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पहले आम चुनाव में शहडोल से चुने गए थे दो सांसद, नहीं खुला था कांग्रेस का खाता

locationशाहडोलPublished: Mar 26, 2019 01:05:39 pm

Submitted by:

shivmangal singh

शहडोल-सीधी के नाम से था लोकसभा क्षेत्र, विंध्य प्रदेश का हिस्सा था शहडोल, विंध्य की बाकी सीटों पर जीती थी कांग्रेस

Two MPs were elected from Shahdol in the first general election

पहले आम चुनाव में शहडोल से चुने गए थे दो सांसद, नहीं खुला था कांग्रेस का खाता

शिवमंगल सिंह

शहडोल। पहला किन्नर विधायक जितवाकर पूरे देश में चर्चा में आया शहडोल पहले भी राजनीतिक पंडितों को हैरत में डालता रहा है। पहले आम चुनाव में शहडोल ने गैर कांग्रेसी सांसद चुनकर चौंकाया था। वह दौर देश के पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू का था। ऐसे में कांग्रेस का उम्मीदवार न चुना जाना एक बड़ी बात थी, जबकि विंध्यप्रदेश की बाकी सीटों पर कांग्रेस ने अपनी विजय पताका फहराई थी। पहले आम चुनाव के दौरान शहडोल में दोहरी निर्वाचन प्रणाली लागू थी और दोनों सीटों पर गैर कांग्रेसी नेताओं ने अपना परचम फहराया था। पहले आम चुनाव में सीधी-शहडोल सीट से किसान मजदूर प्रजा पार्टी के रंधामन सिंह और सोशलिस्ट पार्टी के भगवान दत्त शास्त्री जीतकर संसद भवन पहुंचे थे। तब विंध्यप्रदेश से छह सांसद चुने जाते थे।
पहले आम चुनाव के दौरान पूरा देश तीन तरह के प्रदेशों में विभाजित था। ए श्रेणी, बी श्रेणी और सी श्रेणी। विंध्यप्रदेश सी श्रेणी स्टेट था। उस समय मध्यप्रदेश ए श्रेणी में, मध्यभारत बी श्रेणी में, भोपाल और बिलासपुर सी श्रेणी में आते थे। विंध्यप्रदेश में उस दौरान चार लोकसभा क्षेत्र थे और यहां से छह सांसद चुने जाते थे। चार लोकसभा क्षेत्रों में सीधी-शहडोल क्षेत्र, सतना, रीवा के अलावा छतरपुर-दतिया-टीकमगढ़ को मिलाकर एक लोकसभा क्षेत्र बनाया गया था। सीधी-शहडोल लोकसभा क्षेत्र में दोहरी निर्वाचन प्रणाली लागू थी यहां से दो सांसद चुने जाते थे, जिसमें एक सीट सामान्य थी और दूसरी सीट आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित थी। यही स्थिति छतरपुर-दतिया-टीकमगढ़ लोकसभा क्षेत्र की थी। यहां से भी दो सांसद चुने जाते थे। एक सीट यहां से सामान्य और दूसरी सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी। सतना और रीवा लोकसभा क्षेत्र से एक-एक सांसद चुना जाता था।


देश में सबसे कम वोटिंग का दावा
दावा किया जाता है कि पहले आम चुनावों में यहां सबसे कम वोटिंग हुई थी। इसका जिक्र इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने अपनी किताब ‘गांधी के बाद भारतÓ में किया है। उन्होंने लिखा है कि पहले आम चुनाव में शहडोल में सबसे कम 18 फीसदी वोटिंग हुई थी। हालांकि चुनाव आयोग के दस्तावेज और लेखा-जोखा इस दावे से मेल नहीं खाते, लेकिन इतना अवश्य है कि बाकी क्षेत्रों के मुकाबले यहां पर कम वोटिंग हुई थी।
राजनीति के जानकार बताते हैं लेकिन सीधी-शहडोल लोकसभा सीट से कांग्रेस का उम्मीदवार न चुने जाने की वजह रीवा में हुआ राममनोहर लोहिया का एक बड़ा सम्मेलन था। कांग्रेस नेता शिवकुमार नामदेव बताते हैं कि उस दौरान सोशलिस्ट का बहुत प्रभाव था। इसकी वजह थे यहां के युवा। यहां के युवा रीवा के दरबार कॉलेज में पढ़ते थे, उस दौरान वे वहां लोहिया के प्रभाव में आए और उन्होंने सोशलिस्ट पार्टी का झंडा उठा लिया। एक ऐसी भी चर्चा है कि शहडोल में कानपुर के एक उद्योगपति रामरतन ने भी चुनाव लड़ा और धनबल के माध्यम से चुनाव को प्रभावित करने का प्रयास किया। उस दौरान यहां पर एक नारा प्रचलित हुआ था ‘चाहे जितना करें जतन, वोट न पइहें रामरतन।Ó हालांकि रामरतन मामले की दस्तावेजों के आधार पर पुष्टि
नहीं हुई है।


विंध्यप्रदेश में कुल मतदाता
सिंगल सीट चुनाव क्षेत्र में मतदाता- 577606
डबल सीट चुनाव क्षेत्र मतदाता- 1183320
कुल मतदाता विंध्यक्षेत्र- 1760926
पहले चुनाव में कुल वोट पड़े विंध्य क्षेत्र में
सिंगल सीट चुनाव क्षेत्र में- 199271
डबल सीट चुनाव क्षेत्र में- 506567
कुल वोट पड़े- 705838
कुल 30 फीसदी मतदान


विंध्यप्रदेश: तब कौन कहां से जीता था
शहडोल-सीधी सीट रंधामन सिंह, किसान मजदूर प्रजा पार्टी, भगवान दत्त शास्त्री, सोशलिस्ट पार्टी।
रीवा सीट राजभान सिंह, कांग्रेस
सतना सीट एसडी उपाध्याय, कांग्रेस
छतरपुर,दतिया टीकमगढ़ सीट मोतीलाल मालवी, कांग्रेस-रामसहाय तिवारी कांग्रेस। विंध्यप्रदेश में कुल कुल चुनाव क्षेत्रों की संख्या -4
सिंगल सीट चुनाव क्षेत्र 2 (दोनों सीटें सामान्य)
डबल सीट चुनाव क्षेत्र 2 (इसमें दो सीटें सामान्य, एक अनुसूचित जाति के लिए और एक सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित थी)
पहले आम चुनाव में विंध्य प्रदेश से कुल छह सांसद चुने गए थे।

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