फरवरी में एक दो मरीज, मार्च में अचानक बढ़े
जिले में फरवरी माह तक कोरोना का संक्रमण काफी कम हो गया था। फरवरी माह में किसी दिन एक से दो मरीज तो किसी दिन शून्य मरीज मिल रहे थे। इससे लग रहा था कि जिले में कोरोना संक्रमण खत्म हो गया है लेकिन इसके बाद मार्च माह से कोरोना संक्रमण तेजी से बढऩे लगा। मार्च माह में कोरोना के 200 मरीज मिले हैं। मार्च माह के शुरुआत में कोरोना के कम केस मिले लेकिन मार्च आधा माह बीतने के बाद इसमें तेजी से इजाफा होने लगा।
होमआइसोलेशन में 152 मरीजों का इलाज
कोरोना मरीजों को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने होमआइसोलेशन और मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए भर्ती कराया जा रहा है। इसमें 125 कोरोना मरीजों को होमआइसोलेशन में इलाज के लिए रखा गया है जबकि 48 कोरोना मरीजों को मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या देखकर आईसीयू तथा एचडीयू में बेडों को बढ़ा रहा है। होमआइसोलेशन वाले कोरोना मरीजों का जिला कोविड कमांड रूम से निगरानी की जा रही है। इसमें छह डॉक्टर पदस्थ है। कमांड रूम से कोरोना मरीजों की फोन पर सुबह और शाम को फॉलोअप लिया जाता है कि क्या स्थिति है। कोई दिक्कत होने पर फोन करने को कहा जाता है। डॉक्टर भी घर-घर जाकर मरीजों से बात करते हैं और उन्हें जरूरी सलाह देते हैं। नोडल अधिकारी डॉ पुनीत श्रीवास्तव, डॉ वीएस वारिया, डॉ अंशुमान सोनारे लगाकर होम आइसोलेट मरीजों के घर पर पहुंचकर जानकारी ले रहे हैं।
पता नहीं था.. जिसके साथ काम किए, उसका अंतिम संस्कार भी करेंगे
पता नहीं था जिसके साथ पूरा समय बीतता था, हंसी ठिठोली करते थे, कभी उसके अंतिम संस्कार की भी जिम्मेदारी उठानी पड़ेगी। ये कहते हुए नगरपालिका के सहायक राजस्व निरीक्षक दुर्गेश गुप्ता की आंखें भर आती हैं। महिला सफाईकर्मी का अंतिम संस्कार करने वाले दुर्गेश कहते हैं पहली बार अंतिम संस्कार के बाद हाथ कांपे हैं। दुर्गेश और उनकी टीम के सदस्य विकास यादव, सावन और सुधीर घर परिवार से दूर रहकर कोरोना मरीजों के अंतिम संस्कार में अपनी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। ये लोग कोरोना पॉजिटिव मरीजों की मौत के बाद दाह संस्कार कर रहे हैं। शुक्रवार को मरीजों की मौत के बाद दाह संस्कार किया।