन लगभग एक घंटा में ही मौत हो गई। परिजनों ने कोरोना पॉजिटिव होने पर उनको 20 मार्च को छिंदवाड़ा मेें भर्ती कर इलाज कराया। वहां पर वेंटिलेटर पर थे। इसके बाद हालत गंभीर होने पर मेडिकल कॉलेज लेकर आए थे लेकिन यहां उनकी मौत हो गई।

फरवरी में एक दो मरीज, मार्च में अचानक बढ़े
जिले में फरवरी माह तक कोरोना का संक्रमण काफी कम हो गया था। फरवरी माह में किसी दिन एक से दो मरीज तो किसी दिन शून्य मरीज मिल रहे थे। इससे लग रहा था कि जिले में कोरोना संक्रमण खत्म हो गया है लेकिन इसके बाद मार्च माह से कोरोना संक्रमण तेजी से बढऩे लगा। मार्च माह में कोरोना के 200 मरीज मिले हैं। मार्च माह के शुरुआत में कोरोना के कम केस मिले लेकिन मार्च आधा माह बीतने के बाद इसमें तेजी से इजाफा होने लगा।

होमआइसोलेशन में 152 मरीजों का इलाज
कोरोना मरीजों को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने होमआइसोलेशन और मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती कराया जा रहा है। इसमें 125 कोरोना मरीजों को होमआइसोलेशन में इलाज के लिए रखा गया है जबकि 48 कोरोना मरीजों को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या देखकर आईसीयू तथा एचडीयू में बेडों को बढ़ा रहा है। होमआइसोलेशन वाले कोरोना मरीजों का जिला कोविड कमांड रूम से निगरानी की जा रही है। इसमें छह डॉक्टर पदस्थ है। कमांड रूम से कोरोना मरीजों की फोन पर सुबह और शाम को फॉलोअप लिया जाता है कि क्या स्थिति है। कोई दिक्कत होने पर फोन करने को कहा जाता है। डॉक्टर भी घर-घर जाकर मरीजों से बात करते हैं और उन्हें जरूरी सलाह देते हैं। नोडल अधिकारी डॉ पुनीत श्रीवास्तव, डॉ वीएस वारिया, डॉ अंशुमान सोनारे लगाकर होम आइसोलेट मरीजों के घर पर पहुंचकर जानकारी ले रहे हैं।


पता नहीं था.. जिसके साथ काम किए, उसका अंतिम संस्कार भी करेंगे

पता नहीं था जिसके साथ पूरा समय बीतता था, हंसी ठिठोली करते थे, कभी उसके अंतिम संस्कार की भी जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी। ये कहते हुए नगरपालिका के सहायक राजस्व निरीक्षक दुर्गेश गुप्ता की आंखें भर आती हैं। महिला सफाईकर्मी का अंतिम संस्कार करने वाले दुर्गेश कहते हैं पहली बार अंतिम संस्कार के बाद हाथ कांपे हैं। दुर्गेश और उनकी टीम के सदस्य विकास यादव, सावन और सुधीर घर परिवार से दूर रहकर कोरोना मरीजों के अंतिम संस्कार में अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। ये लोग कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत के बाद दाह संस्कार कर रहे हैं। शुक्रवार को मरीजों की मौत के बाद दाह संस्कार किया।

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