कोरोना से ठीक हुए तो तनाव, श्वास व दूसरी बीमारियों ने घेरा, दोबारा पहुंच रहे अस्पताल
सांस लेने में तकलीफ के अलावा कमजोरी और दर्द, बुखार के आ रहे मरीज

शहडोल. कोरोना से स्वस्थ होने वाले लोग कई दूसरी बीमारियों से ग्रसित हो रहे हैं। तनाव, श्वास के अलावा कमजोरी और कार्डियक की बीमारियां घेर रही हैं। अगर आपको एक बार कोरोना हो चुका है तो फिर ठीक होने के बाद भी कई बीमारियों से पीछा नहीं छूट रहा है। हर दिन अस्पताल और डॉक्टरों के पास ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं। कई कोरोना मरीज जो निगेटिव आने के बाद घर चले गए] उन लोगों को फिर से कई तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इसमें मरीजों को सांस लेने में लंबे समय तक तकलीफ, ज्यादा कमजोरी आना, कुछ दूर चलने पर थकान होना जैसी समस्याएं हो रही हैं। डॉक्टर्स इनकी काउंसलिंग भी कर रहे हैं। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग ऐसे मरीजों की काउंसलिंग कर उन्हे हेल्थ सुविधाएं भी दे रहा है।
कोरोना से स्वस्थ मरीजों में ये समस्याएं
मेडिकल कॉलेज शहडोल प्रबंधन के अनुसार, किडनी की समस्याओं के अलावा कार्डियक समस्या, सांस लेने में तकलीफ, डायबिटीज समस्या, मेंटल ट्रामा के अलावा तनाव की समस्या मरीजों में सबसे ज्यादा आ रही है। लगातार मरीजों में आ रही समस्याओं के बाद पोस्ट कोविड केयर सेंटर शुरू किया गया है। मेडिकल कॉलेज प्रबंधन अलग-अलग माध्यमों से ऐसे मरीजों को परामर्श दे रहे हैं।
केस एक
मेडिकल कॉलेज के 45 साल के एक डॉक्टर को कोरोना हो गया था। इसके बाद उनका इलाज मेडिकल कॉलेज में चला। इलाज के बाद वे ठीक हो गए। उनके ठीक होने के बाद उनको सांस लेने में तकलीफ और कमजोरी होने की शिकायतें आने लगी। दोबारा डॉक्टरों से इलाज करा रहे हैं।
केस दो
शहर के 32 साल का युवक कोरोना पॉजिटिव हो गया। इसके बाद उसका मेडिकल कॉलेज में इलाज होने के बाद वह बिलकुल ठीक हो गया। बाद में उसे सांस लेने में तकलीफ होने लगी तो उसने प्राइवेट में सीटी स्कैन कराया और इलाज कराया। अभी भी उसे कमजोरी जैसी दिक्कतें हैं।
केस तीन
मेडिकल कॉलेज के 33 वर्षीय डॉक्टर को कोरोना होने के बाद मेडिकल कॉलेज में इलाज चला। इलाज चलने के बाद डॉक्टर ठीक हो गए लेकिन उन्हें ज्यादा चलने में सांस लेने में दिक्कत होना, चलने पर थकान होना जैसी दिक्कत होने लगी। चेस्ट में भी संक्रमण मिला है।
टेलीपैथी से लोग ले रहे मदद
जो कोरोना मरीज ठीक हो गए हैं। उनके लिए जिला अस्पताल और स्वास्थ्य केन्द्रों में पोस्ट कोविड सेंटर यानि टेलीपैथी के जरिए मदद की जा रही है। ऐसे लोग फोन के माध्यम से जिला अस्पताल या अपने नजदीकी स्वास्थ्य केन्द्रों में सलाह ले रहे हैं या फिर से मेडिकल कॉलेज जा रहे हैं।
हर दिन औसतन मिल रहे 8 मरीज, घटने लगा कोरोना का ग्राफ
शहडोल. कोरोना के लगातार बढ़ते संक्रमण के बीच राहतभरी खबर है। जिले में इस माह से कोरोना की रफ्तार पर ब्रेक लग गया है। सितंबर माह में जहां औसतन हर दिन 44 मरीज मिल रहे थे। वहीं इस माह औसतन हर दिन 8 मरीज मिल रहे हैं। जबकि अक्टूबर माह में कोरोना मरीजों के और ज्यादा बढऩे की संभावना थी।
जिले में कोरोना का संक्रमण अप्रैल से लेकर जून माह तक धीरे-धीरे बढ़ा। अप्रैल से लेकर जून माह तक में कोरोना के केवल 22 मरीज मिले थे। इसके बाद जुलाई माह से इसमें थोड़ा तेजी आई और जुलाई माह में कोरोना के 54 मरीज मिले। अगस्त माह में कोरोना के 536 मरीज मिले। अब जिले में कोरोना के मरीज शुरुआती स्थिति में पहुंच रहे हैं। जिले में अप्रैल माह से जून माह में कोरोना के औसतन प्रतिदिन एक भी मरीज नहीं मिल रहे थे। जुलाई माह में कोरोना के औसतन प्रतिदिन दो मरीज मिले। अगस्त माह में कोरोना का रफ्तार तेज हो गया और इस माह औसतन 18 मरीज मिले। सितंबर माह में कोरोना अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गया और इस माह कोरोना के 1336 मरीज मिले यानि औसतन हर दिन 44 मरीज इस माह मिले। वहीं अक्टूबर माह में कोरोना की रफ्तार पर ब्रेक लग गया और इस माह में कोरेाना के 226 मरीज मिले हैं। यानि इस माह औसतन कोरोना के 8 मरीज मिले हैं। अब जिस तरह से कोरोना के मरीज मिल रहे हैं। उससे इस संख्या में और कमी आएगी। यानि औसतन 8 मरीजों से भी संख्या कम होगी। इस तरह जिले में कोरोना अपने शुरुआती स्थिति में पहुंच जाएगा। जब औसतन एक भी मरीज हर दिन नहीं मिल रहे थे।
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