शाहडोल

आखिर क्या है असली वजह, जो यहां प्रशासन से लेकर पुलिस तक हो रहे फेरबदल

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शाहडोलMay 23, 2018 / 12:40 pm

Akhilesh Shukla

आखिर क्या है असली वजह, जो यहां प्रशासन से लेकर पुलिस तक हो रहे फेरबदल

@ शुभम बघेल

शहडोल- विधानसभा चुनाव को लेकर प्रशासनिक जमावट शुरू हो गई है। पिछले पांच महीने में लगातार संभाग में अधिकारियों की पदस्थापना में उठापटक शुरू है। शासन ने सर्जरी करते हुए एक दर्जन से ज्यादा अफसरों को इधर से उधर किया है। अधिकारियों की पदस्थापना में फेरबदल विधानसभा चुनाव को लेकर गुणा- भाग माना जा रहा है। इसमें प्रशासन से लेकर पुलिस और कई विभागों के अफसर शामिल हैं।

 

अधिकारियों की पोस्टिंग में फेरबदल संभाग में सबसे ज्यादा शहडोल में किया गया है। कुछ अधिकारी ऐसे भी शामिल हैं, जो दो साल से ज्यादा समय तक सेवाएं दे चुके थे। जबकि स्थानांतरित अधिकांश अफसर ऐसे हैं जिनका एक साल के भीतर ही तबादला हुआ है। शासन चुनाव से पहले तबादलों के पीछे प्रशासनिक फेरबदल की दलील दे रही है। प्रशासनिक सूत्रों की मानें तो अगस्त सितंबर तक और फेरबदल हो सकते हैं।

 

इन अफसरों का भी संभाग से फेरबदल

संभाग से स्थानांतरित कई अफसर ऐसे भी है, जिनका दो साल से ज्यादा समय हो चुका है। हाल ही में शहडोल एसपी का तबादला रीवा के लिए किया गया है। इसी तरह शहडोल एएसपी को उमरिया भेजते हुए उमरिया एएसपी को मंडला भेजा है। सीएमओ नपा शहडोल को एक साल के भीतर बदल दिया गया है।

लंबे समय से पदस्थ अनूपपुर कलेक्टर को भी स्थानांतरित किया गया है। सीईओ अनुपपुर को भी बदला है। सूत्रों की मानें तो अभी कई अफसरों का अभी और भी स्थानांतरण हो सकता है। इसमें कई अधिकाारी तीन साल वाले भी होंगे।


पांच माह में बदल दिए कमिश्नर

विधानसभा चुनाव के पहले डेढ़ साल के भीतर दो कमिश्नर बदल दिए गए। दिसंबर २०१७ में रजनीश श्रीवास्तव को शहडोल का कमिश्नर बनाया गया था लेकिन पांच माह के भीतर ही स्थानांतरित कर दिया। इसके पूर्व कमिश्नर बीएम शर्मा को भी कुछ ही माह में ग्वालियर स्थानांतरित किया था। दोनों अफसर कई मामलों में बड़ी कार्रवाई को लेकर सुर्खियों में रहे हैं।

 

8 माह के भीतर कलेक्टर का तबादला

शहडोल कलेक्टर नरेश कुमार पाल का तबादला अभी हाल ही में किया गया है। इसके स्थान पर अनुभा श्रीवास्तव को शहडोल जिले की कमान दी गई है। कलेक्टर पाल ८ माह के भीतर ही स्थानांतरित कर दिए गए हैं। कलेक्टर पाल का कार्यकाल भी बेहद अच्छा रहा है। कुपोषण, जलसंकट सहित स्वास्थ्य की दिशा में कई अभियान की शुरूआत की थी।

 

8-8 माह में बदल गए डीआईजी

पुलिस रेंज शहडोल में 8-8 माह के भीतर दो बार डीआईजी बदल चुके हैं। हाल ही में डीआईजी आरके अरूसिया को जबलपुर के लिए स्थानांतरित किया गया है। आरके अरूसिया 8 माह पूर्व पदस्थ हुए थे। इनके पूर्व डीआईजी सुधीर वी लाड भी बेहद कम समय के लिए शहडोल जोन में थे। लगातार 8-8 माह के भीतर डीआईजी के फेरबदल ने कई सवाल छोड़े हैं।


कार्रवाई करते ही बदल गए आईएएस

शहडोल अनुविभाग में पदस्थ आईएएस लोकेश का कुछ ही समय में स्थानांतरण सचिवालय के लिए कर दिया गया था। आईएएस लोकेश कई दिग्गज नेताओं पर कार्रवाई को लेकर सुर्खियों में रहे हैं। अतिक्रमण, नकली तेल बनाने की मिल पर छापा और दिग्गज नेता की डेयरी से फफूंद लगे मावा को जब्त करने के बाद तबादला कर दिया गया था।

 

कब तक इशारों में पोस्टिंग का खेल!

आखिर कब तक यूं ही इशारों में अफसरों की पोस्टिंग का खेल चलता रहेगा। शासन भले ही अधिकारियों के तबादले को प्रशासनिक फेरबदल बता रहा हो लेकिन 5 से 8 माह के भीतर अधिकारियों का स्थानांतरण खुद में कई सवाल छोड़ रहा है। लोकसभा उपचुनाव के वक्त भी कई अफसर चुनाव के पहले आए थे। चुनाव होते ही दो से तीन माह के भीतर वापसी कर ली थी। अफसर भले ही 5 से 8 माह के भीतर खुद के तबादले को लेकर सामने न आएं लेकिन जनता के बीच काफी किरकिरी हो रही है।

 

चुनावी बाजी में फिट नहीं तो बैठा रहे अपने अफसर

कांग्रेस कमेटी के प्रदेश सचिव राकेश कटारे के मुताबिक सरकार खुद के समीकरण के अनुसार अफसरों की पदस्थापना कर रही है। इतनी जल्दी अफसरों का फेरबदल खुद कई सवाल खड़े कर रहा है। बड़े बड़े
मंत्री जिले का दौरा कर रहे हैं। मैनेजमेंट देख रहे हैं। मैनेजमेंट ठीक नहीं होता है तो अफसरों को बदल दिया जाता है। अफसरों का फेरबदल विधानसभा चुनाव को लेकर ही किया जा रहा है। अफसर कितना भी लगनशील और ईमानदार क्यों न हो, सरकार के हिसाब से चुनावी बाजी में फिट नहीं है तो तुरंत बदल रही है। सरकार अपने अफसरों को बैठा रही है। स्थानांतरित अधिकारियों का भी भरोसा नहीं है कि चुनाव तक रुक सके, फिट नहीं होंगे तो फेरबदल हो सकता है।

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