मरीज की हालत बिगड़ गई
देखते ही देखते मरीज की हालत बिगड़ गई। उसने डॉक्टरों को बताया कि अभी 8-10 दिन पहले ही शुगर की जांच कराया था तो 86 निकला था। अचानक से इतना शुगर कैसे बढ़ जाएगा लेकिन डॉक्टरों ने एक न सुनी। बाद में मरीज दोबारा जांच के लिए प्राइवेट क्लीनिक पर पहुंचा। यहां पर शुगर की जांच कराई तो मात्र 111 निकला। मामले में शुगर जांच करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों की लापरवाही उजागर हुई है। लापरवाही पर लल्लन ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि जिला अस्पताल की रिपोर्ट से जान तक चली जाती। बताया गया कि मरीज को डॉक्टर भर्ती करने पर अड़े रहे। भर्ती कर मरीज को इन्सुलिन की सुई लगाई जा रही थी। इससे शुगर एकदम से कम हो जाता और मरीज की जान को भी खतरा था। पूर्व में भी अस्पताल में इस तरह की लापरवाही सामने आ चुकी है लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
टेक्निशियनों की भी कमी
ब्लड बैंक में अभी 6 टेक्निशियन है जबकि हर शिफ्ट में दो टेक्निशियन चाहिए। इस हिसाब से कम से कम 12 लैब टेक्निशियन चाहिए। इन जांचों के के लिए पहले लैब टेक्निशियनों की नियुक्ति करनी पड़ेगी। जिला अस्पताल के परिसर में स्थित ब्लड बैंक में अभी कई जांचे नहीं हो रही है। इससे मरीजों को मजबूरी में प्राइवेट क्लिनिक में जाना पड़ रहा है। वर्तमान में क्लिनिकल और पैथालॉजी जांच हो रही है जबकि माइक्रो और हिस्ट्रो की जांच नहीं हो रही है। लड बैंक में वर्तमान में माइक्रो और हिस्ट्रो की जांच नहीं हो रही है। इसके चलते इन मरीजों को प्राइवेट में जांच करवाने जाना पड़ रहा है। माइक्रो में ब्लड कल्चर, यूरिन कल्चर, पस कल्चर की जांच होती है जबकि हिस्ट्रो में सेक्सन कटिंग के बाद क्रास पीस की जांच होती है। इन जांचों के नहीं होने का कारण इनका उपकरण नहीं होना है साथ इनकी जांच के लिए लैब टेक्निशियन भी नहीं है। ब्लड बैंक में पहले से ही लैब टेक्निशियन की कमी है।
पहले भी दे दिया था चढ़ाने को दूसरे गु्रप का खून
लगभग डेढ़ माह पहले भी अस्पताल के वार्ड में मौजूद कर्मचारियों की लापरवाही के चलते दूसरे गु्रप का खून मरीज को चढ़ाने के लिए दे दिया गया था। वार्ड के कर्मचारी द्वारा डोनर की जगह दूसरे का खून निकालकर दे दिया गया था। इसके बाद ब्लड बैंक से भी जांच करते हुए खून उपलब्ध करा दिया था। संदेह होने पर परिजनों ने दूसरे गु्रप का खून देने की बात कही। बाद में सामने आया कि वार्ड में ही खून निकालने में लापरवाही हुई है। इस संबंध में जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ उमेश कुमार नामदेव ने कहा कि मरीज की पूरी रिपोर्ट मंगाते हैं। इसके बाद ही कुछ कहा जा सकेगा। लापरवाही पर कार्रवाई होगी।