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ग्रुप में बैठकर पढ़ाई मेें कमजोर बालिकाएं हो रही है होशियार

locationशाहडोलPublished: Dec 12, 2019 09:29:04 pm

Submitted by:

brijesh sirmour

कन्या शाला मेें बच्चियों की बैठक व्यवस्था अभिनव प्रयोग, एक्टिव लर्निंग मेथडालाजी के लिए बच्चियों की बैठने की बनाई उत्तम व्यवस्था

ग्रुप में बैठकर पढ़ाई मेें कमजोर बालिकाएं हो रही है होशियार

ग्रुप में बैठकर पढ़ाई मेें कमजोर बालिकाएं हो रही है होशियार

शहडोल. संभागीय मुख्यालय के शासकीय कन्या माध्यमिक शाला वार्ड नम्बर एक में छात्राओंं की बैठक व्यवस्था का अभिनव प्रयोग किया है। जिसके तहत जहां एक ओर एएलएम यानि एक्टिव लर्निंग मेथडालाजी पद्धति के तहत बालिकाओं का शैक्षिक स्तर में सुधार आ रहा है। वहीं दूसरी ओर छात्राओं के स्वास्थ्य में सकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है और सरकारी स्कूल में उनको पठन-पाठन की बेहतर सुविधा उपलब्ध हो रही है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक संतोष श्रीवास्तव ने बालिकाओं के बैठने के लिए टेबिल कुर्सी के स्थान पर समूह बैठक डेस्क का निर्माण कराया है। जिसके चारों ओर टाट पट्टी में बैठकर बालिकाएं आपस में ग्रुप डिस्कशन कर अपनी पढ़ाई को अंजाम दे रही है। इस विद्यालय में कक्षा छठवीं से आठवीं तक कुल 390 छात्राएं अध्ययनरत है। जिसमें अधिकांश छात्राएं आदिवासी अंचल की है।
क्या हैं एएलएम पद्धति शिक्षा
एएलएम पद्धति वर्तमान शिक्षा पद्धति से अलग है। वर्तमान में छात्रों को एबीएल एक्टिविटि बेस लर्निंग अर्थात किताबों से पढ़ाया जाता है। वहीं एएलएम पद्धति से पहले छात्रों को विषय की प्रायोगिक जानकारी दी जाती है। इसके बाद किताबी शिक्षा दी जाती है। इससे विद्यार्थी संबधित विषय को सरलता से समझते है। वर्तमान में मिडिल स्कूल में कक्षा छठवीं, सातवीं व आठवीं के छात्रों की क्लास में एक विषय का पीरियड 40 मिनट का होता है। जबकि एएलएम पद्धति में एक पीरियड 90 मिनट का होता है। इसमें 45 मिनट विद्यार्थी विषय के बारे में प्रायोगिक चर्चा करते है। शेष 45 मिनट में शिक्षक उन्हें किताबों से पढ़ाते हैं। इस दौरान छात्रों को विषयों को सरलतापूर्वक समझाने के लिए शब्दावली का गेम भी खिलाया जाता है।
मासिक टेस्ट में हो रहा सुधार
बताया गया है कि विद्यालय में समूह बैठक डेस्क में बैठने से पढ़ाई में कमजोर छात्राओं का काफी बौद्धिक विकास हुआ है। तीन माह पहले जो छात्रा सही ढ़ंग से शब्द नहीं लिख पाती और गुणा व भाग नहीं कर पाती थी, वह आज फर्राटे के साथ गणित के सवाल हल कर रही है और लेखनी भी अच्छी हो गई है। इसका परिणाम विद्यालय के मासिक और त्रैमासिक मूल्यांकन में देखने को मिला है।
56 डेस्कों को कराया निर्माण
विद्यालय के प्रधानाध्यापक संतोष श्रीवास्तव ने बताया कि उन्होने कक्षा छठवीं, सातवीं व आठवीं के बालिकाओं के बैठने के लिए 56 डेस्कों का निर्माण कराया है। एक डेस्क के निर्माण में दो से ढ़ाई हजार रुपए का खर्चा आया है।जिसकी व्यवस्था उन्होने विद्यालय के बजट व व्यक्तिगत राशि लगाकर की है।

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