दो पर्यवेक्षक निलंबित, 12 अधिकारियों को नोटिस
कुपोषण मामले में लापरवाही पर कलेक्टर ने बरती सख्ती

शहडोल. गांव-गांव बढ़ते कुपोषण के मामलों में प्रशासन ने सख्ती दिखाई है। लापरवाही पर कलेक्टर डॉ सतेन्द्र सिंह ने महिला बाल विकास विभाग के दो पर्यवेक्षकों को निलंबित कर दिया है। कलेक्टर ने 12 अधिकारियों की लापरवाही मिलने पर नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। जवाब संतोषजनक न होने पर 12 अधिकारियों के खिलाफ एक-एक वेतनवृद्धि रोकने की कार्रवाई की जाएगी। दो दिन पहले कलेक्टर ने अधिकारियों की बैठक लेकर महिला एवं बाल विकास विभाग की समीक्षा की थी। इस मामले में कुपोषण मामले में डीपीओ के साथ मैदानी अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई थी। कलेक्टर ने एक-एक बिंदुओं पर एनआरसी की जानकारी मांगी थी। कुपोषित बच्चों को एनआरसी में भर्ती न कराने के मामले में लापरवाही मिलने पर दो परियोजना पर्यवेक्षक को निलंबित कर दिया है। इसमें बुढ़ार साखी की दम्यंती सिंह और जयसिंहनगर की चन्द्रकली पटेल शामिल है। इसके अलावा कलेक्टर ने 12 अधिकारियों को नोटिस थमाया है। जिसमें जवाब मांगा है कि क्यों न वेतनवृद्धि रोकने की कार्रवाई की जाए। दरअसल दो दिन पहले समीक्षा के दौरान कलेक्टर डॉ सतेन्द्र सिंह और एडीएम अर्पित वर्मा ने कुपोषित बच्चों के मामले में लापरवाही पर नाराजगी जताई थी।
पूरे साल में एक भी बच्चे नहीं कराए भर्ती
कलेक्टर के अनुसार, पूरे वित्तीय वर्ष में बुढ़ार और जयसिंहनगर की पर्यवेक्षकों ने एक भी बच्चे को एनआरसी में भर्ती नहीं कराया था। इसके चलते कुपोषण के मामले बढ़ते गए और एनआरसी में सन्नाटा रहा। इसी तरह कई ऐसे भी अधिकारी हैं, जिनके यहां एनआरसी में सिर्फ दो से तीन कुपोषित बच्चे एनआरसी में भर्ती हुए हैं। इस मामले में लापरवाही मिलने पर अधिकारियों की वेतनवृद्धि रोकी जाएगी।
पत्रिका ने उठाया था मुद्दा
संभाग में लगातार कुपोषण के मामले बढ़ रहे हैं। अधिकारियों की लापरवाही के चलते गांव-गांव कुपोषण का दंश है। संभाग में 25 हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित हैं। पत्रिका की खबर के बाद अधिकारियों ने संज्ञान लिया और समीक्षा की। जिसमें अधिकारियों की बड़ी लापरवाही सामने आई। जिसके बाद कार्रवाई की।
कुपोषित बच्चों के मामलों में लापरवाही बरतने पर अधिकारियों पर कार्रवाई की है। दो पर्यवेक्षकों को निलंबित किया है। 12 अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। समीक्षा में इन अधिकारियों की लापरवाही मिली थी।
डॉ. सतेन्द्र सिंह, कलेक्टर शहडोल
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