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जब मध्यप्रदेश के संभागीय अस्पताल का है ऐसा हाल, तो फिर कहां जाएं मरीज?

locationशाहडोलPublished: May 10, 2018 04:31:42 pm

Submitted by:

Akhilesh Shukla

हालत जानकर आप भी कहेंगे ये कैसा अस्पताल

When the divisional hospital of Madhya Pradesh is such a condition

शहडोल- संभाग की सबसे बड़ी सरकारी अस्पताल में सीबीसी (कम्प्लीट ब्लड काउंट) जांच बंद है। दरअसल सीबीसी मशीन में उपयोग किए जाने वाला केमिकल खत्म हो गया है, जिसके चलते मरीजों की सीबीसी जांच नहीं हो पा रही है। पिछले चार दिनों से यह समस्या बनी हुई है।

इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन बेखबर है। हर दिन एक सैकड़ा से ज्यादा मरीजों को भटकना पड़ रहा है। सीबीसी जांच न होने की स्थिति में मजबूरन बिना इलाज के मरीजों को वापस लौटना पड़ रहा है। कई मरीज बेवश होकर निजी क्लीनिकों का सहारा ले रहे हैं और महंगे दामों में सीबीसी जांच करा रहे हैं।

सीबीसी मशीन में उपयोग होने वाली केमिकल न होने की जानकारी अस्पताल प्रबंधन को भी है लेकिन कोई प्रभावी प्रयास नहीं किया गया। नतीजन समस्या बरकरार है। संभाग की सबसे बड़ी अस्पताल होने के कारण शहडोल, उमरिया, अनूपपुर के अलावा छत्तीसगढ़ के जनकपुर तक से मरीज इलाज की आस में यहां पहुंचते हैं लेकिन सीबीसी जांच न होने के कारण पूरा इलाज प्रभावित हो जाता है।

 

ऐसा भी नहीं है कि इसकी जानकारी आला अधिकारियों को न हो। केमिकल खत्म होने की जानकारी अधिकारियों को भी थी लेकिन कोई सुध नहीं ले रहे हैं। नतीजन स्थिति अस्पताल में जस की तस बनी हुई है।

 

जांच न होने से मरीजों को ये दिक्कतें
सीबीसी जांच निजी क्लीनिकों में 250 से 3 सौ रुपए में होती है। हर दिन 100 मरीज सीबीसी जांच के लिए आते हैं लेकिन जांच न होने से बाहर निजी क्लीनिक जाना पड़ता है।
हर दिन एनीमिया और बुखार से पीडि़त होकर मरीज आते हैं, जिनका सीबीसी अनिवार्य होता है।
सीबीसी जांच न होने से डॉक्टर भी दवाईयां नहीं लिख पा रहे हैं।
शहडोल, उमरिया, अनूपपूर के अलावा छत्तीसगढ़ से भी आते हैं मरीज।
थाइराइड जांच के लिए हर दिन आते हैं 25 से 30 मरीज।
निजी क्लीनिकों में 400 से 500 रुपए में होती है थाइराइड की जांच ।

 

जांच नहीं हुई तो डॉक्टर को क्या बताएं ?

मरीज वैशखिया बाई अस्पताल इलाज के लिए पहुंची थी। काफी लंबे समय बाद डॉक्टर से मिलने को मिला। बाद में डॉक्टर ने जांच के लिए लिखा तो पता चला कि जांच ही नहीं हो रही है। अब बिना जांच के डॉक्टर कैसे दवाई लिखेंगे। मजबूरन बिना इलाज के वापस घर जाना पड़ रहा है।

बाहर से करानी पड़ रही जांच

दूसरे मरीज ललप सिंह कहते हैं डॉक्टर ने इलाज के लिए सीबीसी जांच लिखी है। अब पता चल रहा कि अस्पताल में सीबीसी जांच नहीं हो रही है। मजबूरी में निजी क्लीनिकों का सहारा लेना पड़ रहा है। अब ये भी संशय है कि निजी क्लीनिकों से सीबीसी जांच डॉक्टर मानते हैं या नहीं।

बिना जांच के नहीं पता चलता मर्ज

एनीमिया के अलावा कई बीमारियों के मरीजों को डॉक्टर सीबीसी जांच के लिए लिखते हैं। जिला अस्पताल में सीबीसी जांच न होने के कारण मरीजों का इलाज प्रभावित होता है। ब्लड बैंक जाने पर सीधे सीबीसी जांच न होने की बात कहकर मरीजों को वापस लौटा दिया जाता है। इस स्थिति में जांच न होने पर डॉक्टर भी मर्ज का पता नहीं लगा पाते हैं और दवाईयां नहीं लिखते हैं। जिससे मरीजों को लौटना पड़ता है।

दो मशीन फिर भी हर 15 दिन में खत्म

सीबीसी जांच के लिए जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में दो मशीन हैं। हर १५ से २० दिन के भीतर सीबीसी मशीन के केमिकल खत्म होने की समस्या आती है। आर्डर देने के बाद चार से सात दिन बाद केमिकल आता है। इस बीच सीबीसी जांच ही बंद हो जाती है। वर्तमान में एक मशीन का केमिकल है लेकिन ब्लड बैंक प्रबंधन मनमानी तरीके से जांच ही नहीं कर रहा है और मरीजों को लौटा रहा है।

थाइराइड जांच की सुविधा नहीं
संभाग की सबसे बड़ी अस्पताल होने के बाद भी थाइराइड जांच की सुविधा नहीं है। हर दिन 20 से 30 मरीज जिला अस्पताल थायराइड जांच के लिए पहुंचते हैं। डॉक्टर भी मरीजों को थाइराइड जांच की सलाह देते हैं लेकिन अस्पताल में थाइराइड जांच की सुविधा ही नहीं है। मरीज जब ब्लड बैंक पहुंचता है तो बाहर भेज दिया जाता है। जिससे मरीजों को आर्थिक दिक्कतों का भी सामना करना पड़ता है।

 

थाइराइड जांच के लिए प्रयास किया जा रहा है

सिविल सर्जन एनके सोनी के मुताबिक जिला अस्पताल के ब्लड बैंक में सीबीसी जांच न होने की जानकारी मेरे संज्ञान में आई है। केमिकल न होने के कारण यह स्थिति बनी है। मैंने तत्काल ब्लड बैंक कर्मचारियों को निर्देश दिए हैं। दूसरी मशीन में कुछ केमिकल है। जिससे मरीजों की सीबीसी जांच की जाएगी। थाइराइड जांच के लिए प्रयास किया जा रहा है। अधिकारियों से इस संबंध में बात की जाएगी।

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