इनका क्या होगा
जिला कांग्रेस कमेटी अपने आप में ही पूर्ण नजर नहीं आ रही है। पार्टी के ऐसे कई दिग्गज हैं जो संगठनात्मक बदलाव के बाद भी कटे-कटे नजर आ रहे हैं। दिखावा कुछ भी करें लेकिन दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस ने जो संगठनात्मक ढांचे की कल्पना की है वह कैसे पूरा हो पाएगा। ऐसे में ज्योतिरादित्य के समक्ष सबसे पहले अपने संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने की चुनौती का सामना करना होगा तभी वह किला फतह करने में सफल हो पाएंगे।
अपनों की अपनों से बगावत
जिला कांग्रेस कमेटी व यूथ दोनों ही इस समय रेलवे की पटरी के समान चल रहे हैं। दोनो भले ही कांग्रेस के लिए ही काम कर रहे हों लेकिन दोनों का मेल मिलाप कहीं पर नहीं है। आलम यह है कि इन दिनों अपने ही अपनों के सामने खड़े हो गए हैं। यूथ कांग्रेस व एनएसयूआई की जुगलबंदी के सामने जिला कांग्रेस कमेटी फीकी पड़ती नजर आ रही है। अगर यह कहा जाए कि एक ही पार्टी के दोनो धड़ो में वर्चस्व को लेकर शीत युद्ध प्रारंभ हो गया है तो यह गलत नहीं होगा।
क्या गुटबाजी से मिलेगी आजादी
जिले में कांग्रेस को चार्ज करने के लिए सिंधिया के दौरे को अहम माना जा रहा है। देखना यह है कि आजाद के नेतृत्व वाली जिला कांग्रेस कमेटी को सिंधिया का यह दौरा गुटबाजी से आजादी दिला पाता है कि नहीं। शुक्रवार को कांग्रेस के प्रदेश चुनाव अभियान समिति अध्यक्ष ज्योदिरादित्य संभाग के पदाधिकारी व कार्यकर्ताओं से रू-ब-रू होंगे व उनके समक्ष चुनावी रणनीति व संगठनात्मक मुद्दों को लेकर चर्चा करेंंगे। उनकी यह चर्चा कांग्रेस में कितनी ऊर्जा का संचार करता है यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।